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कैसे मनेगी किसानों की दिवाली ?, 1 दिसंबर से धान खरीदी को किसान संगठन ने बताया सीएम का अड़ियल रवैया

इस बार किसानों की दिवाली फीकी रहेगी, यह कहना है किसान संगठनों का. किसान संगठनों का कहना है कि 1 दिसंबर से धान खरीदी होने से किसान किसानों के हाथ दिवाली जैसे पर्व पर भी खाली रहेंगे, जिससे उनकी दिवाली फीकी रहेगी. किसान संगठनों ने इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अड़ियल रवैया करार दिया है.

Along with the opposition the farmers' organization also dominates the Bhupesh government.
विपक्ष के साथ-साथ किसान संगठन भी भूपेश सरकार पर हावी
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Published : Nov 3, 2021, 6:19 PM IST

Updated : Nov 3, 2021, 7:44 PM IST

रायपुर : राज्य सरकार (Government of Chhattisgarh) ने 1 दिसंबर से धान खरीदी का ऐलान किया है, लेकिन इसकी तारीख को लेकर अब किसान संगठन (Farmers Organization) सहित विपक्ष ने राज्य सरकार पर हमला तेज कर दिया है. किसान संगठन का कहना है कि सरकार द्वारा एक महीना देरी से धान खरीदी की जा रही है. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. इसका नतीजा यह होगा कि इस बार किसानों की दिवाली फीकी (Farmers Diwali Faded) रहेगी.

विपक्ष के साथ-साथ किसान संगठन भी भूपेश सरकार पर हावी

पहले 1 नवंबर से ही होती थी धान खरीदी

पहले 1 नवंबर से धान खरीदी होती थी, जिसके कारण किसान अपना धान बेचकर हंसी-खुशी दिवाली मनाते थे. संगठन के पदाधिकारियों का यह भी कहना है कि क्योंकि धान कटाई शुरू हो गई है और ऐसे में अगर बीच में बरसात आ गई तो किसानों की फसल चौपट हो जाएगी. इससे किसानों की शत-प्रतिशत नुकसान की आशंका है. इस वजह से किसानों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ेगी.

15 नवंबर से हो धान खरीदी नहीं तो प्रदेश की मंडियां खोले सरकार : किसान संगठन

किसान संगठनों ने इसे मुख्यमंत्री का अड़ियल रवैया करार दिया है. किसान संगठन ने कहा है कि मुख्यमंत्री खुद किसान पुत्र होने के बावजूद इस तरह का निर्णय ले रहे हैं. मानो वे अड़कर बैठे हैं कि 1 दिसंबर से ही धान खरीदी करनी है. इस बीच किसान संगठन ने भूपेश सरकार से यह भी मांग की है कि धान खरीदी 15 नवंबर से की जाए या फिर प्रदेश की सभी मंडियां खोल दी जाएं. उसमें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर धान की बिक्री की व्यवस्था की जाए. इससे कुछ हद तक किसानों को राहत मिल सकती है. नहीं तो राज्य सरकार का एक दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय सीधे तौर पर व्यापारियों को लाभ पहुंचाने वाला निर्णय है.

राजीव गांधी न्याय योजना के तहत खाते में आई राशि, लेकिन निकासी नहीं कर पा रहे किसान

किसान संगठन का यह भी कहना है कि राज्य सरकार के द्वारा राजीव गांधी न्याय योजना के तहत 1 नंबर को किसानों के खाते में राशि डाली गई, लेकिन उस राशि को आज किसान निकाल नहीं पा रहा है. 2 तारीख को दिनभर सर्वर डाउन था. आज 3 तारीख है, इस दिन भी कई जगह काम नहीं हो पा रहा है. कल दिवाली है, ऐसे में यदि इस राशि का भुगतान पहले कर दिया जाता है तो किसानों की दिवाली और भी बेहतर हो सकती थी. वह अपना पुराना कर्ज चुका देते और खुशहाली के साथ दिवाली मनाते.

