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गोंडी भाषा की संस्कृति पुरातन और समृद्ध: राज्यपाल उइके

राज्यपाल अनुसुइया उइके 17 अगस्त को 'गोंडी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति' विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में शामिल हुईं.

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राज्यपाल अनुसुइया उइके
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Published : Aug 18, 2020, 12:32 PM IST

रायपुर: राज्यपाल अनुसुइया उइके 17 अगस्त को अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के तत्वावधान में 'गोंडी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति' विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में शामिल हुईं. उन्होंने कहा कि यह आयोजन प्रासंगिक है, क्योंकि नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को प्राथमिक स्तर पर उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है.

उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि यह संगोष्ठी आधुनिक शिक्षा नीति को प्रभावी बनाने में सहायक होगी. राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में सुझाव दिया कि गोंडी भाषा में पढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए. इसके लिए विशेष प्रावधान किए जाने पर विचार करना चाहिए. देश के विभिन्न राज्यों में भी इस तरह का प्रावधान होना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि संबंधित क्षेत्रों में नौकरियों में गोंडी भाषा के जानकारों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. इससे भाषा और संस्कृति के संरक्षण में सुविधा होगी. राज्यपाल ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा मिलने से बच्चे उसे आसानी से ग्राह्य कर पाएंगे और उनके ज्ञान में भी वृद्धि होगी. इस संदर्भ में राज्यपालों के सम्मेलन में भी उन्होंने राष्ट्रपति के सामने यह बात रखी थी.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ में रक्षा श्रेणी के पहली इकाई के लिए राज्य सरकार के साथ MoU


गोंडी भाषा का संरक्षण

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की सराहना करते हुए कहा कि उनके समय-समय पर विभिन्न मंचों के माध्यम से गोंडी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए पहल और चर्चा की गई. राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्राचीन भाषाओं में से एक गोंडी द्रविड़ मूल की भाषा है. गोंडी भाषा को समृद्ध करने के लिए मानक शब्दकोष का निर्माण किया जाना चाहिए. आधुनिक विज्ञान, धर्म संस्कृति और समसामयिकी घटनाओं से संबंधित साहित्य का गोंडी भाषा में अनुवाद किया जाना चाहिए. इससे जनजातीय समाज के बच्चों को आधुनिक दुनिया में होने वाले नए अविष्कारों और तकनीकों की जानकारी मिल सकेगी. गोंडी भाषा से जुड़े परंपरागत साहित्य का भी संरक्षण किया जाए, ताकि उन्हें अपनी मातृभाषा में साहित्य और जरूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके. इससे उनका भाषा के प्रति जुड़ाव होगा और ज्ञान में वृद्धि भी होगी. उइके ने बताया कि राज्यपालों के सम्मेलन में गोंडी भाषा के संरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था.

धार्मिक ग्रंथों, कविताओं को गोंडी भाषा में अनुवाद

राज्यपाल ने सुझाव दिया कि प्राथमिक स्तर पर यह प्रयास करना आवश्यक है कि, जनजाति महानायकों की जीवन गाथा, पंचतंत्र की कहानियां, रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों का भी अनुवाद गोंडी भाषा में किया जाए. साथ ही जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे कार्यक्रमों की जानकारी गोंडी भाषा में लिखित और मौखिक स्रोतों अर्थात पुस्तकों, पाम्पलेट, पर्चा, ब्रोशर और स्थानीय आकाशवाणी केंद्रों के जरिए से स्थानीय बोलियों में प्रसारित किया जाना चाहिए.

पढ़ें- मुख्यमंत्री निवास में मनाया जाएगा ‘पोला-तीजा‘ तिहार, CM और राज्यपाल ने प्रदेशवासियों को दी बधाई


'आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ गोंडी भाषा का ज्ञान दें'

राज्यपाल ने कहा कि आज आधुनिक समाज के प्रभाव में गोंडी भाषा का अस्तित्व कहीं-कहीं पर क्षीण हुआ है. इन्हें बचाए रखने की आवश्यकता है. उन्होंने गोंड जनजाति परिवारों से आग्रह किया है कि वे बच्चों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ गोंडी भाषा का ज्ञान दें. मेरा सुझाव है कि वहां से जुड़े महापुरूषों और लोककथाओं को स्थानीय स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल करें और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर लोक कथाओं पर आधारित एनीमेशन और कार्टून फिल्म बनाएं. इससे बच्चे आनंद लेंगे, साथ ही साथ उनका ज्ञानर्जन भी होगा. इस वेबिनार में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, प्रकाश सिंग उइके सहित अन्य गणमान्य नागरिक शामिल हुए.

