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भूपेश सरकार का फैसला: अब आसानी से मिलेगी शहरी क्षेत्रों में आवास और व्यवसाय के लिए जमीन

छत्तीसगढ़ में शहरी क्षेत्रों में आवासीय, व्यवसाय के साथ अन्य कामों के लिए आसानी से भूमि आवंटन को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. इसके लिए संबंधित अधिकारियों को भी निर्देश जारी किए गए हैं.

Government land will now be easily available for housing
सीएम बघेल ने लिए शासकीय जमीन से जुड़े कई जरूरी फैसले
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Published : Jun 13, 2020, 8:24 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि पर काबिज लोगों के साथ अन्य लोगों को आवासीय और व्यावसायिक के साथ अन्य काम के लिए शासकीय भूमि सहजता से आवंटित हो सके, इसके लिए कई फैसले लिए गए हैं. इसके तहत शासकीय भूमि के आवंटन और व्यवस्थापन के संबंध में राज्य शासन की ओर से छत्तीसगढ़ राजस्व पुस्तक परिपत्र के खण्ड चार-1 और खण्ड चार-2 के प्रावधानों में आंशिक संशोधन करते हुए इसे अब और सरल करते हुए कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं.

इस फैसले से जिला स्तर पर भूमि आवंटन और व्यवस्थापन के मामलों को पूरी पारदर्शिता के साथ सहजता से जल्द हल किया जा सकेगा. भूमि आवंटन की सरलीकृत प्रक्रिया का लाभ कब्जाधारियों सहित अन्य इच्छुक लोगों को मिल सकेगा. राज्य शासन की ओर से केन्द्र और राज्य के विभागों और निगमों, मंडलों और आयोगों को शासकीय भूमि के आवंटन करने का अधिकार कलेक्टरों को दिया गया है. नगरीय क्षेत्र में 7500 वर्गफीट तक शासकीय भूमि का 30 वर्षीय पट्टे पर आवंटन और अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन का अधिकार भी कलेक्टर को दिया गया है. 7500 वर्गफीट से ज्यादा शासकीय भूमि के आवंटन और अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा.

शासकीय भूमि का आवंटन

शहर और गांव निवेश के अधिसूचित विकास योजना के तरह ही नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि का आवंटन और अतिक्रमित शासकीय भूमि का व्यवस्थापन हो सकेगा. नगरीय निकायों को व्यावसायिक प्रयोजन के लिए भू-खण्ड का आवंटन के लिए प्रब्याजि का निर्धारण गाइडलाइन के 25 प्रतिशत के बराबर मूल्य पर किया जाएगा. शासकीय भूमि का आबंटन किसी भी व्यक्ति या संस्था को करते समय देय प्रब्याजि का निर्धारण पहले से जारी गाइडलाइन के आधार पर किया जाएगा. इसी तरह किसी शासकीय भू-खण्ड के आवंटन के लिए दो या दो से ज्यादा व्यक्ति या संस्था का आवेदन प्राप्त होने पर प्रचलित गाइडलाइन के दर पर निर्धारित की गई प्रीमियम दर को आफसेट मानते हुए नीलामी के माध्यम से सर्वाधिक बोली लगाने वाले को किया जाएगा.

ऐसे मिलेगी छूट

राज्य शासन ने भूमि स्वामी या पट्टेदार को भू-भाटक की अदायगी के मामले में भी विशेष रियायती दी है. भू-भाटक की राशि का 15 साल का एकमुश्त भुगतान करने पर भूमि स्वामी या पट्टेदार को अगले 15 वर्ष (16वें वर्ष से 30वें वर्ष तक) के भू-भाटक से छूट रहेगी. सरकार के इस फैसले से भू-भाटक के भुगतान की परेशानियों से भी लोगों को राहत मिलेगी.

आपदा प्रबंधन विभाग ने दी जानकारी

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि जिला स्तर पर शासकीय भूमि के आवंटन और अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन के संबंध में सभी कलेक्टर को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं. भूमि आवंटन के संबंध में मिलने वाले आवेदनों का परीक्षण जिला स्तरीय समिति की ओर से किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि रियायती और गैर रियायती दर पर मिलने वाले पट्टों की जमीन को भूमि स्वामी हक में परिवर्तन के लिए निर्धारित मूल्य से 2 प्रतिशत ज्यादा राशि देनी होगी.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ सरकार का नया फरमान, सुबह 5 से रात 9 बजे तक खुलेंगी दुकानें

भूमि आवंटन या व्यवस्थापन और भूमि स्वामी हक में परिवर्तन से संबंधित सभी प्रकरणों में इश्तहार प्रकाशन, दावा-आपत्ति की प्रक्रिया और विधिवत सुनवाई किया जाना है. कलेक्टर भूमि आवंटन और व्यवस्थापन के मामले में सिर्फ ऐसी भूमि का ही आवंटन कर सकेंगे, जिसे लोक बाधा, स्वास्थ्य सुरक्षा, जन सुविधा, लोक प्रयोजन और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सुरक्षित रखने की जरूरत न हो. आवंटन योग्य भूमि का चिन्हांकन कर भुईंया सॉफ्टवेयर में अपलोड कराकर शासकीय विभागों को भूमि की आवश्यकता के संबंध में प्रस्ताव देकर आवंटित किया जाएगा.

