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रायपुर: धूमधाम से निकाली जा रही गौरा-गौरी की बारात

राजधानी रायपुर में आज गौरा-गौरी निकालने की परंपरा निभाई जा रही है. 2 दिन तक चलने वाले इस पर्व में पहले मिट्टी लाकर गौरा गौरा की प्रतिमा तैयार की जाती है. जिसके बाद पूरे रीति-रिवाज के साथ भगवान शिव-पार्वती जी का विवाह किया जाता है.

Gauri Gaura puja
गौरी-गौरा की बारात यात्रा
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Published : Nov 15, 2020, 1:15 PM IST

रायपुर: दिवाली के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ में गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन गौरा-गौरी निकालने की परंपरा चली आ रही है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान शिव-पार्वती जी की बारात निकाली जाती है.


2 दिन तक चलने वाले इस पर्व में पहले मिट्टी लाकर गौरा-गौरी की प्रतिमा तैयार की जाती है. जिसके बाद पूरे रीति-रिवाज के साथ भगवान शिव-पार्वती जी का विवाह किया जाता है. दिवाली के दूसरे दिन भगवान की बारात निकाली जाती है. इस दौरान पूरे रास्ते लोक गीत गाए जाते हैं. जगह-जगह लोग गौरा-गौरी की पूजा करते हैं. बैंड बाजे के साथ नाचते गाते लोग गौरा-गौरी को विसर्जित करते हैं.

पढ़ें: प्रकृति की अर्चना का दिन गोवर्धन पूजा, जानिए क्या है महत्व और मुहूर्त


सोटा मारने की है परंपरा
स्थानीय निवासी जित्तू राम साहू ने बताया कि गौरा-गौरी की पूजा छत्तीसगढ़ में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है यह पूजा छत्तीसगढ़ में 2 दिन तक चलती है पूजा में मिट्टी लाकर गौरा-गौरी की प्रतिमा को तैयार किया जाता है और दीपावली के दूसरे दिन धूमधाम से गौरी-गौरा की बारात निकाल कर उनको तालाब में विसर्जित किया जाता है. इस दौरान सोटा मारने की परंपरा भी निभाई जाती है. कहा जाता है कि जिसको भी परिवार में दुख दर्द है वह सोटा खाकर इस परंपरा को निभाता है जिससे उसके परिवार के सारे दुख दर्द भगवान हर लेते हैं.

रायपुर: दिवाली के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ में गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन गौरा-गौरी निकालने की परंपरा चली आ रही है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान शिव-पार्वती जी की बारात निकाली जाती है.


2 दिन तक चलने वाले इस पर्व में पहले मिट्टी लाकर गौरा-गौरी की प्रतिमा तैयार की जाती है. जिसके बाद पूरे रीति-रिवाज के साथ भगवान शिव-पार्वती जी का विवाह किया जाता है. दिवाली के दूसरे दिन भगवान की बारात निकाली जाती है. इस दौरान पूरे रास्ते लोक गीत गाए जाते हैं. जगह-जगह लोग गौरा-गौरी की पूजा करते हैं. बैंड बाजे के साथ नाचते गाते लोग गौरा-गौरी को विसर्जित करते हैं.

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सोटा मारने की है परंपरा
स्थानीय निवासी जित्तू राम साहू ने बताया कि गौरा-गौरी की पूजा छत्तीसगढ़ में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है यह पूजा छत्तीसगढ़ में 2 दिन तक चलती है पूजा में मिट्टी लाकर गौरा-गौरी की प्रतिमा को तैयार किया जाता है और दीपावली के दूसरे दिन धूमधाम से गौरी-गौरा की बारात निकाल कर उनको तालाब में विसर्जित किया जाता है. इस दौरान सोटा मारने की परंपरा भी निभाई जाती है. कहा जाता है कि जिसको भी परिवार में दुख दर्द है वह सोटा खाकर इस परंपरा को निभाता है जिससे उसके परिवार के सारे दुख दर्द भगवान हर लेते हैं.

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