रायपुर: देश में कोरोना महामारी ने कोहराम मचा दिया है. वहीं छत्तीसगढ़ में भी हालात बेकाबू हैं. कोरोना और इसकी वजह से हुए लॉकडाउन ने हरेक सेक्टर को प्रभावित किया है. व्यापार-व्यवसाय पर भी इसका विपरीत असर पड़ा है. छत्तीसगढ़ में 6 अप्रैल के बाद से अलग-अलग जिलों में लॉकडाउन लगाया गया और वर्तमान में सभी 28 जिले लॉक हैं. इन सबने किराना और फल व्यवसायियों की कमर तोड़कर रख दी है. इसका एक बड़ा कारण सामानों की सप्लाई ना हो पाना भी है.
रायपुर जिले में 9 अप्रैल से 5 मई तक टोटल लॉकडाउन
कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए पहले 9 अप्रैल से 19 अप्रैल तक रायपुर में कलेक्टर ने टोटल लॉकडाउन की घोषणा की थी. बाद में इसे 26 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया. इन सबके बावजूद जब संक्रमण में कमी नहीं आई, तो जिले में लॉकडाउन 5 मई तक लागू कर दिया गया है.
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लॉकडाउन से व्यापार की खस्ता होती हालत
लगातार बढ़ रहे लॉकडाउन से किराना कारोबारी और फल कारोबारी काफी परेशान हैं, हालांकि दूसरा लॉकडाउन 19 अप्रैल से लागू होने के बाद कलेक्टर ने ठेले पर फल और सब्जी सुबह 8 बजे से 2 बजे तक बेचने के आदेश जारी किए हैं. इसके बाद कलेक्टर ने किराना की होम डिलीवरी भी शुरू करवा दी है, बावजूद इसके अभी भी किराना कारोबारी काफी परेशान चल रहे हैं. वही ग्राहक नहीं आने की वजह से घूम-घूमकर फल बेचने वाले भी काफी परेशान हैं.
बार-बार हो रहे लॉकडाउन से परेशान व्यापारी
व्यापारी संघ के अध्यक्ष राजकुमार राठी ने बताया कि लॉकडाउन का सबसे बुरा जो असर हुआ है, वह व्यापारी समाज पर हुआ है, क्योंकि रायपुर में 9 अप्रैल से दुकान बंद हैं, लेकिन उसका किराया, बिजली बिल और स्टाफ की सैलरी तो देनी ही पड़ रही है. बैंक का ब्याज भी देना पड़ रहा है, इसके साथ ही अन्य टैक्स भी देने पड़ रहे हैं. उन्होंने जिला प्रशासन के आदेश को अव्यावहारिक बताया.
राजकुमार राठी ने बताया कि कलेक्टर ने 19 अप्रैल को जो आदेश दिया था, उसमें कहा गया था कि व्यापारी ठेले पर सामान बेच सकते हैं, लेकिन जो कारोबारी लाखों का व्यापार करते हैं या फिर किराना-फल से अलग कोई और कारोबार करते हैं, तो भला वे अपना सामान ठेले पर कैसे बेचेंगे.
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नहीं मिल रहे ग्राहक
राजकुमार राठी ने बताया कि इसके बाद दबाव बनाने पर जिला प्रशासन ने 19 अप्रैल से किराना, फल और सब्जियों की होम डिलीवरी की सुविधा दी, लेकिन 22-23 तारीख तक किसी भी दुकान में सामान ही नहीं बचा, क्योंकि किराना दुकान में पहले से सामान नहीं होता है, बल्कि सब थोक व्यापार से ही आता है. 23 तारीख के बाद कोई भी सामान लेने आया, तो व्यापारियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए. जिसके बाद जिला प्रशासन ने मंडियों को रात में खोला. लेकिन ये सोचने वाली बात है कि क्या कोई व्यापारी रात में सामान लेने जाता है? मंडी सुबह 4 बजे तक चलती है और सुबह जब दुकान से होम डिलीवरी के लिए शटर उठाया जाता है, तो नगर निगम वाले पहुंच जाते हैं. व्यापारी शटर इसलिए उठा रहे हैं कि वह दुकान जाकर सामान को रखेंगे और सामान को रखने के बाद जो ऑर्डर उन्हें मिले हैं, उसे होम डिलीवरी करेंगे. अब इसके लिए तो शटर उठाना ही पड़ेगा.
दुकान सील करने से मुश्किल
व्यापारी संघ के अध्यक्ष राजकुमार राठी ने बताया कि निगम प्रशासन इस बात को नहीं समझ रहा है. निगम प्रशासन द्वारा बोला जा रहा है कि आपने दुकान खोली है, इसलिए जुर्माना लगाया जाएगा. 20 दिन के लिए दुकान को भी सील किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि व्यापारी कई दिक्कतें फेस कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कम से कम इन दिक्कतों को शासन-प्रशासन को समझना चाहिए. सुबह 3-4 घंटे जब लगातार दुकान खुलेगी, तो व्यापारी समाज को भी कुछ फायदा होगा और लोगों को भी सामान आसानी से मिल पाएगा.
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रायपुर में कुछ 40,000 के आसपास दुकानें होंगी, जिनमें से करीब 5-6 हजार मेडिकल स्टोर्स हैं और लगभग 6-7 हजार किराना की दुकानें होंगी. रायपुर में इन किराने की दुकान में करोड़ों का व्यापार हर महीने होता है. लगभग 20 दिन से दुकान बंद है, जिससे कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.
तेज धूप में गलियों में घूम-घूमकर बेचने पड़ रहे फल, फिर भी नहीं हो रही कमाई
फल विक्रेता मनोज सोनकर ने बताया कि लॉकडाउन में फल नहीं बिक रहे हैं, ग्राहक भी नहीं मिल रहे, ऐसे में घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो गया है. दोपहर 2 बजे तक का समय शासन-प्रशासन द्वारा दिया गया है. इसके बाद हम ठेला लगा नहीं सकते. ऐसे में ज्यादा कमाई नहीं हो पा रही और परिवार पालना भी मुश्किल हो गया है. मनोज ने बताया कि लॉकडाउन में फल भी बेचने हैं, ग्राहक नहीं आ रहे हैं, इससे हम काफी परेशान हैं. उन्होंने कहा कि तेज धूप में रोजाना हम ठेले पर फल लेकर तो निकलते हैं, लेकिन ग्राहक नहीं आने से हमें बहुत नुकसान होता है. मुश्किल से एक दिन में 300-400 की कमाई ही हो पाती है.
घर चलाना भी हुआ मुश्किल
किराना कारोबारी विजय ने बताया कि बच्चे की फीस भी चुकानी है. उसके लिए भी पैसा नहीं है. इसके अलावा मकान का किराया, दुकान का किराया भी देना है, लेकिन पैसे नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सारी सेविंग्स खत्म हो गई है. बैंक में जमा पैसे खत्म हो गए हैं. होम डिलीवरी भी किराना, फल, सब्जी, दूध जैसी चीजों के लिए है, लेकिन जो फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल या अन्य बिजनेस में हैं उनका क्या होगा, उनके भी तो परिवार हैं. अगर वे कमाएंगे नहीं, तो खाएंगे कहां से. कुल मिलाकर व्यापारियों का धंधा इस लॉकडाउन में बिल्कुल ठप है, ऐसे में उनके सामने परिवार चलाने की मुश्किलें हैं.