रायपुर: दिल्ली के तर्ज पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी किसानों का आंदोलन लगातार (Farmers movement in raipur) जारी है. दिल्ली में कृषि बिल के विरोध में किसान आंदोलनरत थे, लेकिन छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के प्रभावित किसान अपने जमीन के बदले जमीन और मुआवजा को लेकर आंदोलनरत हैं. किसानों की मांगों पर चर्चा करने के लिए आज एक महत्वपूर्ण बैठक सरकार ने बुलाई थी. इस बैठक में किसान संगठन के नेता शामिल नहीं हुए. जिस वजह से किसान और सरकार के बीच बातचीत नहीं हो सकी.
आज किसानों के आंदोलन खत्म करने को लेकर नवा रायपुर में बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में मंत्री मोहम्मद अकबर, मंत्री शिव डहरिया, विधायक धनेंद्र साहू, शामिल हुए. सरकार ने स्पष्ट किया है कि जल्द ही दूसरी तिथि पर किसानों से बातचीत के लिए एक बैठक बुलाई जाएगी. उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा.
बैठक में शामिल नहीं हुए किसान नेता
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि बैठक में किसानों को बुलाया गया. लेकिन किसान नेता बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचे. किसान नेता आते तो उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक चर्चा की जाती. किसान नेताओं ने सूचना भेजी कि उनके कुछ नेता नहीं है. इसलिए वे नहीं आ सके. किसानों ने अगली बैठक में आने की बात कही है. जल्द अगली बैठक की तारीख तय कर उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा.
मंत्रियों ने कहा, किसानों को मिलेगा न्याय
इस विषय में नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि किसानों को लिखित में बैठक का न्योता भेजा गया था. किसान आते तो उनकी मांगें सुनी जाती. कई किसान ऐसे हैं जिनको मुआवजा और पट्टा मिल चुका है. वे फिर से मांग रहे हैं. ये राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है. जिन किसानों को मुआवजा और पट्टा नहीं मिला उनके लिए सर्वे कराया था. लेकिन ये सर्वे भी नहीं होने दिया गया. विधायक धनेंद्र साहू ने कहा कि किसान नेता एकजुट हैं, या नहीं इस पर मैं कुछ टिप्पणी नहीं करूंगा. वे आते तो उनकी मांगों को पूरा करने का कोई हल निकाला जाता.
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27 गांवों के किसान हड़ताल पर
गौर हो कि 3 जनवरी से करीब 27 गांव के किसान अपनी मांगों को लेकर नवा रायपुर में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. बीते 1 सप्ताह से मौसम खराब होने के बाद भी बारिश और ओलावृष्टि के बीच अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है. साल 2013 में भाजपा सरकार और प्रभावित किसानों के बीच आपसी समझौता हुआ था. नियम और शर्तों के साथ किसानों ने अपनी जमीन नई राजधानी के लिए दे दी. जिसमें कयाबांधा, राखी, बरौंदा, नवागांव, कोटराभाठा जैसे 27 गांव के लगभग 6,000 किसान प्रभावित हुए हैं. कई किसानों को मुआवजा राशि के साथ ही पुनर्वास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है और ना ही किसी तरह का रोजगार उपलब्ध कराया गया है. इसी मुद्दे पर किसान अब गुस्से में हैं.