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SPECIAL: छत्तीसगढ़ सरकार के 2 साल: धान, किसान, छत्तीसगढ़िया अस्मिता पर रहा फोकस

दो साल के कार्यकाल को लेकर बघेल सरकार ने अपना लेखा-जोखा भी प्रस्तुत कर दिया है. इस कार्यकाल में धान, किसान और छत्तीसगढ़ की अस्मिता को बढ़ाने का काम ही सरकार के केंद्र बिंदु में रहा. सरकार की तमाम योजनाओं के केंद्र में धान और किसान है. राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे कामों को लेकर ETV भारत ने उद्योग जगत , व्यापार जगत के प्रमुखों और बुद्धिजीवियों से बात की है.

two year tenure of chhattisgarh government
सरकार के दो साल का लेखा-जोखा
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Published : Dec 20, 2020, 6:34 PM IST

रायपुर: 17 दिसंबर 2018 को कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 15 साल के सत्ता का वनवास खत्म किया और भूपेश बघेल की अगुवाई में सरकार का गठन हुआ. भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली. जनघोषणा पत्र के जिन 36 वादों पर जनता की मुहर के साथ कांग्रेस को सत्ता का सिंहासन मिला. छत्तीसगढ़ सरकार को 2 साल पूरे हो चुके हैं. दो साल के कार्यकाल को लेकर बघेल सरकार ने अपना लेखा-जोखा भी प्रस्तुत कर दिया है. छत्तीसगढ़ के 2 साल के कार्यकाल में धान, किसान और छत्तीसगढ़ की अस्मिता को बढ़ाने का काम ही सरकार के केंद्र बिंदु में हो रहा है. सरकार की तमाम योजनाओं के केंद्र में धान और किसान ही हैं. राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे कामों को लेकर हमने उद्योग व्यापार और बुद्धिजीवियों से बात की है.

सरकार के दो साल का लेखा-जोखा
सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का दावा है कि, कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ियों की अपनी सरकार है. किसानों से हमने जो वादे किए हैं. वो वादे लगातार निभा रहे हैं. 2500 रुपए का समर्थन मूल्य देने पर केंद्र से हुई नाराजगी के बाद भी किसानों को राशि दी जा रही है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना बनाकर किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य देने के अपने वादे को सरकार निभा रही है.

छत्तीसगढ़ में 40 फीसदी भूमि खेती की, जीडीपी में 20% हिस्सा धान का
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. राज्य बनने के बाद से अब तक छत्तीसगढ़ में धान राजनीति का केंद्र रहा है. राज्य की 43% कृषि योग्य भूमि में मुख्य फसल धान की होती है और यहां की लगभग 80 फीसदी आबादी कृषि से जुड़ी हुई है. कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों का राज्य की जीएसडीपी में 20% से ज्यादा योगदान है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2018-2019 में 80.40 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था. इसमें राज्य में 42. 40 लाख टन धान खप जाता है. जबकि 38 लाख टन सरप्लस धान बच जाता है. राज्य में कुल 32 लाख किसान है. पिछले साल 19 लाख किसानों ने अपना पंजीयन करवाया था. वहीं इस साल 21 लाख 50 हजार किसानों ने धान खरीदी के लिए अपना पंजीयन कराया है. ऐसे में सरकारी धान खरीदी को लेकर किसानों में विश्वास बढ़ा है।

पहले साल सिर्फ 4.63 लाख धान की खरीदी हुई थी
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद साल 2000 में पहली बार सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदा था. उस दौरान करीब 4.63 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा गया था. जबकि 2014 आते तक यह आंकड़ा 80 लाख मैट्रिक टन हो गया था. वहीं अब सरकार ने 90 लाख मैट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है.

छत्तीसगढ़िया अस्मिता को मिली नई पहचान
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद धान और किसान के साथ ही छत्तीसगढ़िया अस्मिता को लेकर नए सिरे से काम किया जा रहा है. इसे लेकर लोगों में भी सरकार की ओर झुकाव दिख रहा है. राजनीतिक विश्लेषक के एन किशोर कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़िया अस्मिता को लेकर सरकार ने 2 सालों में लोगों को जोड़ने में काम किया है. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक तीज त्योहारों का न केवल बड़े स्तर पर आयोजन हो रहा है बल्कि इससे लोगों को जोड़ा भी जा रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद तमाम छत्तीसगढ़ी के त्योहारों को मुख्यमंत्री निवास में मनाते नजर आए हैं. छत्तीसगढ़ के तीज त्योहारों पर राज्य सरकार की ओर से अवकाश भी दिए जाने लगे हैं. ऐसे में धान किसान के साथ छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान को लेकर सरकार एजेंडे पर काम कर रही है.


धान और किसान से व्यापार उद्योग को भी मिला फायदा
आज छत्तीसगढ़ में धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल है.छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष राजेंद्र जग्गी कहते है कि कोरोना के काल में देशभर में मंदी के हालात हैं. इसके बावजूद भी छत्तीसगढ़ में दूसरे राज्यों के मुकाबले असर कम ही हुआ है. किसानों को धान का सही दाम मिलने के कारण मार्केट में फ्लो बना रहा. बड़े पैमाने पर किसानों ने इस साल धान की बंपर खेती की है. ऐसे में इस साल भी मार्केट में बड़ा ग्रोथ होगा. इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से उद्योगों के लिए नई औद्योगिक नीति में उद्योगों को कई तरह की रियायत भी दी जा रही है. जिससे उद्योगपतियों को भी फायदा हुआ है.


