रायपुर: मनोचिकित्सक अरुणांशु परियाल ने बताया कि "रिलेशनशिप में टच का बहुत इंपॉर्टेंट रहता है. जब हम एक दूसरे को टच करते हैं. तो ये हमारे क्लोजनेस को बढ़ा देता है. ये एक तरह से एक दूसरे के प्रति प्यार को दर्शाने का तरीका है. दो तरह के कम्युनिकेशन होते हैं. एक होता है वर्बल कम्युनिकेशन और दूसरा नॉन वर्बल कम्युनिकेशन. टच करन ग्रैटिट्यूड करने का ही तरीका है. जैसे हमारे इंडियन कल्चर में है आशिर्वाद देते हैं, टच करते हैं. मुस्लिम कल्चर में एक दूसरे से गले मिलते हैं. इसी तरह से हम कह सकते हैं कि हग एक तरह का ग्रैटिट्यूड होता है. ऐसा करने से हमारे बॉडी में हार्मोन रिलिज होता है. जिससे प्यार बढ़ता है."
साइकोलॉजिकल प्रभाव पड़ता है हग से: कहा जाता है कि गले लगा कर आप कुछ ऐसे शब्दों का भी इजहार कर जाते हैं, जो कि आप बोल नहीं पाते. अपने प्रिय को गले लगाने से आपको एक सुकून का एहसास होता है वो सुकून जो आपको दुनिया के तनाव से दूर रखता है. आपको एक सुरक्षित और पसंदीदा जगह पर बांध लेता है. गले लगाने से दिल के राज भी बयां कर सकते हैं. शायद यही वजह है कि वैलेंटाइन वीक में हग डे को भी शामिल किया गया. कभी-कभी बातों से घंटो के झगड़े केवल एक गले लगाने से कुछ सेकंड में ही सॉल्व हो जाते हैं. प्यार में पड़ा व्यक्ति अपने प्रिय के सबसे नजदीक होकर सारी नाराजगी कुछ सिर्फ एक हग से भूल जाता है. गले लगने का साइकोलॉजिकली मानव शरीर में क्या प्रभाव पड़ता है.
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गले लगने का महत्व बेहद पुराना: वैसे तो एक जमाने में जब वेलेंटाइन वीक नहीं मनाया जाता था. तब भी दो प्यार करने वाले एक दूसरे के नजदीक आने के लिए एक दूसरे को गले लगाते थे. आधुनिक युग में वैलेंटाइंस वीक में हग डे मनाने से इस गले लगाने को एक पहचान मिल गई और गले लगाने का एक अलग से दिन सेलिब्रेट किया जाने लगा. तो गले लगाने की महत्वता से न पुराने लोग अनजान थे और ना ही नए लोग सभी जमाने के लोगों को पता है कि एक दूसरे के करीब आने के लिए एक दूसरे को गले लगाना बेहद जरूरी है यह सिर्फ सामान्य लोग ही नहीं बल्कि साइंटिफिकली भी इसका अपना महत्व है. यही वजह है कि मनोचिकित्सक भी कभी-कभार रिलेशनशिप में आए उतार-चढ़ाव को बैलेंस करने के लिए एक दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करने की सलाह अपने पेशेंट को देते हैं.