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि पर काबिज लोगों के साथ अन्य लोगों को आवासीय और व्यावसायिक के साथ अन्य काम के लिए शासकीय भूमि सहजता से आवंटित हो सके, इसके लिए कई फैसले लिए गए हैं. इसके तहत शासकीय भूमि के आवंटन और व्यवस्थापन के संबंध में राज्य शासन की ओर से छत्तीसगढ़ राजस्व पुस्तक परिपत्र के खण्ड चार-1 और खण्ड चार-2 के प्रावधानों में आंशिक संशोधन करते हुए इसे अब और सरल करते हुए कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं.

इस फैसले से जिला स्तर पर भूमि आवंटन और व्यवस्थापन के मामलों को पूरी पारदर्शिता के साथ सहजता से जल्द हल किया जा सकेगा. भूमि आवंटन की सरलीकृत प्रक्रिया का लाभ कब्जाधारियों सहित अन्य इच्छुक लोगों को मिल सकेगा. राज्य शासन की ओर से केन्द्र और राज्य के विभागों और निगमों, मंडलों और आयोगों को शासकीय भूमि के आवंटन करने का अधिकार कलेक्टरों को दिया गया है. नगरीय क्षेत्र में 7500 वर्गफीट तक शासकीय भूमि का 30 वर्षीय पट्टे पर आवंटन और अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन का अधिकार भी कलेक्टर को दिया गया है. 7500 वर्गफीट से ज्यादा शासकीय भूमि के आवंटन और अतिक्रमित शासकीय भूमि के व्यवस्थापन का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा.

शासकीय भूमि का आवंटन

शहर और गांव निवेश के अधिसूचित विकास योजना के तरह ही नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूमि का आवंटन और अतिक्रमित शासकीय भूमि का व्यवस्थापन हो सकेगा. नगरीय निकायों को व्यावसायिक प्रयोजन के लिए भू-खण्ड का आवंटन के लिए प्रब्याजि का निर्धारण गाइडलाइन के 25 प्रतिशत के बराबर मूल्य पर किया जाएगा. शासकीय भूमि का आबंटन किसी भी व्यक्ति या संस्था को करते समय देय प्रब्याजि का निर्धारण पहले से जारी गाइडलाइन के आधार पर किया जाएगा. इसी तरह किसी शासकीय भू-खण्ड के आवंटन के लिए दो या दो से ज्यादा व्यक्ति या संस्था का आवेदन प्राप्त होने पर प्रचलित गाइडलाइन के दर पर निर्धारित की गई प्रीमियम दर को आफसेट मानते हुए नीलामी के माध्यम से सर्वाधिक बोली लगाने वाले को किया जाएगा.

ऐसे मिलेगी छूट

राज्य शासन ने भूमि स्वामी या पट्टेदार को भू-भाटक की अदायगी के मामले में भी विशेष रियायती दी है. भू-भाटक की राशि का 15 साल का एकमुश्त भुगतान करने पर भूमि स्वामी या पट्टेदार को अगले 15 वर्ष (16वें वर्ष से 30वें वर्ष तक) के भू-भाटक से छूट रहेगी. सरकार के इस फैसले से भू-भाटक के भुगतान की परेशानियों से भी लोगों को राहत मिलेगी.

आपदा प्रबंधन विभाग ने दी जानकारी

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि जिला स्तर पर शासकीय भूमि के आवंटन और अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन के संबंध में सभी कलेक्टर को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं. भूमि आवंटन के संबंध में मिलने वाले आवेदनों का परीक्षण जिला स्तरीय समिति की ओर से किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि रियायती और गैर रियायती दर पर मिलने वाले पट्टों की जमीन को भूमि स्वामी हक में परिवर्तन के लिए निर्धारित मूल्य से 2 प्रतिशत ज्यादा राशि देनी होगी.

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भूमि आवंटन या व्यवस्थापन और भूमि स्वामी हक में परिवर्तन से संबंधित सभी प्रकरणों में इश्तहार प्रकाशन, दावा-आपत्ति की प्रक्रिया और विधिवत सुनवाई किया जाना है. कलेक्टर भूमि आवंटन और व्यवस्थापन के मामले में सिर्फ ऐसी भूमि का ही आवंटन कर सकेंगे, जिसे लोक बाधा, स्वास्थ्य सुरक्षा, जन सुविधा, लोक प्रयोजन और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सुरक्षित रखने की जरूरत न हो. आवंटन योग्य भूमि का चिन्हांकन कर भुईंया सॉफ्टवेयर में अपलोड कराकर शासकीय विभागों को भूमि की आवश्यकता के संबंध में प्रस्ताव देकर आवंटित किया जाएगा.

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