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बड़ा सवाल...राज्य सरकार और राजभवन में बार-बार टकराव, ऐसे में कैसे होगा छत्तीसगढ़ का विकास ?

Governor and Chief Minister face to face in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में लगातार राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराहट आम बात सी हो गई है. इस स्थिति के बारे में राजनीतिक सत्ता और विपक्ष की राय भी अलग-अलग है. जबकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मामला जो भी हो, यह स्थिति प्रदेश के विकास में बाधा उत्पन्न करेगी.

Governor and Chief Minister face to face in Chhattisgarh
राज्य सरकार और राजभवन में बार-बार टकराव
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Published : Feb 20, 2022, 7:57 PM IST

Updated : Feb 20, 2022, 9:10 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार और राजभवन के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई है. कभी सचिव नियुक्ति तो कभी कृषि संशोधन बिल के नाम पर. अभी ताजा टकराव कुलपति नियुक्ति के मामले पर है. ऐसे कई मौके आए जब राज्य सरकार और राजभवन विभिन्न विषयों को (Governor and Chief Minister face to face in Chhattisgarh) लेकर आमने-सामने रहे. ऐसे में छत्तीसगढ़ का विकास कैसे हो, यह एक बड़ा सवाल है. वर्तमान में एक बार फिर कुलपति की नियुक्ति का मामला चर्चा में है. मामला इतना तूल पकड़ता जा रहा है कि इसको लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को राजनीति नहीं करने की नसीहत दी है तो राज्यपाल ने भी सीएम को टारगेट करते हुए खुद के द्वारा संविधान के दायरे में रहकर काम करने की बात कही है.

राज्य सरकार और राजभवन में बार-बार टकराव

कब-कब राजभवन और राज्य सरकार हुए आमने-सामने, डालिए एक नजर

सुपेबेड़ा जाने के लिए हेलीकॉप्टर न मिलने का मामला : राज्यपाल ने गरियाबंद के सूपेबेड़ा गांव जाने की घोषणा की थी. उनका कहना था कि उन्होंने हेलीकॉप्टर मांगा था, जो उन्हें नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने कहा था कि उन्हें हेलीकॉप्टर मिले या नहीं मिले, वह वहां जाएंगी. इसको लेकर सरकार असहज हुई. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव खुद उनके साथ सुपेबेड़ा गए. यहीं से टकराव की शुरुआत हुई.

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने

कुलपतियों की नियुक्ति का मामला : विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से सरकार और राजभवन में ठन गई. राज्य सरकार की इच्छा के विपरीत कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आरएसएस पृष्ठभूमि के बलदेव राज शर्मा की कुलपति पद पर नियुक्ति से यह टकराव बढ़ गया था.

विश्वविद्यालय कानून में संशोधन का मामला : पिछले साल राज्य सरकार ने बजट सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम में बदलाव कर कुलपति नियुक्ति की प्रक्रिया में राज्यपाल का हस्तक्षेप सीमित कर दिया. राज्यपाल ने इस अधिनियम को वीटो कर दिया. इससे राजभवन और राज्य सरकार के बीच विवाद और गहरा गया.

झीरम रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने का मामला : 6 नवंबर 2021 को राज्यपाल अनुसुइया उइके को झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट सौंपी गई. यह रिपोर्ट आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्याय) संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी थी. इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी. राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने के बाद विवाद शुरू हो गया था.

यह भी पढ़ें : राजभवन-सरकार में टकराव! : राज्यपाल के फाइल लौटाने पर बोले सीएम, 'सत्र बुलाने से नहीं रोक सकतीं राज्यपाल'

