रायपुर : पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह (Former CM Dr Raman Singh) ने आज वीआईपी रोड स्थित अपने निवास में प्रेस वार्ता (Press Briefing) की. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) को निशाने पर लिया. पूर्व सीएम ने मुख्यमंत्री के आरएसएस वाले बयान पर कहा कि आरएसएस के प्रति ऐसा कहना मुख्यमंत्री की ओछी मानसिकता का प्रतीक है. जिसको जैसे संस्कार मिलते हैं, संस्कार के अनुरूप ही अभिव्यक्ति का तरीका स्पष्ट होता है. मुझे लगता है कि आरएसएस के प्रति जो भावना व्यक्त की गई है, वह मुख्यमंत्री की ओछी मानसिकता का प्रतीक है. आरएसएस संगठन देश में न केवल हर कठिन परिस्थिति में बल्कि बाढ़, आपदा और तूफान में भी लोगों की मदद में सबसे आगे यह संगठन रहता है. शायद भूपेश जी को नहीं मालूम कि 1965 में पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया था.
27 मई 1964 को ही हो गई थी पंडित नेहरू की मौत
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने यह बयान तो दे दिया कि सन 1965 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था. और इस युद्ध के बाद आरएसएस ने लोगों को सहायता पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. (हालांकि सन 1965 में भारत-चीन के बीच नहीं बल्कि यह युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ था) आरएसएस संगठन देश में न केवल हर कठिन परिस्थिति में बल्कि बाढ़, आपदा और तूफान में भी लोगों की मदद में सबसे आगे यह संगठन रहता है. पूर्व सीएम ने यह भी कह डाला कि शायद भूपेश जी को नहीं मालूम कि 1965 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया. बता दें कि पंडित जवाहर लाल नेहरू की मौत 27 मई 1964 को ही हो गई थी.
न 62 ना ही 65, सन 1963 में पंडित नेहरू ने आरएसएस को परेड में शामिल होने का दिया था न्योता
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर यह ट्वीट किया कि "भूपेश जी को नहीं मालूम-नेहरू जी ने 1962 में आरएसएस को गणतंत्र दिवस की परेड में आने का न्योता दिया था. साथ ही उन्होंने मीडिया को दिये अपने बयान में कहा कि नेहरू जी ने सन 1965 में आरएसएस को गणतंत्र दिवस परेड में आने का न्योता दिया था. हालांकि आपको बता दें कि रमन सिंह के ये दोनों ही आंकड़े गलत हैं. फैक्ट यह है कि सन 1963 में नेहरू जी ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस की परेड में आने का न्योता दिया था.
धर्मांतरण रोकने में आरएसएस की बड़ी भूमिका
आज इस देश में जिस प्रकार धर्मांतरण की आंधी चल रही है, उसको रोकने का काम अगर कोई संगठन सामने आकर करता है तो इसमें निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ से लेकर पूरे देश में आरएसएस की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है. बच्चों को संस्कार देना शिक्षित और राष्ट्रभक्त बनाना, यह आरएसएस की शाखा में सिखाया जाता है. देश के प्रति अटूट भक्ति के कारण ही आज लाखों बच्चे सरस्वती शिशु मंदिर से निकलते हैं तो संस्कारित होकर निकलते हैं. आज भूपेश जी की मानसिकता दिख गई कि कितनी ओछी मानसिकता है उनकी. कैसा विचार वह रखते हैं. वह कह रहे हैं कि कवर्धा की घटना छोटी है और उस घटना को बड़ी किया जा रहा है.
महोत्सव मनाना गलत नहीं, आदिवासियों की समस्या का पहले निवारण करें सीएम
उत्सव मनाना चाहिए. उत्सव मनाने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि आदिवासियों की मूलभूत समस्याओं का निराकरण होना चाहिए. उनकी बात सुनी जानी चाहिए. जिस प्रकार वह पीड़ित हैं, उनकी पीड़ा का निराकरण होना चाहिए.
जहां डेवलपमेंट नहीं हुआ, वहां होना चाहिए
भाजपा की सोच स्पष्ट है. भारतीय जनता पार्टी की मान्यता है कि डेवलपमेंट उन्हीं क्षेत्रों में होना चाहिए, जहां विकास सबसे कम हुआ है. कांग्रेस के शासनकाल में आजादी के बाद सबसे ज्यादा अगर पिछड़ा क्षेत्र है तो बस्तर से लेकर सरगुजा तक का. वहां न सड़क बनने दी गई और न ही स्कूल. न ही पुल बने. एक प्रकार से पूरे वनांचल में जो आज भी पिछड़ापन दिख रहा है, उसकी वजह है कांग्रेस. भाजपा के 15 साल में बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में जिस प्रकार परिवर्तन आया है. एजुकेशन से लेकर हेल्थ, रेलवे, रोड कनेक्टिविटी तक में यह अगर 50 साल पहले होता तो आज अबूझमाड़ जैसे स्थान छत्तीसगढ़ के लिए नक्सलियों के आश्रय केंद्र नहीं बनते.
स्टेट गवर्नमेंट की वजह से कोयले की हो रही कमी
कोयले के परिवहन में ट्रांसपोर्टिंग की दिक्कत आती है. कोयले के उत्पादन में कोई कमी नहीं है. कोयला मंत्री ने यह कहा है. परिवहन के सिस्टम में कहीं पर बारिश की वजह से दिक्कत है. जितना स्टॉक स्टेट गवर्नमेंट को रखना चाहिए था, एडवांस में वह यदि उठा लिये होते तो यह संकट नहीं आता.