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Navratri 2021: कार्तिकेय की मां 'स्कंदमाता' की इस तरह पूजा करने से भरेगी सूनी गोद

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Published : Oct 6, 2021, 10:52 PM IST

Updated : Oct 10, 2021, 6:22 AM IST

नवरात्रि के पांचवे दिन देवी के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है. स्कंदमाता हिमायल की पुत्री पार्वती ही हैं. इन्हें गौरी भी कहा जाता है. भगवान स्कंद को कुमार कार्तिकेय के नाम से जाना जाता है और ये देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति थे. इनकी मां देवी दुर्गा थीं और इसी वजह से मां दुर्गा के स्वरूप को स्कंदमाता भी कहा जाता है.

स्कंद माता
स्कंद माता

रायपुर: या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः इस महामंत्र का स्कंद माता के भक्तों को कम से कम तीन माला जाप करना चाहिए. पंचमी का दिन स्कंदमाता स्वरूप के पूजन किए जाने का दिन है. यह ललिता पंचमी, नाग पंचमी, सरस्वती पंचमी के रूप में भी जाना जाता है. बंगाल प्रांत में आज के दिन से नवदुर्गा की प्रतिष्ठापना की जाती है. यह दिन विशेष प्रभावशाली दिवस माना गया है. अनुराधा नक्षत्र, आयुष्मान योग, बालव करण, वृश्चिक राशि और अनेक सुंदर संयोग के साथ स्कंदमाता की पूजा और अर्चना की जाएगी. रविवार का सुंदर दिवस और मध्यान्ह के बाद से रवि योग इस महापंचमी को और भी श्रेष्ठ बना रहे हैं.

कार्तिकेय स्वामी महाराज की माता
स्कंदमाता स्कंद अर्थात कार्तिकेय स्वामी महाराज की माता के रूप में मानी गई हैं. स्कंदमाता पार्वती माता का ही स्वरूप है. माता चार भुजाओं से युक्त है. एक हाथ में कार्तिकेय स्वामी कमल और अभय मुद्रा से युक्त हैं. आज के दिन व्रत उपवास और साधना करने के फलस्वरूप विशुद्ध चक्र जागृत होता है. आज के दिन माता को केले का फल विशेष रुप से प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. स्कंदमाता सूर्य की अधिष्ठात्री देवी हैं. विद्या वाहिनी दुर्गा हैं और अनेक मान्यताओं के अनुसार सनत कुमार की माता हैं. स्कंदमाता की आराधना के फलस्वरुप 16 कलाओं, 16 विभूतियों का जागरण होता है.

किया था तारकासुर का वध
तारकासुर का भी वध स्कंदमाता के द्वारा ही हुआ था. शेर पर सवार माता कमल के आसन पर भी विराजमान हैं. अतः माता को पद्मासना भी कहा जाता है. आज के दिन कमल फूल से मां की पूजा की जाती है. लाल गुलाब लाल पुष्प लाल गुलहड़ के द्वारा माता की पूजा की जाती है. माता को लाल गुलाब की माला भी चढ़ाई जा सकती है. निसंतान दंपत्ति आज के दिन माता की विशेष रूप से पूजा करें. उन्हें लाभ मिलता है. स्कंदमाता की आराधना से शत्रु पक्ष निर्बल हो जाते हैं. माता की चार भुजाएं उद्यम सील होने के लिए प्रेरित करती हैं.

रायपुर: या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः इस महामंत्र का स्कंद माता के भक्तों को कम से कम तीन माला जाप करना चाहिए. पंचमी का दिन स्कंदमाता स्वरूप के पूजन किए जाने का दिन है. यह ललिता पंचमी, नाग पंचमी, सरस्वती पंचमी के रूप में भी जाना जाता है. बंगाल प्रांत में आज के दिन से नवदुर्गा की प्रतिष्ठापना की जाती है. यह दिन विशेष प्रभावशाली दिवस माना गया है. अनुराधा नक्षत्र, आयुष्मान योग, बालव करण, वृश्चिक राशि और अनेक सुंदर संयोग के साथ स्कंदमाता की पूजा और अर्चना की जाएगी. रविवार का सुंदर दिवस और मध्यान्ह के बाद से रवि योग इस महापंचमी को और भी श्रेष्ठ बना रहे हैं.

कार्तिकेय स्वामी महाराज की माता
स्कंदमाता स्कंद अर्थात कार्तिकेय स्वामी महाराज की माता के रूप में मानी गई हैं. स्कंदमाता पार्वती माता का ही स्वरूप है. माता चार भुजाओं से युक्त है. एक हाथ में कार्तिकेय स्वामी कमल और अभय मुद्रा से युक्त हैं. आज के दिन व्रत उपवास और साधना करने के फलस्वरूप विशुद्ध चक्र जागृत होता है. आज के दिन माता को केले का फल विशेष रुप से प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. स्कंदमाता सूर्य की अधिष्ठात्री देवी हैं. विद्या वाहिनी दुर्गा हैं और अनेक मान्यताओं के अनुसार सनत कुमार की माता हैं. स्कंदमाता की आराधना के फलस्वरुप 16 कलाओं, 16 विभूतियों का जागरण होता है.

किया था तारकासुर का वध
तारकासुर का भी वध स्कंदमाता के द्वारा ही हुआ था. शेर पर सवार माता कमल के आसन पर भी विराजमान हैं. अतः माता को पद्मासना भी कहा जाता है. आज के दिन कमल फूल से मां की पूजा की जाती है. लाल गुलाब लाल पुष्प लाल गुलहड़ के द्वारा माता की पूजा की जाती है. माता को लाल गुलाब की माला भी चढ़ाई जा सकती है. निसंतान दंपत्ति आज के दिन माता की विशेष रूप से पूजा करें. उन्हें लाभ मिलता है. स्कंदमाता की आराधना से शत्रु पक्ष निर्बल हो जाते हैं. माता की चार भुजाएं उद्यम सील होने के लिए प्रेरित करती हैं.

Last Updated : Oct 10, 2021, 6:22 AM IST
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