रायपुर: पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह (Former CM Dr. Raman Singh) ने ट्वीट कर कांग्रेस नेता विनोद तिवारी पर पलटवार किया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि विनोद तिवारी ने कूटरचित दस्तावेज जारी कर मेरी व मेरे परिवार की छवि खराब करने की कोशिश की है, जबकि गृह मंत्रालय ने जांच से संबधित कोई दस्तावेज नहीं भेजा है. इस पर गृह मंत्रालय (home Ministry) ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर यह जरूर कहा है कि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
भाजपा विधायक शिवरतन ने जताया खेद
भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा (BJP MLA Shivratan Sharma) ने इस मसले पर खेद जताते हुए कहा कि एक सशक्त विपक्ष के प्रमुख नेता जो छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं, उनकी छवि खराब करने के लिए कांग्रेस सरकार तरह-तरह के तरीके अपना रही है. डॉ. रमन सिंह और उनके परिवार की छवि खराब करने के लिए विनोद तिवारी जैसे लोग सरकारी मशीनरी (government machinery) का दुरूपयोग कर रहे हैं.
विनोद तिवारी ने किया था दावा
भाजपा विधायक ने कहा कि नेता विनोद तिवारी ने कुछ सप्ताह पहले दावा किया था कि गृह मंत्रालय ने 5 अप्रैल 2021 को राज्य सरकार को डॉ. रमन सिंह और उनके बेटे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच के लिए कहा है. विनोद तिवारी ने यह भी कहा था कि केन्द्र सरकार ने यह आदेश उसकी ओर से 23 जनवरी 2021 को की गई शिकायत के आधार पर किया है. विनोद तिवारी ने 27 अप्रैल को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर डॉ. रमन सिंह और उनके बेटे के खिलाफ जांच करने के लिए दबाव भी बनाया था.
गृह मंत्रालय के दस्तावेज के नाम पर किया गुमराह
शिवरतन शर्मा ने कहा कि जनता को गुमराह करने के लिए विनोद तिवारी ने गृह मंत्रालय के पत्र के साथ कुछ कूटरचित दस्तावेज लगाकर मीडिया में प्रसारित किया था. विनोद तिवारी ने ही पहले डॉ. रमन सिंह और उनके बेटे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में हाईकोर्ट में उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के लिए भी याचिका लगाई थी.
हाईकोर्ट में यह याचिका तब लगाई गई, जब प्रधानमंत्री कार्यालय में केस बंद हो गया था. इसी तरह विनोद तिवारी ने ईओडब्ल्यू में भी रमन सिंह और उनके परिवार के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में शिकायत की थी. वहीं अब पता चला है कि राज्य सरकार द्वारा ईओडब्ल्यू (EOW) के ऊपर एफआईआर करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विनोद तिवारी तो बस एक चेहरा हैं, इसके पीछे पूरी कांग्रेस और राज्य सरकार है. उन्हें पहले दिन से ही सच्चाई मालूम थी, लेकिन डॉ. रमन सिंह की छवि को खराब करने के लिए यह प्रयास किया गया.
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विनोद तिवारी के दावे को बताया गलत
शिवरतन शर्मा ने कहा कि गृह मंत्रालय की ओर से 15 जून को जो पत्र भेजा गया है, इसमें दो बातें महत्वपूर्ण हैं, पहली यह कि विनोद तिवारी का दावा झूठा है कि उनकी शिकायत पर जांच के आदेश दिए गए हैं, जबकि सच्चाई यह है कि गृह मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को 23 जनवरी को जो पत्र भेजा था, जिसमें उल्लेख था कि 'जल्लाद' शब्द के स्थान पर कोई अन्य शब्द का उपयोग किया जाए. इसका मतलब यह हुआ कि गृह मंत्रालय ने 5 अप्रैल को राज्य सरकार को जो पत्र भेजा है, वह डॉ. रमन सिंह और उनके बेटे से संबंधित नहीं था.
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भाजपा नेता का दावा- 'जांच के लिए नहीं की गई कोई शिकायत'
भाजपा नेता शिवरतन शर्मा ने कहा कि गृह मंत्रालय को विनोद तिवारी की ओर से आज तक डॉ. रमन सिंह और उनके बेटे अभिषेक सिंह की आय से अधिक संपत्ति की जांच के लिए कोई शिकायत नहीं मिली है. इस कारण इस तरह की शिकायत छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) को भेजने का कोई प्रश्न नहीं उठता है. यह दावा करना कि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को जांच के लिए कहा है, पूर्णतः गलत है. इस संबंध में गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से कहा है कि विनोद तिवारी ने जो कूटरचना की है, उसके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर गृह मंत्रालय को अवगत कराया जाए.
राज्य सरकार पर साधा निशाना
भाजपा नेता ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पूरे मामले में कांग्रेस (Congress Party) शामिल है. उन्होंने इस षड्यंत्र के लिए विनोद तिवारी को चुना. इस तरह से हमारे नेता के खिलाफ झूठी शिकायत करने वाले के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी शांत नहीं बैठेगी. इसके लिए हम न्यायालय की शरण में जाएंगे और केन्द्र सरकार के पत्र का दुरुपयोग कर रमन सिंह की छवि खराब करने वाले लोगों का पर्दाफाश करेंगे.
यह था मामला
दरअसल छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और उनके बेटे अभिषेक पर आर्थिक अनियमितताओं और आय से अधिक अनुपातहीन संपत्ति की शिकायत कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने की थी. इसकी शिकायत 27 जुलाई 2020 और 4 अगस्त 2020 को PMO से की गई. PMO ने शिकायत पंजीबद्ध कर केस अपर सचिव को ट्रांसफर कर दिया. विनोद तिवारी ने बताया कि रमन सिंह ने चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग में अभ्यर्थी के रूप में शपथ पत्र जमा किया, जो झूठा था. इसके साथ ही शपथ पत्र में दिखाई गई सम्पत्ति के वृद्धि का कोई स्रोत नहीं बताया गया है.