रायपुर: राजधानी रायपुर के नजदीक माना स्थित सिविल अस्पताल में एक हजार से अधिक लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया (Chhattisgarh Cataract Blindness Free State) गया है. मोतियाबिंद का ऑपरेशन और आंखों की जांच के लिए यहां 6 नेत्र सर्जन, एक फिजिशियन, 6 नेत्र सहायक अधिकारी और 22 पैरामेडिकल स्टाफ सहित कुल 35 लोगों की टीम काम कर रही है. Chhattisgarh News
माना सिविल अस्पताल में आंखों की जांच, इलाज और ऑपरेशन की बेहतर सुविधाएं विकसित की गई हैं. यहां मरीजों के लिए 100 बिस्तरों की व्यवस्था है. अस्पताल में अब तक एक हजार एक मरीजों की आंखों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है. इनमें से 202 मरीज डायबिटिज व हाइपरटेंशन से भी पीड़ित थे, जिसे नियंत्रित करने के बाद ऑपरेशन किया गया. यहां मोतियाबिंद से पीड़ित 90 साल के बुजुर्ग का भी सफल ऑपरेशन किया गया है. अस्पताल में आंखों के उपचार के लिए निकट भविष्य में और भी सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा.
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अत्याधुनिक फेको तकनीक से इलाज: अंधत्व निवारण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया " छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. मोतियाबिंद के उपचार की अत्याधुनिक फेको तकनीक के माध्यम से पीड़ितों का उपचार किया जा रहा है. ऑपरेशन की इस विधि में आंख में महज एक बारिक छेद किया जाता है, जिसके माध्यम से मोतियाबिंद को आंख के अंदर ही घोल दिया जाता है. इस छेद के जरिए ही फोल्डेबल लेंस को आंख के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है."
6 सर्जन सहित 35 लोगों की टीम: डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, "आंखों की जांच और ऑपरेशन के लिए माना सिविल अस्पताल में अभी 6 सर्जन सहित कुल 35 लोगों की टीम काम कर रही है. सोमवार को ग्लाकोमा, गुरूवार को रेटिना और शनिवार को बच्चों में आंख की बीमारी की विशेष जांच की जाती है. रेटिना संबंधी विकारों के लिए ग्रीन लेजर की सुविधा भी अस्पताल में उपलब्ध है. माना में रायपुर जिले के साथ ही अन्य जिलों के 22 नेत्र रोगियों का भी ऑपरेशन किया जा चुका है. मरीजों को लाने व ले जाने की निःशुल्क सुविधा अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है. ऑपरेशन के बाद मरीजों के नियमित फॉलोअप के साथ निःशुल्क दवा और चश्मा भी दिया जा रहा है. "