रायपुर: शहर के पुराने तालाबों में से एक हांडी तालाब अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है. एक समय में यह तालाब अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता था, लेकिन आज तालाब की हालत ऐसी हो गई कि आस-पास के रहने वाले लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है.
सौंदर्यीकरण के नाम पर तालाब का पानी निकाल लिया गया, लेकिन काम नहीं हुआ. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों से हर बार शासन-प्रशासान सौंदर्यीकरण की बात कहता है, लेकिन काम आज तक नहीं हुआ.
गंदगी का अंबार बना हांडीपारा तालाब
स्थानीय लोगों ने बताया कि 'पहले तालाब काफी स्वच्छ था और लोग इसके पानी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब ये तालाब गंदगी का अंबार बन चुका है. निगम ने तालाब के सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया, लेकिन उसे अधूरा ही छोड़ दिया.' वहीं लोगों का कहना है कि 'प्रशासन और जनप्रतिनिधि सिर्फ वादे करते हैं, लेकिन काम अब तक नहीं हुआ. शिकायत करने के बावजूद भी सिर्फ आश्वासन दिया जाता है.'
सौंदर्यीकरण के नाम पर बंदरबांट !
इधर, स्थानीय डॉ. राकेश नायक ने बताया कि 'हांडी तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया है. काम शुरू करने के बाद उसे अधूरा छोड़ दिया गया, जिसकी वजह से तालाब में गंदगी बढ़ी और मच्छर पनपने से लोग बीमार हो रहे हैं.' उन्होंने बताया कि 'आए दिन इस वार्ड के लोग टाइफाइड और कई अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इतना ही नहीं तालाब सूखने की वजह से इस क्षेत्र में जलस्तर भी नीचे चला गया है.'
अधूरे काम की वजह में खतरे में अस्तित्व
इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि 'हांडीपारा तालाब रायपुर के उत्तर कलचुरी के अंतर्गत मराठों के आगमन के समय का है. तालाब को किसी व्यापारी ने लोककल्याण के लिए बनवाया था.' उन्होंने बताया कि 'तालाब का स्वरूप बहुत बड़ा था, लेकिन कई लोगों ने जमीन पर कब्जा कर लिया है और अब सौंदर्यीकरण के नाम पर प्रशासन भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है.' साथ ही उन्होंने कहा कि 'शहर के तेलीबांधा तालाब और कटोरा तालाब की तरह इसे भी अच्छा स्वरूप दिया जा सकता है और धरोहर को बचाया जा सकता है.
जरा सोचिए
हम सभी अपना घर-आंगन तो साफ रखना चाहते हैं पर आस-पास के क्षेत्रों को बेगाना समझकर वहां पर कचरा फेंक देते हैं. हांडीपारा तालाब की दुर्दशा में कहीं न कहीं स्थानीय रहवासी भी जिम्मेदार हैं. शासन-प्रशासन इस पर ध्यान न देकर इस तालाब का अस्तित्व तो खत्म कर ही रहा है पर इसके लिए हम सब भी भागीदार हैं. स्वच्छता का स्वास्थ्य से और स्वास्थ्य का जीवन से गहरा संबंध है, इसलिए सरोवर को स्वच्छ बनाने की कवायद में आगे आएं.