बालोद में राज्यपाल और सीएम का एक-दूसरे पर पलटवार : बालोद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने कहा था कि आदिवासी क्षेत्रों में जबरदस्ती नगर पंचायत को नगरपालिका क्यों बना रहे हैं. इसकी शिकायत लगातार मेरे पास आ रही है. अगर मैं चाहूं तो सभी नगर पंचायत और नगरपालिका को निरस्त कर सकती हूं. इसके बाद मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा था कि राज्यपाल छत्तीसगढ़ियों की नियुक्ति को प्राथमिकता क्यों नहीं दे रहीं. नई नगर पंचायतों और नगरपालिका नहीं बना रही हैं, लेकिन जो बनी हैं उसे क्यों उजाड़ रही हैं. इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. वाइस चांसलर की नियुक्ति करने का अधिकार है तो वह छत्तीसगढ़िया की नियुक्ति क्यों नहीं करती हैं, क्या यहां प्रतिभा की कमी है. इसके अलावा भी कई बार ऐसे मौके आए, जब राज्य सरकार और राजभवन आमने-सामने रहे.

छत्तीसगढ़ के विद्वानों की नहीं होनी चाहिए उपेक्षा : रविन्द्र चौबे
स्थानीय कुलपति नियुक्ति की मांग को सरकार के प्रवक्ता एवं कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने भी सही ठहराया है. उन्होंने कहा है कि मैं महामहिम की नाराजगी पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन छत्तीसगढ़ में यहां के विद्वानों की उपेक्षा होनी ही नहीं चाहिए. अगर यह अध्यापकों की, वैज्ञानिकों की, शोधकर्ताओं की, रिसर्चर की और स्टूडेंट की मांग है तो मैं उनकी मांगों के साथ हूं.

यह भी पढ़ें : उत्कृष्ट कार्य वालों को राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने राज्य अलंकरण से किया सम्मानित

क्या छात्र राज्यपाल के समक्ष अपनी बात नहीं रख सकते : भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी स्थानीय कुलपति की नियुक्ति का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल तो किसी से भी मिलने चली जाती हैं, तो इस बार उन्हें तकलीफ क्यों हो रही है. यहां प्रतिभा है तो उनकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए. राज्यपाल हमारे संवैधानिक प्रमुख हैं, बघेल ने पूछा कि क्या छात्र राज्यपाल के समक्ष अपनी बात नहीं रख सकते हैं.

राज्यपाल की किस बात पर मचा है हंगामा...
राज्यपाल का एक बयान आया था. उन्होंने कहा था कि स्थानीय व्यक्ति को कुलपति बनाया जाए ठीक है. छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत ट्राइबल, 14 प्रतिशत एससी और बाकी पिछड़ा वर्ग के लोग हैं. क्या आप चाहते हैं कि एक ही समाज के लोग केवल कुलपति बनें, अन्य समाज के नहीं. सभी समाज को मौका मिलना चाहिए. संविधान के तहत ही नियुक्ति होगी.

छत्तीसगढ़ के मुखिया कर रहे ऐसी बात, यह संवैधानिक संस्था का अपमान : कौशिक
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ में कोई भी इंस्टीट्यूशन हो, संवैधानिक संस्था हो तो बताएं जिसको तार-तार करने से कांग्रेस पीछे नहीं है. कांग्रेस कुलपति नियुक्ति मामले को भी राजनीति का अखाड़ा बनाने का काम कर रही है. छत्तीसगढ़ के मुखिया ऐसी बात कर रहे हैं. निश्चित रूप से यह संवैधानिक संस्था का अपमान है.

राज्यपाल के हिसाब से नहीं चल रहा राज्य सरकार का मन, इसीलिए यह स्थिति : शशांक
राजनीतिक जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि सिर्फ दो-ढाई वर्षों में राज्य सरकार और राज भवन के बीच इस तरह की परिस्थिति दिख रही है. राज्यपाल को कुलपतियों की नियुक्ति का अपना एक विशेष अधिकार होता है. वह खुलकर अपने अधिकारों का प्रयोग कर रही हैं. यही कारण है कि राज्य सरकार का मन उनके हिसाब से नहीं चल रहा है. इसलिए बार-बार इस तरह की स्थिति बन रही है.