रायपुर: राज्यपाल अनुसुइया उइके 17 अगस्त को अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के तत्वावधान में 'गोंडी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति' विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में शामिल हुईं. उन्होंने कहा कि यह आयोजन प्रासंगिक है, क्योंकि नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को प्राथमिक स्तर पर उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है.

उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि यह संगोष्ठी आधुनिक शिक्षा नीति को प्रभावी बनाने में सहायक होगी. राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में सुझाव दिया कि गोंडी भाषा में पढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए. इसके लिए विशेष प्रावधान किए जाने पर विचार करना चाहिए. देश के विभिन्न राज्यों में भी इस तरह का प्रावधान होना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि संबंधित क्षेत्रों में नौकरियों में गोंडी भाषा के जानकारों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. इससे भाषा और संस्कृति के संरक्षण में सुविधा होगी. राज्यपाल ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा मिलने से बच्चे उसे आसानी से ग्राह्य कर पाएंगे और उनके ज्ञान में भी वृद्धि होगी. इस संदर्भ में राज्यपालों के सम्मेलन में भी उन्होंने राष्ट्रपति के सामने यह बात रखी थी.

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गोंडी भाषा का संरक्षण

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की सराहना करते हुए कहा कि उनके समय-समय पर विभिन्न मंचों के माध्यम से गोंडी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए पहल और चर्चा की गई. राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्राचीन भाषाओं में से एक गोंडी द्रविड़ मूल की भाषा है. गोंडी भाषा को समृद्ध करने के लिए मानक शब्दकोष का निर्माण किया जाना चाहिए. आधुनिक विज्ञान, धर्म संस्कृति और समसामयिकी घटनाओं से संबंधित साहित्य का गोंडी भाषा में अनुवाद किया जाना चाहिए. इससे जनजातीय समाज के बच्चों को आधुनिक दुनिया में होने वाले नए अविष्कारों और तकनीकों की जानकारी मिल सकेगी. गोंडी भाषा से जुड़े परंपरागत साहित्य का भी संरक्षण किया जाए, ताकि उन्हें अपनी मातृभाषा में साहित्य और जरूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके. इससे उनका भाषा के प्रति जुड़ाव होगा और ज्ञान में वृद्धि भी होगी. उइके ने बताया कि राज्यपालों के सम्मेलन में गोंडी भाषा के संरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था.

धार्मिक ग्रंथों, कविताओं को गोंडी भाषा में अनुवाद

राज्यपाल ने सुझाव दिया कि प्राथमिक स्तर पर यह प्रयास करना आवश्यक है कि, जनजाति महानायकों की जीवन गाथा, पंचतंत्र की कहानियां, रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों का भी अनुवाद गोंडी भाषा में किया जाए. साथ ही जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे कार्यक्रमों की जानकारी गोंडी भाषा में लिखित और मौखिक स्रोतों अर्थात पुस्तकों, पाम्पलेट, पर्चा, ब्रोशर और स्थानीय आकाशवाणी केंद्रों के जरिए से स्थानीय बोलियों में प्रसारित किया जाना चाहिए.

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'आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ गोंडी भाषा का ज्ञान दें'

राज्यपाल ने कहा कि आज आधुनिक समाज के प्रभाव में गोंडी भाषा का अस्तित्व कहीं-कहीं पर क्षीण हुआ है. इन्हें बचाए रखने की आवश्यकता है. उन्होंने गोंड जनजाति परिवारों से आग्रह किया है कि वे बच्चों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ गोंडी भाषा का ज्ञान दें. मेरा सुझाव है कि वहां से जुड़े महापुरूषों और लोककथाओं को स्थानीय स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल करें और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर लोक कथाओं पर आधारित एनीमेशन और कार्टून फिल्म बनाएं. इससे बच्चे आनंद लेंगे, साथ ही साथ उनका ज्ञानर्जन भी होगा. इस वेबिनार में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, प्रकाश सिंग उइके सहित अन्य गणमान्य नागरिक शामिल हुए.

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