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raipur crime news स्क्रीन शेयरिंग एप्स की मदद से ठगी का जाल

दुनिया जितनी हाईटेक होती जा रही है उतने ही हाईटेक ठग भी हो गए हैं. कभी कॉल से एटीएम नंबर पूछकर पैसा लूटने वाले ये ठग अब पूरी तरह से टेक्नोलॉजी के हिसाब से बदल गए हैं.इन दिनों ये ठग स्क्रीन शेयरिंग एप्स की मदद से किसी के भी मोबाइल का एक्सेस लेकर उसकी निजी जिंदगी से लेकर अकाउंट तक में अपनी पकड़ बना रहे हैं.नतीजा ये हो रहा है कि पैसा लूटने के साथ साथ पीड़ित के निजी चीजें सार्वजनिक करने के नाम पर ठगी हो रही है. Fraud with help of screen sharing apps

स्क्रीन शेयरिंग एप्स की मदद से ठगी का जाल
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Published : Nov 28, 2022, 6:15 PM IST

Updated : Nov 28, 2022, 6:24 PM IST

रायपुर : साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं. लोगों के जागरूक होने पर अब उन्होंने अपना ठगी का तरीका भी बदलना शुरू कर दिया है. पहले यह लोग ओटीपी मांग कर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. लेकिन अब उन्होंने नया तरीका इजाद करते हुए स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से ठगी करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि आईटी में सेवा देने वाले लोग सिस्टम में आई खराबी को दूर करने के लिए जिन सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करते थे उन्हें ही ठगों ने हथियार बना लिया है. जिससे घर बैठे बैंक खाते को मिनटों में खाली कर देते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू से बातचीत की, और जाना कि फ्रॉड कैसे करते हैं ठगी. किस तरह से स्क्रीन शेयरिंग फ्रॉड से बचा जाए. Fraud with help of screen sharing apps

स्क्रीन शेयरिंग एप्स की मदद से ठगी का जाल
ठगों ने अब स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर को बनाया हथियार :
साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू (cyber expert mohit sahu)बताते हैं कि '' ठगों ने एक नया तरीका इजाद किया है. पहले यह कॉल कर लोगों से ओटीपी मांगा करते थे. लेकिन अब यह कॉल कर कहते हैं कि आपके ऐप में कुछ प्रॉब्लम चल रही है. उसको ठीक करने के लिए आपको एक ऐप इंस्टॉल करना होगा. यह रिमोट एक्सेस ऐप होते हैं. इस ऐप का इस्तेमाल रिमोट सपोर्ट के लिए किया जाता था. यदि आपका मोबाइल या कंप्यूटर की कुछ चीजें खराब हो जाती है. उनको ठीक करने के लिए टेक्निकल कंपनी ने इसका इजाद किया था, लेकिन ठगों ने इसका दूसरा उपयोग चालू कर दिया. इसे रिमोट एक्सेस स्क्रीन शेयरिंग एप कहते हैं. इस ऐप के माध्यम से फ्रॉड आपके पूरे मोबाइल पर कंट्रोल कर लेते हैं, जो भी आपके पास एसएमएस आएगा वह सारी चीजें वह देख पाते हैं. जब यह फ्रॉड करते हैं तो वह इस ऐप को इंस्टॉल करवा लेते हैं. उसके बाद आपके जो भी ओटीपी हैं जो भी आप पासवर्ड डाल रहे हैं. उसका एक्सेस उनको मिल जाता है.

किन एप्स से बनाएं दूरी : लोगों को ध्यान रखना है कि जब भी किसी से बात कर रहे हैं अगर कोई आपको इस तरह का एप इंस्टॉल करने बोलता है कभी ओटीपी मांगता है तो नहीं बताना है. खासकर यह ऐप प्ले स्टोर पर अवेलेबल है. यह हानिकारक ऐप नहीं है. लेकिन इनका दुरुपयोग हो रहा है इसलिए यह एक तरह से हानिकारक है. यदि आपके पास इस तरह का कोई ऐप है तो उसको अनइंस्टॉल कर दें.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट : मोहित साहू बताते हैं कि "' काफी सारे साइबर के केसेस अभी आने लग गए हैं. हाल फिलहाल में रायपुर पुलिस की तरफ से सुनो रायपुर अभियान चलाया गया था. लोगों में जागरूकता तो आई है, लेकिन उसके बावजूद इस तरह के केसेस बढ़ते हुए देखने को मिल रहे हैं. उसका एकमात्र कारण यह है कि यह जो ठग है. वे कई नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं. पहले ठगी की शुरुआत कॉल से हुई. जिसमें यह कहते थे कि आपका अकाउंट ब्लॉक कर दिया जाएगा. फिर सिम ब्लॉक कर दिया जाएगा. उसके बाद ओएलएक्स और दूसरे फ्रॉड हैं. उसके बाद इन्होंने सामान बेचने के नाम पर ठगी किए. फिर इंश्योरेंस या आपके पेंशन अटके हुए हैं. उसको निकाल देंगे कहकर फ्रॉड हुए. हर वह चीज जहां इंसान की मजबूरी हो या इंसान जहां फंस रहा हो. उसमें यह लोग नए तरीके से फ्रॉड कर रहे हैं. मेरा मानना है कि यदि लोगों को इन सब से बचना है तो लोगों को पहले यह ध्यान देना होगा. इस तरह का कोई कॉल आता है तो ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर के योजनाओं के बारे में पढ़ें. यदि पेंशन से रिलेटेड कोई आ रहा है. वहां जाकर के ऑफिस में डायरेक्ट बात करें. कॉल पर इस तरह की चीजों से बचने की कोशिश करें. अगर आपका काम आसान हो रहा है तो याद रखिये वह कहीं ना कहीं फ्रॉड भी हो सकता है. बेहतर है कि आप वर्चुअल की जगह रियल लाइफ में लोगों से मिले और उसके बाद एक्टिव करने की ट्राई करें. क्योंकि इन फ्रॉड से बचने का एकमात्र तरीका आपका सूझबूझ है. उसके अलावा और कोई भी चीजें आपको इनसे नहीं बचा सकती है.

