रायपुर: देश की आजादी का जब भी जिक्र होता है. तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अहम योगदान का जिक्र भी जरूर किया जाता है. छत्तीसगढ़ के लोगों पर नेताजी का ऐसा प्रभाव था कि जिस दिन आजादी मिली उसी दिन रायपुर के रेलवे स्टेशन चौक पर उनकी पहली प्रतिमा स्थापित की गई थी.
प्रतिमा को स्थापित करने की पहल स्वतंत्रता सेनानी कन्हैया लाल बजारी ने की थी. रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूर पहले एक चौक बनाई गई है. चौक के बीचो-बीच नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाई गई थी. जिसे कुछ साल पहले सड़क से रिकॉर्डिंग के नाम पर प्रतिमा को चौक से हटाकर किनारे लगा दिया गया था. सड़क किनारे लगे ठेले और रिक्शा के कारण नेताजी की प्रतिमा ठीक से नजर तक नहीं आती.
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छत्तीसगढ़ में सुभाषचंद्र बोस की पहली प्रतिमा
इतिहासकार रविंद्र मिश्र बताते हैं कि जब देश में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था. तब स्वतंत्रता सेनानी कन्हैया लाल बंजारी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में नेताजी की पहली प्रतिमा स्थापित की गई थी. प्रतिमा के उद्घाटन के लिए मंत्री रामकृष्ण पाटिल आए थे. इसके बाद हर साल नेता जी की जयंती पर उनके योगदान को याद करने के लिए देश भक्ति के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
धोती कुर्ता वाली इकलौती प्रतिमा
देश भर में जहां भी नेता जी की प्रतिमा स्थापित प्रतिमाओं में नेताजी को आजाद हिंद फौज वाली ड्रेस पहने दिखाया गया है. वहीं स्टेशन रोड पर स्थापित प्रतिमा एकमात्र ऐसी है जिसमें नेताजी धोती कुर्ता पहने हुए हैं. बताया जाता है कि एक या दो बार पारिवारिक कार्यक्रम के कारण नेताजी का छत्तीसगढ़ आना हुआ था.
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस का परिचय
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा (उड़ीसा) में कटक जिले के एक बंगाली परिवार में हुआ था. बोस के पिता का नाम 'जानकीनाथ बोस' था. वह पेशे से एक वकील थे. उनकी मां का नाम 'प्रभावती' था. सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता की 14 संतानें थीं, जिसमें छह बेटियां और आठ बेटे थे. नेताजी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना के खिलाफ एलायंस सेना बनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया.
नेता जी से जुड़े रोचक तथ्य
- दिसंबर 1921 में प्रिंस ऑफ वेल्स की भारत यात्रा पर आयोजित समारोह का बहिष्कार करने के लिए नेताजी को गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया.
- 1924 में नेताजी को कलकत्ता नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके बाद नेताजी को म्यांमार (पहले बर्मा नाम था) भेजा गया था, क्योंकि उनपर गुप्त क्रांतिकारी आंदोलनों के साथ संबंध रखने का संदेह था.
- 1927 में नेताजी के बर्मा (अब म्यांमार) से लौटे और उन्हें बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया. जल्द ही नेताजी और जवाहरलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो महासचिव बन गए.
- 1938 में नेताजी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था.
- 1939 में महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान के बीच मतभेदों के कारण नेताजी को कांग्रेस नेतृत्व से हटा दिया गया था.
- 26 जनवरी, 1941 को नेताजी कोलकाता निवास से भाग निकले और काबुल और मॉस्को से होते हुए अप्रैल में जर्मनी पहुंचे.
- 1937 में नेताजी ने एमिली शेंकल से शादी कर ली.
- 1943 में नेताजी टोक्यो पहुंचे और आजाद हिंद फौज का नेतृत्व किया.
- 18 अगस्त 1945 को टोक्यो (जापान) जाते समय ताइवान के पास नेताजी का एक हवाई दुर्घटना में निधन हो गया.