रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को यूं तो लगभग 2 साल का समय बचा हुआ है. लेकिन अभी से ही सरकार के मंत्रियों और विधायकों को एंटी इनकंबेंसी' का डर सताने लगा है और यह डर होना भी स्वाभाविक है क्योंकि, कोरोना काल के दौरान अधिकांश मंत्री और विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय नजर नहीं आए. एक दो मंत्रियों और कुछ विधायकों को छोड़ दें तो ज्यादतर मंत्री और विधायक अपने क्षेत्र से नदारद रहे. या फिर अपने क्षेत्र से नदारद रहे.
कई मंत्रियों ने तो अपने क्षेत्रों में जनता से दूरी बना रखी थी. कई विधायकों पर तो कोरोना काल में जनता को मदद नहीं पहुंचाने का आरोप लगा है. यही वजह है कि, अब उन मंत्री और विधायकों को एंटी इनकंबेंसी का डर सताने लगा है.
टीएस सिंहदेव के 'एंटी इनकंबेंसी' वाले बयान के बाद मचा हड़कंप
इस बात को बल तब और मिल जाता है जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव खुद यह कहते नजर आते हैं कि, 3 साल के कार्यकाल में ही मैंने महसूस किया है कि एंटी इनकंबेंसी क्या होती है. बाबा के इस बयान के बाद मानो मंत्री और विधायकों के होश उड़ गए हैं. क्योंकि कोरोना काल में यदि कोई सबसे ज्यादा सक्रिय मंत्री थे तो वह स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव थे. जिन्होंने लगातार न सिर्फ कोरोना से लड़ने की योजना बनाई. बल्कि उसका क्रियान्वयन भी किया और इसका असर भी देखने को मिला कि देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में कोरोना की वजह से भयावह स्थिति नहीं हुई.
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बावजूद इसके सिंहदेव की अपने विधानसभा क्षेत्र में दूरी नजर आई. लंबे समय तक वे अपने क्षेत्र में नहीं जा सके, उन्हें महसूस होने लगा है कि आने वाले समय में इस एंटी इनकंबेंसी का असर देखने को मिल सकता है. इसलिए उन्होंने अब ज्यादा से ज्यादा समय अपने क्षेत्र में देने का मन बनाया है.
मंत्रिमंडल विस्तार पर भी सिंहदेव ने दिया था बयान
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सिंहदेव ने बिलासपुर में कहा था कि, ये स्वाभाविक प्रक्रिया है. परिवर्तन होते रहता है. ऐसे में परिवर्तन होगा, तो मंत्रिमंडल में भी परिवर्तन होगा और मंत्रिमंडल का विस्तारीकरण किया जाना भी चाहिए. सिंहदेव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि, एंटी इंकम्बेंसी क्या होता है मैने नजदीक से महसूस किया है. वैसे वे ज्यादा से ज्यादा कोशिश करते हैं कि अपने क्षेत्र में रहें, लोगों के बीच जाएं. राजनीतिक गलियारों में टीएस सिंहदेव के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
सिंहदेव के बयान को आधार बनाकर बीजेपी सरकार पर कर रही हमला
वहीं टीएस सिंहदेव के इस बयान को भाजपा ने लपक लिया है. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि, प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंह देव के द्वारा प्रदेश में एंटी इंकम्बेंसी के माहौल को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है. यह इस बात का संकेत करता है कि 2023 में कांग्रेस सरकार की विदाई तय है. रमन सिंह ने बघेल सरकार पर आरोप लगाया कि आज प्रदेश में माफिया राज, हत्या, लूटपाट चरम पर है.
रमन सिंह ने कहा कि बघेल एटीएम मुख्यमंत्री हैं. वह केवल गांधी परिवार को खुश करने में जुटे हुए हैं. रमन सिंह ने कहा कि जब सत्ता पक्ष के मंत्री ही कहने लगे हैं कि उनकी सरकार जन भावनाओं के मुताबिक काम नहीं कर रही है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री दूसरे राज्य में जाकर किस छत्तीसगढ़ मॉडल की बात करते हैं यह समझ से परे है. प्रदेश की जनता में आक्रोश इस कदर है जिसे भापते हुए प्रदेश के मंत्री ने अपनी मन की बात कही है.
