रायपुर: लोककला और कलाकारों की धरती छत्तीसगढ़ के कलाकार संस्कृति विभाग के रवैये से परेशान हैं. कलाकारों का कहना है कि प्रदेश का संस्कृति विभाग लोक कलाकारों पर ध्यान नहीं दे रहा है. कला को अपना पूरा जीवन देने वाले कलाकारों को विभाग की ओर से सहयोग तक नहीं मिल पा रहा है. कई कलाकारों की माली हालत बेहद खराब है.
छत्तीसगढ़ के कई लोक कलाकारों से ETV भारत ने बातचीत की है. कलाकारों ने जीवन में आए उतार-चढ़ाव के बारे में बताया. उन्होंने वर्तमान समय में फोक आर्टिस्ट्स की हालत को खराब बताया है. इसके साथ ही विभाग पर भी अनदेखी के आरोप लगाए हैं.
पेंड्रा में छत्तीसगढ़ी फिल्म मोर मया के चिन्हा की शूटिंग, लोगों में उत्साह
पाई-पाई को मोहताज हैं कलाकार : रमा जोशी
छत्तीसगढ़ की जानी-मानी गायिका रमा जोशी से ETV भारत ने बात की है. उन्होंने भेदभाव का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार कुछ कलाकारों को हर बार पूछ रही है. वहीं कुछ कलाकारों को वर्षों पहले भुला दिया गया है. कई आर्टिस्ट तो मंच नहीं मिलने के कारण आज गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान खुद को इस भेदभाव का शिकार बताया है.
रमा जोशी का कहना है कि कई कलाकार जिन्होंने छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को देश-दुनिया में पहचान दिलाई. आज उन्हें कोई नहीं पूछ रहा है. यही हाल बीजेपी के शासनकाल में भी था. अब कांग्रेस के शासन में भी उपहास का सामना करना पड़ रहा है.
अजीत जोगी की बायोपिक फिल्म के ऑडिशन में पहुंचे सैकड़ों कलाकार
ना काम, ना उपचार, ना पेंशन : चैतराम
छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी अलग पहचान बनाने वाले चेतराम विश्वकर्मा गुमनाम जीवन बिता रहे हैं. एक वक्त था, जब इनकी कला की तारीफ मशहूर फिल्मी कलाकार भी करते थे. लेकिन आज इनके पास न तो काम है, ना उपचार के लिए पैसे हैं. ना ही इन्हें सरकार की ओर से पेंशन दी जा रही है. इस दर्द को इनकी आंखों में साफ देखा जा सकता है.
चैतराम ने बताया कि साल 2015 से लगातार विभाग में पेंशन के लिए चक्कर काट रहे हैं. लेकिन इनकी नम आंखों की ओर न तो संस्कृति विभाग की नजर पड़ रही है और ना ही सरकार इनकी सुध ले रही है. इसके बाद भी यह कलाकार अपनी कला में मगन हैं. उन्होंने सारे दुख-दर्द को भुलाते हुए छत्तीसगढ़ी में कुछ पंक्तियां भी सुनाईं.
विभाग में बड़े बदलाव की जरूरत: मनमोहन ठाकुर
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के जाने-पहचाने कलाकार मनमोहन ठाकुर से भी ETV भारत ने बात की है. मनमोहन ठाकुर भी संस्कृति विभाग के अफसरों के रुख को लेकर बेहद खफा नजर आए. उनका कहना है कि विभाग के कुछ अफसरों के कामकाज के चलते सरकार की बदनामी हो रही है. उन्होंने मुख्यमंत्री बघेल से विभाग में बदलाव किए जाने की अपील की है.
लोक कलाकारों से बातचीत के बाद ETV भारत ने और पड़ताल की है. कुछ कलाकारों के नाम सामने आए, जिन्हें मदद की जरूरत है. ऐसे कलाकारों के बारे में पता चला जिन्हें पेंशन की जरूरत है.
SPECIAL: कलाकारों को नहीं मिल रही दर्शकों की ताली, कैसे हो गुजारा जब जेब हो खाली
ये हैं बीमार कलाकार
- राजनांदगांव जिला के डेटेसरा गांव के श्यामसुंदर साहू एक नाचा कलाकार हैं. लेकिन फिलहाल लकवा की समस्या से जूझ रहे हैं.
- दुर्ग जिला के लिटिया सेमहारिया गांव के सुभाष उमरे फेफड़े और लीवर की समस्या से जूझ रहे हैं.
- कुंमिता निषाद नाचा कलाकार भी लकवा ग्रस्त हो गईं हैं.
आर्थिक तंगी और इलाज के अभाव में हुई मौत
- चेतराम देशमुख, नाचा कलाकार, चंदखुरी दुर्ग
- मालती साहू, खोपली, दुर्ग
- मिठू, टेडसरा, राजनांदगांव
पेंशन के लिए हैं परेशान कलाकार
- जलिदास मानिकपुरी, दुर्ग
- गोवर्धन साहू, दुर्ग
- शिवकुमारी शर्मा गरियाबंद
- बलिराम यादव बालौद
- बहुर सिंह निषाद,दुर्ग
- बरसन नेताम राजनांदगांव
- मीना साहू, दुर्ग
- चेतन देवांगन, दुर्ग
संस्कृति विभाग से नहीं मिला कोई जवाब
आर्थिक सहायता सहित पेंशन की उम्मीद लगाए बैठे कलाकारों से बात करने के बाद ETV भारत ने संस्कृति विभाग से बात करने की कोशिश की. संस्कृति विभाग के डायरेक्टर विवेक आचार्य से बात करने ETV भारत की टीम दफ्तर पहुंची. लेकिन अधिकारी वहां मौजूद नहीं थे. इसके बाद उनसे फोन पर संपर्क किया गया. उन्होंने इस पूरे मामले में किसी भी तरह की जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया.