रायपुर: जिस भाषा जिस बोली से आपकी पहचान है, उसे समृद्ध बनाने में अगर आप कुछ योगदान दे सकें तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है. रायपुर की गीता शर्मा छत्तीसगढ़ी को समृद्ध करने में अमूल्य योगदान दे रही हैं. इन्होंने संस्कृत और हिंदी में लिखे कई ग्रंथों का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद किया है. इसमें शिव महापुराण, 9 उपनिषद और अभिज्ञान शाकुंतलम जैसे ग्रंथ शामिल हैं. इनमें से कई ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं और कई प्रकाशन के इंतजार में हैं.
छत्तीसगढ़ी को समृद्ध करने का जुनून
गीता शर्मा कहती हैं कि जब वो देश के दूसरे राज्यों में जाती थी तो वहां की स्थानीय भाषा में कई धार्मिक और एतिहासिक ग्रंथ देखकर उनके मन में विचार आया कि क्यों न छत्तीसगढ़ी में भी धार्मिक ग्रंथों की रचना और अनुवाद किया जाए. इस तरह उन्होंने महाभारत के पात्र से शुरुआत की. इसके बाद 9 उपनिषद , शिव महापुराण का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद किया. इसके अलावा बड़का दाई, छत्तीसगढ़ी उपन्यास, 14 शोध आलेख प्रकाशित करा चुकी हैं.
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अभिज्ञान शाकुंतलम, मनु स्मृति का भी किया अनुवाद
गीता ने महाकवि कालिदास की कालजई रचना अभिज्ञान शाकुंतलम, मनु स्मृति, पंचतंत्र धम्म चक्र जैसे कई ग्रंथों का अनुवाद किया. हालांकि उनकी कई किताबें अभी प्रकाशित नहीं हुई हैं. इसके लिए गीता शर्मा सरकार से मदद की अपील कर रही हैं.
आगे भी करती रहेंगी छत्तीसगढ़ी को समृद्ध करने का काम
गीता शर्मा को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का माहौल मिला. छात्र जीवन में उनका रुझान विज्ञान की तरफ था और वो डॉक्टर बनना चाहती थी. लेकिन नियति ने कुछ और ही तय कर रखा था. उनका रुझान छत्तीसगढ़ी साहित्य की ओर हुआ और उन्होंने इसे समृद्ध बनाने का बीड़ा उठा लिया. आज उनकी मेहनत को दिग्गज साहित्यकार भी सराहते हैं. गीता शर्मा कहती है कि वे छत्तीसगढ़ की महत्ता स्थापित करने के लिए लगातार काम करती रहेंगी. भविष्य में छत्तीसगढ़ी की मिठास और खुशबू दुनिया भर में बिखेरती रहेंगी.