रायपुर: मंदिर ट्रस्ट से जुड़े राजेन्द्र शेष ने बताया " मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा में सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता था. अक्टूबर 2017 में मूर्ति के सामने के हिस्से से सिंदूर का चोला गिर गया. मंदिर ट्रस्ट के लोगों ने पहली बार मूर्ति से सारा चोला हटवाया तब जाकर मूर्ति का नया स्वरूप सामने आया. सभी लोगों ने पहली बार मूर्ति का यह नया स्वरूप देखा था. इसके बाद पुरातत्व विभाग की टीम मंदिर पहुंची और जांच के बाद यह पता चला कि 12वीं सदी में कलचुरी राजवंश काल में मूर्ति की स्थापना की गई है.. "
अब मूर्ति पर चढ़ते है केवल फूल: मूर्ति का नया स्वरूप आने के बाद अब हनुमान जी की मूर्ति में सिंदूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता. मूर्ति में केवल फूलों की माला चढ़ती है. मूर्ति का नया स्वरूप आने के बाद मूर्ति के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए अभिषेक और चोला चढ़ाने की परंपरा बंद कर दी गई है.
4 फिट का गदा: तात्यापारा स्थित हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा के अलावा भगवान श्री राम, लक्ष्मण, माता जानकी का मंदिर है . परिसर में ही भगवान शिव का मंदिर भी है. मंदिर परिसर में 4 फीट का गदा मौजूद है.
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रायपुर में बजरंगबली की दक्षिणमुखी मंदिर: मंदिर से जुड़े ट्रस्टी ने बताया "प्राचीन हनुमान मंदिर दक्षिण मुखी मंदिर है और आज हम 3 पीढ़ियों से इस मंदिर से जुड़े है.हर शनिवार मंदिर में भजन की परंपरा है. मंदिर में भजन कीर्तन 100 सालों से होते आ रहा है. भजन गाने वाले भी तीन पीढ़ियों जुड़े है. हर मंगलवार भक्तों द्वारा मंदिर में सुंदरकांड किया जाता है.
भक्तों की होती है मनोकामना पूर्ण: राजेंद्र शेष ने आगे बताया "भगवान मारुति लोगों से कुछ नहीं मांगते. जो जैसे श्रद्धा से आता है उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. सन 1995 की बात है एक अफसर मंदिर पहुंचे थे और बड़े चिंतित थे. उस दिन मंदिर में पुजारी नहीं थे, सिर्फ मैं था. तब उस अधिकारी ने दो चिट्ठी हनुमान जी के सामने रखी और एक चिट्ठी मुझे उठाने को कहा, दो चिट्ठियों से मैंने एक चिट्ठी उठाकर अधिकारी को दी और और वे वापस चले गए. कुछ दिन बाद जब वे वापस मंदिर आए तब अधिकारी ने बताया कि वे बड़ी परेशानी में थे और हनुमान जी की कृपा से वह दुविधा दूर हो गई. उस दौरान उन्होंने मंदिर में दान करने की इक्छा जाहिर की. मंदिर द्वारा आयोजित किए जाने वाले भंडारे पर उन्होंने सहयोग भी किया.