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पर्यावरण हितकारी गणपति बाप्पा, कुछ यूं शुरू हुई अनोखी पहल - आर्टिफिशियल पक्षी

रायपुर में गणपति बप्पा की एक ऐसी पंडाल सजी है. जहां बप्पा के दर्शन के साथ-साथ पर्यावरण बचाने के मूल मंत्र भी दिए जाते हैं. इस पंडाल को चारों तरफ से हरियाली से भर दिया गया है.

पर्यावरण हितकारी गणपति बाप्पा
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Published : Sep 10, 2019, 7:46 AM IST

रायपुर: राजधानी रायपुर में हर तरफ गणपति की धूम मची हुई है. पूरे शहर में बप्पा अपने अलग-अलग स्वरूप में स्थापित हैं. इसी तरह बप्पा की लोगों को प्रेरित करते हुए और पर्यावरण को बचाने की सीख देती हुई ये प्रतिमा गोल बाजार स्थित चिकनी मंदिर के पास बैठाई गई है.

पर्यावरण हितकारी गणपति बाप्पा

बता दें कि पूरे पंडाल को हरे पत्तों और पेड़ों से सजाया गया है, जिससे बप्पा का स्वरूप और भी भव्य नजर आ रहा है. पंडाल में काफी तरह के आर्टिफिशियल पक्षी, पेड़ और पौधे भी सजाए गए हैं और बप्पा का स्वरूप भी हरा दिखाया गया है, जिससे लोग प्रकृति को लेकर और ज्यादा जागरूक हों. इस तरह की भव्य प्रतिमा लोगों के बीच काफी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

पर्यावरण को बचाने की सीख
गोल बाजार चिकनी मंदिर समिति ने बताया कि हर साल यहां पर पंडाल अलग-अलग थीम के हिसाब से बनाया जाता है और हर साल बप्पा यहां अपने अलग-अलग स्वरूप में विराजते हैं. पंडाल को प्रकृति के हिसाब से हरा-भरा दिखाने के लिए बाजार से बंबू, आर्टिफिशियल हरे पत्ते और पौधे खरीदे गए हैं. यहां की समिति अपनी थीम के द्वारा इस साल पेड़-पौधे लगाओ और पर्यावरण को बचाने के साथ लोगों को सीख दे रही है.

गो ग्रीन थीम पर बना पंडाल
हर साल पंडाल अलग-अलग थीम के अनुसार बनाया जाता है, पिछले साल गौरक्षा को लेकर पंडाल को सजाया गया था. इस साल पंडाल को गो ग्रीन थीम के अनुसार बनाने के लिए कुछ कलाकारों को बाहर से भी बुलाया गया था.

रायपुर: राजधानी रायपुर में हर तरफ गणपति की धूम मची हुई है. पूरे शहर में बप्पा अपने अलग-अलग स्वरूप में स्थापित हैं. इसी तरह बप्पा की लोगों को प्रेरित करते हुए और पर्यावरण को बचाने की सीख देती हुई ये प्रतिमा गोल बाजार स्थित चिकनी मंदिर के पास बैठाई गई है.

पर्यावरण हितकारी गणपति बाप्पा

बता दें कि पूरे पंडाल को हरे पत्तों और पेड़ों से सजाया गया है, जिससे बप्पा का स्वरूप और भी भव्य नजर आ रहा है. पंडाल में काफी तरह के आर्टिफिशियल पक्षी, पेड़ और पौधे भी सजाए गए हैं और बप्पा का स्वरूप भी हरा दिखाया गया है, जिससे लोग प्रकृति को लेकर और ज्यादा जागरूक हों. इस तरह की भव्य प्रतिमा लोगों के बीच काफी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

पर्यावरण को बचाने की सीख
गोल बाजार चिकनी मंदिर समिति ने बताया कि हर साल यहां पर पंडाल अलग-अलग थीम के हिसाब से बनाया जाता है और हर साल बप्पा यहां अपने अलग-अलग स्वरूप में विराजते हैं. पंडाल को प्रकृति के हिसाब से हरा-भरा दिखाने के लिए बाजार से बंबू, आर्टिफिशियल हरे पत्ते और पौधे खरीदे गए हैं. यहां की समिति अपनी थीम के द्वारा इस साल पेड़-पौधे लगाओ और पर्यावरण को बचाने के साथ लोगों को सीख दे रही है.

गो ग्रीन थीम पर बना पंडाल
हर साल पंडाल अलग-अलग थीम के अनुसार बनाया जाता है, पिछले साल गौरक्षा को लेकर पंडाल को सजाया गया था. इस साल पंडाल को गो ग्रीन थीम के अनुसार बनाने के लिए कुछ कलाकारों को बाहर से भी बुलाया गया था.

Intro:रायपुर

राजधानी रायपुर में हर तरफ गणपति की धूम मची हुई है चारों तरफ गली मोहल्ले में सिर्फ गणपति की प्रतिमा देखी जा सकती है पूरे शहर में बप्पा अपने अलग-अलग स्वरूप से लोगों को प्रेरित कर रहे हैं इसी तरह बप्पा की लोगों को प्रेरित करते हुए और पर्यावरण को बचाने की सीख देते हुई प्रतिमा गोल बाजार स्थित चिकनी मंदिर के पास बैठाई गई है पंडाल को पूरी तरह हरे भरे पत्तों और पेड़ों से सजाया गया है जिससे बप्पा का स्वरूप और भी भव्य नजर आ रहा है पंडाल में काफी तरह के आर्टिफिशियल पक्षी पेड़ और पौधे भी सजाए गए हैं और बप्पा का स्वरूप भी हरा दिखाया गया है ताकि लोग प्रकृति को लेकर और ज्यादा जागरूक हो। इस तरह की भव्य प्रतिमा लोगों के बीच काफी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
Body:गोल बाजार चिकनी मंदिर समिति ने बताया कि हर साल यहां पर पंडाल अलग अलग थीम के हिसाब से बनाया जाता है और हर साल बप्पा यहां अपने अलग-अलग स्वरूप में विराजते हैं पंडाल को प्रकृति के हिसाब से हरा भरा दिखाने के लिए बाजार से बंबू और आर्टिफिशियल हरे पत्ते और पौधे खरीदे गए और यहां की समिति अपने थीम के द्वारा इस साल पेड़ पौधे लगाओ और पर्यावरण को बचाने को लेके लोगो को सीख देती है।

Conclusion:हर साल पंडाल अलग अलग थीम के अनुसार बनाया जाता है पिछले साल गाय रक्षा को ले के पंडाल को सजाया गया था इस साल पंडाल को गो ग्रीन थीम के अनुसार बनाने के लिए कुछ कलाकारों को बाहर से भी बुलाया गया था और भीड़भाड़ वाला इलाका होने के कारण पंडाल को रात में ही बनाया जाता था।

बाइट :- सिद्धार्थ आश्य ( गोलबाजार समिति मेंबर)

बाइट :- मुकेश रजरंगा (गोलबाजार समिति मेंबर)

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर
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