केस-1 : रायपुर के टिकरापारा इलाके के रहने वाले सुरेश सोनी के पास स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर के बहाने कॉल आया था. हालांकि सुरेश को अंदेशा हुआ कि साइबर फ्रॉड हो सकते हैं. इसलिए उन्होंने ऐप डाउनलोड करने से इंकार कर दिया नहीं तो वह भी इसके ठगी के शिकार हो जाते ना कि उन्होंने इसकी शिकायत थाने में की है.

केस- 2 : कालीबाड़ी के दवा कारोबारी को फोन कर ठग ने कहा कि आपकी बीएसएनल का नंबर बंद कर सिम ब्लॉक कर दिया जाएगा. नंबर चालू रखने के लिए नए सिरे से दस्तावेज अपडेट करने हैं. कारोबारी ने पूछा कि क्या करना होगा, तब ठग ने उनके मोबाइल पर दो लिंक भेजे. लिंक को क्लिक करते ही ऑटोमेटिक SMS सर्विस एप डाउनलोड हो गया. फिर उनके खाते से 1.90 लाख रुपए डेबिट हो गए.

ये भी पढ़ें- बैंड बाजा बारात वाले घर क्यों हैं चोरों के निशाने पर


क्या कहते हैं अफसर : साइबर प्रभारी गौरव तिवारी बताते हैं कि स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग कर ठग हजारों किलोमीटर दूर बैठकर आसानी से ठगी की वारदात कर रहे हैं. इससे बचने के लिए किसी भी अनजान लिंक ऑफर के लालच में ना है. शिकार होने पर तत्काल शिकायत करें.raipur crime news

रायपुर : साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं. लोगों के जागरूक होने पर अब उन्होंने अपना ठगी का तरीका भी बदलना शुरू कर दिया है. पहले यह लोग ओटीपी मांग कर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. लेकिन अब उन्होंने नया तरीका इजाद करते हुए स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से ठगी करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि आईटी में सेवा देने वाले लोग सिस्टम में आई खराबी को दूर करने के लिए जिन सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करते थे उन्हें ही ठगों ने हथियार बना लिया है. जिससे घर बैठे बैंक खाते को मिनटों में खाली कर देते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू से बातचीत की, और जाना कि फ्रॉड कैसे करते हैं ठगी. किस तरह से स्क्रीन शेयरिंग फ्रॉड से बचा जाए. Fraud with help of screen sharing apps

स्क्रीन शेयरिंग एप्स की मदद से ठगी का जाल
ठगों ने अब स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर को बनाया हथियार : साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू (cyber expert mohit sahu)बताते हैं कि '' ठगों ने एक नया तरीका इजाद किया है. पहले यह कॉल कर लोगों से ओटीपी मांगा करते थे. लेकिन अब यह कॉल कर कहते हैं कि आपके ऐप में कुछ प्रॉब्लम चल रही है. उसको ठीक करने के लिए आपको एक ऐप इंस्टॉल करना होगा. यह रिमोट एक्सेस ऐप होते हैं. इस ऐप का इस्तेमाल रिमोट सपोर्ट के लिए किया जाता था. यदि आपका मोबाइल या कंप्यूटर की कुछ चीजें खराब हो जाती है. उनको ठीक करने के लिए टेक्निकल कंपनी ने इसका इजाद किया था, लेकिन ठगों ने इसका दूसरा उपयोग चालू कर दिया. इसे रिमोट एक्सेस स्क्रीन शेयरिंग एप कहते हैं. इस ऐप के माध्यम से फ्रॉड आपके पूरे मोबाइल पर कंट्रोल कर लेते हैं, जो भी आपके पास एसएमएस आएगा वह सारी चीजें वह देख पाते हैं. जब यह फ्रॉड करते हैं तो वह इस ऐप को इंस्टॉल करवा लेते हैं. उसके बाद आपके जो भी ओटीपी हैं जो भी आप पासवर्ड डाल रहे हैं. उसका एक्सेस उनको मिल जाता है.

