रायपुर: राजधानी रायपुर के माना स्थित SOS बालिका गृह नामक बाल आश्रम में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. एक ओर जहां इस मामले को लेकर भाजपाई सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. तो दूसरी ओर राज्य बाल आयोग ने मामले को संज्ञान (state childrens commission will take cognizance) में ले लिया है. राज्य बाल आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम ने मामले को गंभीर बताया है. उन्होंने कहा कि "हर बिंदु पर जांच की जाएगी. पूरे मामले की जानकारी कलेक्टर और एसपी से ली जाएगी. जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी." आपको बता दें कि सबसे पहले ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. gang rape in bal ashram of Raipur
डीएनए रिपोर्ट आने के बाद मचा बवाल: मामला सामने आने के बाद बाल संरक्षण इकाई ने एसओएस संस्था को नोटिस जारी करते हुए कार्रवाई की थी. साथ ही दुष्कर्म का आरोपी भी गिरफ्तार किया था. लेकिन नाबालिग ने जिस बच्चे को जन्म दिया था, उसका और नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले जेल में बंद आरोपी अंजनी शुक्ला का डीएनए मिसमैच हो गया. यानी जो आरोपी जेल में बंद है, उसके अलावा किसी और ने भी नाबालिग से दुष्कर्म किया था. लेकिन इस मामले की जांच आगे ही नहीं बढ़ी. एक साल बाद अब इस मामले को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है.
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क्या था पूरा मामला: इस मामले की डीएनए जांच रिपोर्ट के मुताबिक नाबालिग ने जिस बच्चे को जन्म दिया. उसका जैविक पिता जेल में बंद अंजनी शुक्ला नहीं है. यानी साफ है कि मामले में कोई और भी आरोपी है. जिसे बचाने का प्रयास किया गया है. चौंकाने वाली बात है कि अंजनी शुक्ला की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में आरोप पत्र पेश कर दिया गया. जिसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस ने जांच बंद कर दी.
ईटीवी भारत ने इस पूरे मामले का खुलासा किया था. माना SOS बालिका गृह में 15 साल की नाबालिग से दुष्कर्म हुआ था. लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग और बाल संरक्षण इकाई ने इस मामले को दबा कर रखा. बच्ची जब करीब 5 माह की गर्भवती हो गई. तब जाकर पुलिस को जानकारी देकर एफआईआर दर्ज कराई गई. लेकिन यह पता लगाने की कोशिश नहीं की गई कि इस मामले में कौन कौन शामिल है.