बहरहाल देखने वाली बात है कि राज्य सरकार और राजभवन के बीच बार-बार बन रही टकराव की स्थिति पर कब तक विराम लगता है. विराम लगता भी है या फिर आएदिन इस तरह की परिस्थिति बनती रहेगी. मामला चाहे जो भी हो, निश्चित रूप से ऐसी टकराव की स्थिति छत्तीसगढ़ की सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं हो सकता.

रायपुर : छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार और राजभवन के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई है. कभी सचिव नियुक्ति तो कभी कृषि संशोधन बिल के नाम पर. अभी ताजा टकराव कुलपति नियुक्ति के मामले पर है. ऐसे कई मौके आए जब राज्य सरकार और राजभवन विभिन्न विषयों को (Governor and Chief Minister face to face in Chhattisgarh) लेकर आमने-सामने रहे. ऐसे में छत्तीसगढ़ का विकास कैसे हो, यह एक बड़ा सवाल है. वर्तमान में एक बार फिर कुलपति की नियुक्ति का मामला चर्चा में है. मामला इतना तूल पकड़ता जा रहा है कि इसको लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को राजनीति नहीं करने की नसीहत दी है तो राज्यपाल ने भी सीएम को टारगेट करते हुए खुद के द्वारा संविधान के दायरे में रहकर काम करने की बात कही है.

राज्य सरकार और राजभवन में बार-बार टकराव

कब-कब राजभवन और राज्य सरकार हुए आमने-सामने, डालिए एक नजर

सुपेबेड़ा जाने के लिए हेलीकॉप्टर न मिलने का मामला : राज्यपाल ने गरियाबंद के सूपेबेड़ा गांव जाने की घोषणा की थी. उनका कहना था कि उन्होंने हेलीकॉप्टर मांगा था, जो उन्हें नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने कहा था कि उन्हें हेलीकॉप्टर मिले या नहीं मिले, वह वहां जाएंगी. इसको लेकर सरकार असहज हुई. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव खुद उनके साथ सुपेबेड़ा गए. यहीं से टकराव की शुरुआत हुई.

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने

कुलपतियों की नियुक्ति का मामला : विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से सरकार और राजभवन में ठन गई. राज्य सरकार की इच्छा के विपरीत कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आरएसएस पृष्ठभूमि के बलदेव राज शर्मा की कुलपति पद पर नियुक्ति से यह टकराव बढ़ गया था.

विश्वविद्यालय कानून में संशोधन का मामला : पिछले साल राज्य सरकार ने बजट सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम में बदलाव कर कुलपति नियुक्ति की प्रक्रिया में राज्यपाल का हस्तक्षेप सीमित कर दिया. राज्यपाल ने इस अधिनियम को वीटो कर दिया. इससे राजभवन और राज्य सरकार के बीच विवाद और गहरा गया.

झीरम रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने का मामला : 6 नवंबर 2021 को राज्यपाल अनुसुइया उइके को झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट सौंपी गई. यह रिपोर्ट आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्याय) संतोष कुमार तिवारी ने सौंपी थी. इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी. राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने के बाद विवाद शुरू हो गया था.

यह भी पढ़ें : राजभवन-सरकार में टकराव! : राज्यपाल के फाइल लौटाने पर बोले सीएम, 'सत्र बुलाने से नहीं रोक सकतीं राज्यपाल'

बालोद में राज्यपाल और सीएम का एक-दूसरे पर पलटवार : बालोद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने कहा था कि आदिवासी क्षेत्रों में जबरदस्ती नगर पंचायत को नगरपालिका क्यों बना रहे हैं. इसकी शिकायत लगातार मेरे पास आ रही है. अगर मैं चाहूं तो सभी नगर पंचायत और नगरपालिका को निरस्त कर सकती हूं. इसके बाद मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा था कि राज्यपाल छत्तीसगढ़ियों की नियुक्ति को प्राथमिकता क्यों नहीं दे रहीं. नई नगर पंचायतों और नगरपालिका नहीं बना रही हैं, लेकिन जो बनी हैं उसे क्यों उजाड़ रही हैं. इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. वाइस चांसलर की नियुक्ति करने का अधिकार है तो वह छत्तीसगढ़िया की नियुक्ति क्यों नहीं करती हैं, क्या यहां प्रतिभा की कमी है. इसके अलावा भी कई बार ऐसे मौके आए, जब राज्य सरकार और राजभवन आमने-सामने रहे.