भाजपा का आरोप-कांग्रेस ने जान-बूझकर तारीख एक महीने बढ़ा दी

भाजपा का भी आरोप है कि कांग्रेस सरकार लगातार किसानों को धोखा दे रही है. भाजपा शासनकाल में 15 साल तक 1 नवंबर से धान खरीदी की गई, लेकिन कांग्रेस सरकार जान-बूझकर साजिश कर इसकी तारीख को 1 महीने आगे बढ़ाने का काम किया है. दिसंबर में धान खरीदी का ऐलान किया है. इससे किसानों की दिवाली फीकी हो गई है. किसानों की जेब में पैसा नहीं है और सरकार यहां उत्सव मना रही है. एक तरफ राज्य सरकार दिल्ली के किसानों का समर्थन कर रही है तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में किसान परेशान हैं. प्रदेश के किसानों को बोनस की राशि भी सही समय पर नहीं मिल रही है. न ही धान की ही खरीदी हो रही है. आज किसान आत्महत्या करते हैं तो उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है. यह दोहरा मापदंड राज्य सरकार द्वारा अपनाया जा रहा है.

कांग्रेस का दावा-किसानों की हर जरूरत पूरी कर रही भूपेश सरकार

वहीं कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किसानों की हर जरूरतों को पूरा किया जा रहा है. उनकी समस्याओं को दूर किया जा रहा है. किसानों का कर्जा माफ किया गया. धान की सही कीमत दी जा रही है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत उन्हें अंतर की राशि दी जा रही है. इससे किसान खुशहाल हैं, लेकिन भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है. इसलिए वह इस तरह की बयानबाजी कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि इस बार बारिश देर से हुई है. इसलिए धान की फसल भी देर से लगाई गई है, जिस वजह से कटाई भी देरी से होगी. इसलिए राज्य सरकार द्वारा 1 दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय लिया गया है. कांग्रेस सरकार द्वारा लगातार 1 दिसंबर को ही धान खरीदी की जा रही है.

फिर से तारीख होगी आगे या 1 दिसंबर से ही होगी धान खरीदी ?

पड़ोसी राज्यों से आने वाले धान को रोकने के लिए भी राज्य सरकार ने कमर कस रखी है. कांग्रेस का कहना है कि भाजपा शासनकाल में पड़ोसी राज्यों से धान की तस्करी की जाती थी. इसे रोकने का काम कांग्रेस सरकार द्वारा किया जा रहा है, जिससे छत्तीसगढ़ के किसानों का उनका मिल सके. अब देखने वाली बात है कि किसान संगठन और भाजपा का यह दबाव कितना कारगर साबित होता है. क्या सरकार आने वाले समय में धान खरीदी की तारीख पहले करती है या फिर निर्धारित 1 दिसंबर से ही धान की खरीदी शुरू करेगी, इसका पता आने वाले समय में ही चल सकेगा.

रायपुर : राज्य सरकार (Government of Chhattisgarh) ने 1 दिसंबर से धान खरीदी का ऐलान किया है, लेकिन इसकी तारीख को लेकर अब किसान संगठन (Farmers Organization) सहित विपक्ष ने राज्य सरकार पर हमला तेज कर दिया है. किसान संगठन का कहना है कि सरकार द्वारा एक महीना देरी से धान खरीदी की जा रही है. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. इसका नतीजा यह होगा कि इस बार किसानों की दिवाली फीकी (Farmers Diwali Faded) रहेगी.

विपक्ष के साथ-साथ किसान संगठन भी भूपेश सरकार पर हावी

पहले 1 नवंबर से ही होती थी धान खरीदी

पहले 1 नवंबर से धान खरीदी होती थी, जिसके कारण किसान अपना धान बेचकर हंसी-खुशी दिवाली मनाते थे. संगठन के पदाधिकारियों का यह भी कहना है कि क्योंकि धान कटाई शुरू हो गई है और ऐसे में अगर बीच में बरसात आ गई तो किसानों की फसल चौपट हो जाएगी. इससे किसानों की शत-प्रतिशत नुकसान की आशंका है. इस वजह से किसानों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ेगी.

