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Govardhan puja 2021: इस दिन खुश रहना है जरूरी, जानिए क्यों

दिवाली (Diwali) के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan puja 2021) की जाती है. इसे अन्नकूट महोत्सव (Annakoot Festival) भी कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण (Bhagwan krishn) को छप्पन भोग (Chhappan bhog) लगाया जाता है. साथ ही गाय (Cow) की पूजा (Puja) की जाती है.

Govardhan Puja is celebrated on the second day of Diwali
दिवाली के दूसरे मनाई जाती है गोवर्धन पूजा
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Published : Nov 4, 2021, 12:03 PM IST

Updated : Nov 5, 2021, 6:21 AM IST

रायपुरः कार्तिक माह में अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा (Govardhan puja 2021) की जाती है. इस बार यह त्योहार 5 नवंबर शुक्रवार को है. इसी दिन अन्नकूट महोत्सव (Annakoot Festival) भी मनाया जाता है.कहते हैं कि इस दिन खुश रहने से काफी लाभ मिलता है.

दीपावली पर स्थिर लग्न में करें माता की आराधना, मिलेगी अपार धन दौलत

इस दिन खुश रहना जरूरी

अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही दारिद्र का नाश होकर मनुष्य जीवनपर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है. ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो वह वर्षभर दुखी ही रहेगा. इसलिए हर मनुष्य को इस दिन प्रसन्न रहकर भगवान श्रीकृष्‍ण (Bhagwan krishn) के प्रिय अन्नकूट उत्सव (Annakoot Festival) को भक्तिपूर्वक तथा आनंदपूर्वक मनाना चाहिए.

इस दिन मनाया जाता है अन्नकूट महोत्सव

एक बार इंद्र ने कूपित होकर ब्रजमंडल में मूसलधार वर्षा की. इस वर्षा से ब्रजवासियों (Brajwasis) को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर इन्द्र का मान-मर्दन किया किया था. उस पर्वत के नीचे 7 दिन तक सभी ग्रामिणों के साथ ही गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे. फिर ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है. यह जानकर इन्द्रदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की.भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी. तभी से यह उत्सव 'अन्नकूट' के नाम से मनाया जाने लगा.

भगवान श्री कृष्ण को अर्पित किये जाते हैं छप्पन भोग

शास्त्रों की मानें तो द्वापर में अन्नकूट के दिन इंद्र की पूजा करके उनको छप्पन भोग अर्पित किए जाते थे, लेकिन ब्रजवासियों ने श्रीकृष्ण के कहने पर उस प्रथा को बंद करके इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की. जिसके बाद गोवर्धन रूप में भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगने लगे. इस दिन घर और मंदिरों में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान को भोग लगाया जाता है. इस दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप विराजमान कृष्ण के सम्मुख गाय तथा ग्वाल-बालों की रोली, चावल, फूल, जल, मौली, दही और तेल का दीपक जलाकर पूजा और परिक्रमा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन गाय, बछड़ों की पूजा की जाती है.

रायपुरः कार्तिक माह में अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा (Govardhan puja 2021) की जाती है. इस बार यह त्योहार 5 नवंबर शुक्रवार को है. इसी दिन अन्नकूट महोत्सव (Annakoot Festival) भी मनाया जाता है.कहते हैं कि इस दिन खुश रहने से काफी लाभ मिलता है.

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इस दिन खुश रहना जरूरी

अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही दारिद्र का नाश होकर मनुष्य जीवनपर्यंत सुखी और समृद्ध रहता है. ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो वह वर्षभर दुखी ही रहेगा. इसलिए हर मनुष्य को इस दिन प्रसन्न रहकर भगवान श्रीकृष्‍ण (Bhagwan krishn) के प्रिय अन्नकूट उत्सव (Annakoot Festival) को भक्तिपूर्वक तथा आनंदपूर्वक मनाना चाहिए.

इस दिन मनाया जाता है अन्नकूट महोत्सव

एक बार इंद्र ने कूपित होकर ब्रजमंडल में मूसलधार वर्षा की. इस वर्षा से ब्रजवासियों (Brajwasis) को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर इन्द्र का मान-मर्दन किया किया था. उस पर्वत के नीचे 7 दिन तक सभी ग्रामिणों के साथ ही गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे. फिर ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है. यह जानकर इन्द्रदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की.भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी. तभी से यह उत्सव 'अन्नकूट' के नाम से मनाया जाने लगा.

भगवान श्री कृष्ण को अर्पित किये जाते हैं छप्पन भोग

शास्त्रों की मानें तो द्वापर में अन्नकूट के दिन इंद्र की पूजा करके उनको छप्पन भोग अर्पित किए जाते थे, लेकिन ब्रजवासियों ने श्रीकृष्ण के कहने पर उस प्रथा को बंद करके इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की. जिसके बाद गोवर्धन रूप में भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगने लगे. इस दिन घर और मंदिरों में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान को भोग लगाया जाता है. इस दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप विराजमान कृष्ण के सम्मुख गाय तथा ग्वाल-बालों की रोली, चावल, फूल, जल, मौली, दही और तेल का दीपक जलाकर पूजा और परिक्रमा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन गाय, बछड़ों की पूजा की जाती है.

Last Updated : Nov 5, 2021, 6:21 AM IST
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