छत्तीसगढ़ के विद्वानों की नहीं होनी चाहिए उपेक्षा : रविन्द्र चौबे
स्थानीय कुलपति नियुक्ति की मांग को सरकार के प्रवक्ता एवं कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने भी सही ठहराया है. उन्होंने कहा है कि मैं महामहिम की नाराजगी पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन छत्तीसगढ़ में यहां के विद्वानों की उपेक्षा होनी ही नहीं चाहिए. अगर यह अध्यापकों की, वैज्ञानिकों की, शोधकर्ताओं की, रिसर्चर की और स्टूडेंट की मांग है तो मैं उनकी मांगों के साथ हूं.

यह भी पढ़ें : उत्कृष्ट कार्य वालों को राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने राज्य अलंकरण से किया सम्मानित

क्या छात्र राज्यपाल के समक्ष अपनी बात नहीं रख सकते : भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी स्थानीय कुलपति की नियुक्ति का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल तो किसी से भी मिलने चली जाती हैं, तो इस बार उन्हें तकलीफ क्यों हो रही है. यहां प्रतिभा है तो उनकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए. राज्यपाल हमारे संवैधानिक प्रमुख हैं, बघेल ने पूछा कि क्या छात्र राज्यपाल के समक्ष अपनी बात नहीं रख सकते हैं.

राज्यपाल की किस बात पर मचा है हंगामा...
राज्यपाल का एक बयान आया था. उन्होंने कहा था कि स्थानीय व्यक्ति को कुलपति बनाया जाए ठीक है. छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत ट्राइबल, 14 प्रतिशत एससी और बाकी पिछड़ा वर्ग के लोग हैं. क्या आप चाहते हैं कि एक ही समाज के लोग केवल कुलपति बनें, अन्य समाज के नहीं. सभी समाज को मौका मिलना चाहिए. संविधान के तहत ही नियुक्ति होगी.

छत्तीसगढ़ के मुखिया कर रहे ऐसी बात, यह संवैधानिक संस्था का अपमान : कौशिक
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ में कोई भी इंस्टीट्यूशन हो, संवैधानिक संस्था हो तो बताएं जिसको तार-तार करने से कांग्रेस पीछे नहीं है. कांग्रेस कुलपति नियुक्ति मामले को भी राजनीति का अखाड़ा बनाने का काम कर रही है. छत्तीसगढ़ के मुखिया ऐसी बात कर रहे हैं. निश्चित रूप से यह संवैधानिक संस्था का अपमान है.

राज्यपाल के हिसाब से नहीं चल रहा राज्य सरकार का मन, इसीलिए यह स्थिति : शशांक
राजनीतिक जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि सिर्फ दो-ढाई वर्षों में राज्य सरकार और राज भवन के बीच इस तरह की परिस्थिति दिख रही है. राज्यपाल को कुलपतियों की नियुक्ति का अपना एक विशेष अधिकार होता है. वह खुलकर अपने अधिकारों का प्रयोग कर रही हैं. यही कारण है कि राज्य सरकार का मन उनके हिसाब से नहीं चल रहा है. इसलिए बार-बार इस तरह की स्थिति बन रही है.

बहरहाल देखने वाली बात है कि राज्य सरकार और राजभवन के बीच बार-बार बन रही टकराव की स्थिति पर कब तक विराम लगता है. विराम लगता भी है या फिर आएदिन इस तरह की परिस्थिति बनती रहेगी. मामला चाहे जो भी हो, निश्चित रूप से ऐसी टकराव की स्थिति छत्तीसगढ़ की सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं हो सकता.

Last Updated : Feb 20, 2022, 9:10 PM IST
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