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रायपुर शहर के गार्डन हुए बदहाल

रायपुर में ठंड का मौसम आते ही लोग अब गार्डनों की ओर रूख कर रहे हैं. लेकिन रायपुर के गार्डनों में मरम्मत के नाम पर हर महीने लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी ये बदहाल हैं. कई गार्डन में झूले, फिसलपट्टी टूटे हुए हैं. तो वहीं कुछ गार्डनों में जंगली घास उग आए हैं. निगम के अफसर इन गार्डनों की देखरेख और संवारने के बजाय सड़कों के किनारे लगे पौधों को संवारने में लगे हैं. वहीं गार्डन में पहुंचने वाले लोग बदहाल गार्डनों में ही घूमने को मजबूर हैं.

रायपुर शहर के गार्डन हुए बदहाल
रायपुर शहर के गार्डन हुए बदहाल
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Published : Dec 8, 2022, 7:20 PM IST

रायपुर : राजधानी के मोतीबाग, गांधी उद्यान, अनुपम गार्डन जैसे गार्डनों में कुर्सियां टूट गई है. बच्चों के खेलने के लिए लगाए गए झूले भी टूट गए हैं. इन गार्डनों की देखरेख के अभाव के चलते जंगली घास उग आए है. दूसरी ओर कई गार्डन भी सुरक्षा के अभाव में भगवान भरोसे है. कई गार्डनों में सुरक्षाकर्मी भी नहीं है. जिसकी वजह से असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी रहता है. कई उद्यानों में तो शराब की बोतलें भी दिखाई दी. बता दें कि रायपुर नगर निगम क्षेत्र में लगभग 180 गार्डन है. इन गार्डनों की देखरेख के लिए पर्याप्त कर्मचारी भी निगम के पास नहीं है. महज 80 कर्मचारियों के भरोसे में इन गार्डनों की देखरेख हो रही है.

मोतीबाग उद्यान की हालत और खराब : मोतीबाग उद्यान को आकर्षक बनाने के लिए अभी हाल में नगर निगम ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन यहां जंगली घास उग आए है. बच्चों के लिए लगाए नए झूले बिना उपयोग किए ही खराब हो रहे है. हालांकि इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल यहां संवारने का काम किया जा रहा है. जल्द ही सुधार कर लिया जाएगा.

रायपुर शहर के गार्डन हुए बदहाल

राजभवन के नजदीक का गार्डन बदहाल : राजधानी रायपुर के हृदय स्थल पर स्थित गार्डन भी बदहाल हो गए हैं. कलेक्ट्रेट गार्डन में भी सुरक्षा के कोई इंतजामात नहीं है. साथ ही यहां असमाजिक तत्वों ने कई कुर्सियां भी तोड़ डाली है. इसके अलावा राजभवन के पास स्थित गार्डन बेहद ही बदहाल हो गए हैं. यहां लंबे समय से कोई कार्य नहीं हुआ है. गार्डन में उपस्थित युवक नवीन बताते हैं कि गार्डन की स्थिति बदहला हो गई है. झूले टूटे हुए हैं. घास उग आए हैं. यहां की सफाई भी नहीं की जा रही है. उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा कि इसकी देखरेख करनी चाहिए.

पार्क में झूले टूटे
पार्क में झूले टूटे
बैठने की व्यवस्था भी चौपट
बैठने की व्यवस्था भी चौपट

शहर के गार्डन बदहाल : नगर निगम के उप नेता प्रतिपक्ष मनोज वर्मा ने आरोप लगाया है कि '' गार्डन के लिए करोड़ों रुपये का बजट नगर निगम में बनता है. इसके अलावा राज्य शासन की ओर से भी पैसे दिए जाते हैं, लेकिन गार्डनों में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है. गार्डनों की देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से शहर के गार्डन बदहाल हैं. इसके अलावा कई गार्डनों को व्यावसायिकतौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसका हम विरोध करते हैं. वहीं इस मामले पर जब हमने नगर निगम के अफसरों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने टाल मटोल करते हुए यह कह दिया कि शहर के गार्डन बेहतर है, जहां कोई कमियां होगी तो उन कमियों को दूर किया जाएगा.

रायपुर : राजधानी के मोतीबाग, गांधी उद्यान, अनुपम गार्डन जैसे गार्डनों में कुर्सियां टूट गई है. बच्चों के खेलने के लिए लगाए गए झूले भी टूट गए हैं. इन गार्डनों की देखरेख के अभाव के चलते जंगली घास उग आए है. दूसरी ओर कई गार्डन भी सुरक्षा के अभाव में भगवान भरोसे है. कई गार्डनों में सुरक्षाकर्मी भी नहीं है. जिसकी वजह से असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी रहता है. कई उद्यानों में तो शराब की बोतलें भी दिखाई दी. बता दें कि रायपुर नगर निगम क्षेत्र में लगभग 180 गार्डन है. इन गार्डनों की देखरेख के लिए पर्याप्त कर्मचारी भी निगम के पास नहीं है. महज 80 कर्मचारियों के भरोसे में इन गार्डनों की देखरेख हो रही है.

मोतीबाग उद्यान की हालत और खराब : मोतीबाग उद्यान को आकर्षक बनाने के लिए अभी हाल में नगर निगम ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन यहां जंगली घास उग आए है. बच्चों के लिए लगाए नए झूले बिना उपयोग किए ही खराब हो रहे है. हालांकि इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल यहां संवारने का काम किया जा रहा है. जल्द ही सुधार कर लिया जाएगा.

रायपुर शहर के गार्डन हुए बदहाल

राजभवन के नजदीक का गार्डन बदहाल : राजधानी रायपुर के हृदय स्थल पर स्थित गार्डन भी बदहाल हो गए हैं. कलेक्ट्रेट गार्डन में भी सुरक्षा के कोई इंतजामात नहीं है. साथ ही यहां असमाजिक तत्वों ने कई कुर्सियां भी तोड़ डाली है. इसके अलावा राजभवन के पास स्थित गार्डन बेहद ही बदहाल हो गए हैं. यहां लंबे समय से कोई कार्य नहीं हुआ है. गार्डन में उपस्थित युवक नवीन बताते हैं कि गार्डन की स्थिति बदहला हो गई है. झूले टूटे हुए हैं. घास उग आए हैं. यहां की सफाई भी नहीं की जा रही है. उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा कि इसकी देखरेख करनी चाहिए.

पार्क में झूले टूटे
पार्क में झूले टूटे
बैठने की व्यवस्था भी चौपट
बैठने की व्यवस्था भी चौपट

शहर के गार्डन बदहाल : नगर निगम के उप नेता प्रतिपक्ष मनोज वर्मा ने आरोप लगाया है कि '' गार्डन के लिए करोड़ों रुपये का बजट नगर निगम में बनता है. इसके अलावा राज्य शासन की ओर से भी पैसे दिए जाते हैं, लेकिन गार्डनों में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है. गार्डनों की देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से शहर के गार्डन बदहाल हैं. इसके अलावा कई गार्डनों को व्यावसायिकतौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसका हम विरोध करते हैं. वहीं इस मामले पर जब हमने नगर निगम के अफसरों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने टाल मटोल करते हुए यह कह दिया कि शहर के गार्डन बेहतर है, जहां कोई कमियां होगी तो उन कमियों को दूर किया जाएगा.

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