15 नवंबर से हो धान खरीदी नहीं तो प्रदेश की मंडियां खोले सरकार : किसान संगठन

किसान संगठनों ने इसे मुख्यमंत्री का अड़ियल रवैया करार दिया है. किसान संगठन ने कहा है कि मुख्यमंत्री खुद किसान पुत्र होने के बावजूद इस तरह का निर्णय ले रहे हैं. मानो वे अड़कर बैठे हैं कि 1 दिसंबर से ही धान खरीदी करनी है. इस बीच किसान संगठन ने भूपेश सरकार से यह भी मांग की है कि धान खरीदी 15 नवंबर से की जाए या फिर प्रदेश की सभी मंडियां खोल दी जाएं. उसमें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर धान की बिक्री की व्यवस्था की जाए. इससे कुछ हद तक किसानों को राहत मिल सकती है. नहीं तो राज्य सरकार का एक दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय सीधे तौर पर व्यापारियों को लाभ पहुंचाने वाला निर्णय है.

राजीव गांधी न्याय योजना के तहत खाते में आई राशि, लेकिन निकासी नहीं कर पा रहे किसान

किसान संगठन का यह भी कहना है कि राज्य सरकार के द्वारा राजीव गांधी न्याय योजना के तहत 1 नंबर को किसानों के खाते में राशि डाली गई, लेकिन उस राशि को आज किसान निकाल नहीं पा रहा है. 2 तारीख को दिनभर सर्वर डाउन था. आज 3 तारीख है, इस दिन भी कई जगह काम नहीं हो पा रहा है. कल दिवाली है, ऐसे में यदि इस राशि का भुगतान पहले कर दिया जाता है तो किसानों की दिवाली और भी बेहतर हो सकती थी. वह अपना पुराना कर्ज चुका देते और खुशहाली के साथ दिवाली मनाते.

भाजपा का आरोप-कांग्रेस ने जान-बूझकर तारीख एक महीने बढ़ा दी

भाजपा का भी आरोप है कि कांग्रेस सरकार लगातार किसानों को धोखा दे रही है. भाजपा शासनकाल में 15 साल तक 1 नवंबर से धान खरीदी की गई, लेकिन कांग्रेस सरकार जान-बूझकर साजिश कर इसकी तारीख को 1 महीने आगे बढ़ाने का काम किया है. दिसंबर में धान खरीदी का ऐलान किया है. इससे किसानों की दिवाली फीकी हो गई है. किसानों की जेब में पैसा नहीं है और सरकार यहां उत्सव मना रही है. एक तरफ राज्य सरकार दिल्ली के किसानों का समर्थन कर रही है तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में किसान परेशान हैं. प्रदेश के किसानों को बोनस की राशि भी सही समय पर नहीं मिल रही है. न ही धान की ही खरीदी हो रही है. आज किसान आत्महत्या करते हैं तो उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है. यह दोहरा मापदंड राज्य सरकार द्वारा अपनाया जा रहा है.

कांग्रेस का दावा-किसानों की हर जरूरत पूरी कर रही भूपेश सरकार

वहीं कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किसानों की हर जरूरतों को पूरा किया जा रहा है. उनकी समस्याओं को दूर किया जा रहा है. किसानों का कर्जा माफ किया गया. धान की सही कीमत दी जा रही है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत उन्हें अंतर की राशि दी जा रही है. इससे किसान खुशहाल हैं, लेकिन भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है. इसलिए वह इस तरह की बयानबाजी कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि इस बार बारिश देर से हुई है. इसलिए धान की फसल भी देर से लगाई गई है, जिस वजह से कटाई भी देरी से होगी. इसलिए राज्य सरकार द्वारा 1 दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय लिया गया है. कांग्रेस सरकार द्वारा लगातार 1 दिसंबर को ही धान खरीदी की जा रही है.

फिर से तारीख होगी आगे या 1 दिसंबर से ही होगी धान खरीदी ?

पड़ोसी राज्यों से आने वाले धान को रोकने के लिए भी राज्य सरकार ने कमर कस रखी है. कांग्रेस का कहना है कि भाजपा शासनकाल में पड़ोसी राज्यों से धान की तस्करी की जाती थी. इसे रोकने का काम कांग्रेस सरकार द्वारा किया जा रहा है, जिससे छत्तीसगढ़ के किसानों का उनका मिल सके. अब देखने वाली बात है कि किसान संगठन और भाजपा का यह दबाव कितना कारगर साबित होता है. क्या सरकार आने वाले समय में धान खरीदी की तारीख पहले करती है या फिर निर्धारित 1 दिसंबर से ही धान की खरीदी शुरू करेगी, इसका पता आने वाले समय में ही चल सकेगा.

Last Updated : Nov 3, 2021, 7:44 PM IST
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