लॉ एंड आर्डर को लेकर भी लोगों में बढ़ा भरोसा
कानून से जुड़े जानकार कहते हैं कि, खेती किसानी में सही दाम मिलने के कारण जो लोग खेती नहीं कर रहे थे, वे भी अब खेती -किसानी की ओर आकर्षित हो रहे हैं. प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर दिखता है.

रायपुर: 17 दिसंबर 2018 को कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 15 साल के सत्ता का वनवास खत्म किया और भूपेश बघेल की अगुवाई में सरकार का गठन हुआ. भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली. जनघोषणा पत्र के जिन 36 वादों पर जनता की मुहर के साथ कांग्रेस को सत्ता का सिंहासन मिला. छत्तीसगढ़ सरकार को 2 साल पूरे हो चुके हैं. दो साल के कार्यकाल को लेकर बघेल सरकार ने अपना लेखा-जोखा भी प्रस्तुत कर दिया है. छत्तीसगढ़ के 2 साल के कार्यकाल में धान, किसान और छत्तीसगढ़ की अस्मिता को बढ़ाने का काम ही सरकार के केंद्र बिंदु में हो रहा है. सरकार की तमाम योजनाओं के केंद्र में धान और किसान ही हैं. राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे कामों को लेकर हमने उद्योग व्यापार और बुद्धिजीवियों से बात की है.

सरकार के दो साल का लेखा-जोखा
सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का दावा है कि, कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ियों की अपनी सरकार है. किसानों से हमने जो वादे किए हैं. वो वादे लगातार निभा रहे हैं. 2500 रुपए का समर्थन मूल्य देने पर केंद्र से हुई नाराजगी के बाद भी किसानों को राशि दी जा रही है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना बनाकर किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य देने के अपने वादे को सरकार निभा रही है.

छत्तीसगढ़ में 40 फीसदी भूमि खेती की, जीडीपी में 20% हिस्सा धान का
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. राज्य बनने के बाद से अब तक छत्तीसगढ़ में धान राजनीति का केंद्र रहा है. राज्य की 43% कृषि योग्य भूमि में मुख्य फसल धान की होती है और यहां की लगभग 80 फीसदी आबादी कृषि से जुड़ी हुई है. कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों का राज्य की जीएसडीपी में 20% से ज्यादा योगदान है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2018-2019 में 80.40 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था. इसमें राज्य में 42. 40 लाख टन धान खप जाता है. जबकि 38 लाख टन सरप्लस धान बच जाता है. राज्य में कुल 32 लाख किसान है. पिछले साल 19 लाख किसानों ने अपना पंजीयन करवाया था. वहीं इस साल 21 लाख 50 हजार किसानों ने धान खरीदी के लिए अपना पंजीयन कराया है. ऐसे में सरकारी धान खरीदी को लेकर किसानों में विश्वास बढ़ा है।

पहले साल सिर्फ 4.63 लाख धान की खरीदी हुई थी
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद साल 2000 में पहली बार सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदा था. उस दौरान करीब 4.63 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा गया था. जबकि 2014 आते तक यह आंकड़ा 80 लाख मैट्रिक टन हो गया था. वहीं अब सरकार ने 90 लाख मैट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है.

छत्तीसगढ़िया अस्मिता को मिली नई पहचान
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद धान और किसान के साथ ही छत्तीसगढ़िया अस्मिता को लेकर नए सिरे से काम किया जा रहा है. इसे लेकर लोगों में भी सरकार की ओर झुकाव दिख रहा है. राजनीतिक विश्लेषक के एन किशोर कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़िया अस्मिता को लेकर सरकार ने 2 सालों में लोगों को जोड़ने में काम किया है. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक तीज त्योहारों का न केवल बड़े स्तर पर आयोजन हो रहा है बल्कि इससे लोगों को जोड़ा भी जा रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद तमाम छत्तीसगढ़ी के त्योहारों को मुख्यमंत्री निवास में मनाते नजर आए हैं. छत्तीसगढ़ के तीज त्योहारों पर राज्य सरकार की ओर से अवकाश भी दिए जाने लगे हैं. ऐसे में धान किसान के साथ छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान को लेकर सरकार एजेंडे पर काम कर रही है.


धान और किसान से व्यापार उद्योग को भी मिला फायदा
आज छत्तीसगढ़ में धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल है.छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष राजेंद्र जग्गी कहते है कि कोरोना के काल में देशभर में मंदी के हालात हैं. इसके बावजूद भी छत्तीसगढ़ में दूसरे राज्यों के मुकाबले असर कम ही हुआ है. किसानों को धान का सही दाम मिलने के कारण मार्केट में फ्लो बना रहा. बड़े पैमाने पर किसानों ने इस साल धान की बंपर खेती की है. ऐसे में इस साल भी मार्केट में बड़ा ग्रोथ होगा. इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से उद्योगों के लिए नई औद्योगिक नीति में उद्योगों को कई तरह की रियायत भी दी जा रही है. जिससे उद्योगपतियों को भी फायदा हुआ है.


लॉ एंड आर्डर को लेकर भी लोगों में बढ़ा भरोसा
कानून से जुड़े जानकार कहते हैं कि, खेती किसानी में सही दाम मिलने के कारण जो लोग खेती नहीं कर रहे थे, वे भी अब खेती -किसानी की ओर आकर्षित हो रहे हैं. प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर दिखता है.

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