किन एप्स से बनाएं दूरी : लोगों को ध्यान रखना है कि जब भी किसी से बात कर रहे हैं अगर कोई आपको इस तरह का एप इंस्टॉल करने बोलता है कभी ओटीपी मांगता है तो नहीं बताना है. खासकर यह ऐप प्ले स्टोर पर अवेलेबल है. यह हानिकारक ऐप नहीं है. लेकिन इनका दुरुपयोग हो रहा है इसलिए यह एक तरह से हानिकारक है. यदि आपके पास इस तरह का कोई ऐप है तो उसको अनइंस्टॉल कर दें.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट : मोहित साहू बताते हैं कि "' काफी सारे साइबर के केसेस अभी आने लग गए हैं. हाल फिलहाल में रायपुर पुलिस की तरफ से सुनो रायपुर अभियान चलाया गया था. लोगों में जागरूकता तो आई है, लेकिन उसके बावजूद इस तरह के केसेस बढ़ते हुए देखने को मिल रहे हैं. उसका एकमात्र कारण यह है कि यह जो ठग है. वे कई नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं. पहले ठगी की शुरुआत कॉल से हुई. जिसमें यह कहते थे कि आपका अकाउंट ब्लॉक कर दिया जाएगा. फिर सिम ब्लॉक कर दिया जाएगा. उसके बाद ओएलएक्स और दूसरे फ्रॉड हैं. उसके बाद इन्होंने सामान बेचने के नाम पर ठगी किए. फिर इंश्योरेंस या आपके पेंशन अटके हुए हैं. उसको निकाल देंगे कहकर फ्रॉड हुए. हर वह चीज जहां इंसान की मजबूरी हो या इंसान जहां फंस रहा हो. उसमें यह लोग नए तरीके से फ्रॉड कर रहे हैं. मेरा मानना है कि यदि लोगों को इन सब से बचना है तो लोगों को पहले यह ध्यान देना होगा. इस तरह का कोई कॉल आता है तो ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर के योजनाओं के बारे में पढ़ें. यदि पेंशन से रिलेटेड कोई आ रहा है. वहां जाकर के ऑफिस में डायरेक्ट बात करें. कॉल पर इस तरह की चीजों से बचने की कोशिश करें. अगर आपका काम आसान हो रहा है तो याद रखिये वह कहीं ना कहीं फ्रॉड भी हो सकता है. बेहतर है कि आप वर्चुअल की जगह रियल लाइफ में लोगों से मिले और उसके बाद एक्टिव करने की ट्राई करें. क्योंकि इन फ्रॉड से बचने का एकमात्र तरीका आपका सूझबूझ है. उसके अलावा और कोई भी चीजें आपको इनसे नहीं बचा सकती है.

केस-1 : रायपुर के टिकरापारा इलाके के रहने वाले सुरेश सोनी के पास स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर के बहाने कॉल आया था. हालांकि सुरेश को अंदेशा हुआ कि साइबर फ्रॉड हो सकते हैं. इसलिए उन्होंने ऐप डाउनलोड करने से इंकार कर दिया नहीं तो वह भी इसके ठगी के शिकार हो जाते ना कि उन्होंने इसकी शिकायत थाने में की है.

केस- 2 : कालीबाड़ी के दवा कारोबारी को फोन कर ठग ने कहा कि आपकी बीएसएनल का नंबर बंद कर सिम ब्लॉक कर दिया जाएगा. नंबर चालू रखने के लिए नए सिरे से दस्तावेज अपडेट करने हैं. कारोबारी ने पूछा कि क्या करना होगा, तब ठग ने उनके मोबाइल पर दो लिंक भेजे. लिंक को क्लिक करते ही ऑटोमेटिक SMS सर्विस एप डाउनलोड हो गया. फिर उनके खाते से 1.90 लाख रुपए डेबिट हो गए.

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क्या कहते हैं अफसर : साइबर प्रभारी गौरव तिवारी बताते हैं कि स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग कर ठग हजारों किलोमीटर दूर बैठकर आसानी से ठगी की वारदात कर रहे हैं. इससे बचने के लिए किसी भी अनजान लिंक ऑफर के लालच में ना है. शिकार होने पर तत्काल शिकायत करें.raipur crime news

Last Updated : Nov 28, 2022, 6:24 PM IST
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