सीएम बघेल ने भी मंत्रिमंडल विस्तार के दिए थे संकेत
वहीं राजनीति जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि, मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल में फेरबदल के संकेत कुछ दिन पूर्व ही दे दिए थे. लेकिन उस समय की राजनीतिक परिस्थिति अलग होने या फिर हाईकमान से अनुमति न मिलने के कारण फेरबदल नहीं हो सका था. तिवारी ने कहा कि टीएस सिंहदेव ने जो बदलाव के संकेत दिए हैं वह कहीं ना कहीं सही प्रतीत हो रहे हैं. इस बार सिंहदेव ने मुख्यमंत्री बदलाव की नहीं बल्कि मंत्रिमंडल में फेरबदल की बात कही है. उन्होंने जनता की नाराजगी की वजह से आने वाले समय में विधायकों के टिकट काटे जाने के भी संकेत दिए हैं
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सिंहदेव के इस बयान के कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं. सिंहदेव के बयान के यह भी मायने है कि, शायद लोगों में मुख्यमंत्री के खिलाफ नाराजगी नहीं है बल्कि उनके क्षेत्र के विधायकों के खिलाफ नाराजगी है जिन्होंने विधानसभा चुनाव 2018 में एंटी इनकंबेंसी की लहर में अपने अपने क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वोटों से जीत तो जरूर हासिल कर ली. लेकिन उसके बाद वहां की जनता का विश्वास नहीं जीत सके हैं. तिवारी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि, ऐसी परिस्थिति सिर्फ सत्ता पक्ष के विधायकों में देखने को मिले. यह स्थिति विपक्ष के विधायकों में भी देखने को मिल सकती है. इस बार भी वर्तमान भाजपा विधायकों के टिकट कटने के संकेत पहले ही आ चुके हैं.
मंत्रियों और विधायकों का रिपोर्ट कार्ड बनाने में जुटी कांग्रेस
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस संगठन अभी से ही मंत्रियों और विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में जुट गया है. वही मुख्यमंत्री खुद इन विधायकों की जमीनी हकीकत पता करने विधानसभा के बजट सत्र के बाद विधानसभावार दौरा करेंगे. इस दौरान वे मंत्री और विधायकों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेंगे. कयास लगाए जा रहे हैं कि, उनके इस विधानसभावार दौरे के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है.
कई मंत्री और विधायक अपने विधानसभा क्षेत्रों के दौरे में जुटे
रिपोर्ट कार्ड तैयार किए जाने की अटकलों के बीच प्रदेश के मंत्री और कांग्रेस विधायक अब सक्रिय होने की तैयारी में जुट गए हैं. कुछ ने तो अपने क्षेत्र का दौरा भी शुरू कर दिया है. मंत्री टीएस सिंहदेव, उमेश पटेल, शिव डहरिया, ताम्रध्वज साहू, अमरजीत भगत ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में घूमना शुरू कर दिया है. वहीं अन्य विधायक भी अपने-अपने क्षेत्रों में डटे हुए हैं.
कुछ मंत्रियों को करना पड़ रहा है जनता के विरोध का सामना
इस बीच कई जगहों पर मंत्री और विधायकों को जनता के गुस्से का सामना भी करना पड़ रहा है. यदि मंत्री शिव कुमार डहरिया की बात की जाए तो उनको अपने विधानसभा क्षेत्र में विरोध का सामना करना पड़ा है. डहरिया के क्षेत्र में सामाजिक भवन नहीं बनाने से नाराजगी की बात सामने आई थी. आरंग में भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी सार्वजनिक रूप से विरोध किया था. वहीं प्रेमसाय सिंह टेकाम के कामकाज को लेकर भी क्षेत्र के लोगों में नाराजगी भले ही ना हो, लेकिन उनके खिलाफ असंतोष जरूर व्याप्त है. क्योंकि उनके विभाग के कामकाज को लेकर कई बार कांग्रेस विधायकों ने मंत्री सहित मुख्यमंत्री से भी शिकायत की है कि उनके द्वारा दिए गए काम नहीं हो रहे हैं.
अब देखने वाली बात है कि, विधानसभा के बजट सत्र के बाद एंटी इनकंबेंसी का असर किस मंत्री और विधायकों पर पड़ेगा. अगर मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो किस मंत्री पर गाज गिर सकती है. ये भी देखने वाली बात होगी. फिर किस विधायक को सरकार में जगह दी जाएगी , यह चर्चा का विषय बना हुआ है. बहरहाल वर्तमान मंत्रियों और विधायकों को एंटी इनकंबेंसी का डर सताने लगा है अब देखने वाली बात है कि, यह लोग इस डर से कैसे उबरते हैं.