रायपुर: इस बार बारिश देर तक होने की वजह से कई खेतों में अभी भी नमी बरकरार है. जिस वजह से धान की पैदावार प्रभावित हो रही है. किसान खेत की नमी की वजह से धान की कटाई नहीं कर पा रहे हैं. यही वजह है कि 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू किये जाने के बावजूद खरीदी केंद्र सुनसान पड़े हुए हैं. ऐसे में धान की फसल को बचाने क्या किया (Expert opinion to save paddy crop in chhattisgarh) जा सकता है? जानिए एक्सपर्ट की राय...
ऐसे नमी से धान के फसल को बचाएं: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर घनश्याम साहू का कहना है कि "इस बार देर तक बारिश हुई है. जिस वजह से खेतों में नमी बनी हुई है. जिस वजह से उचेहरा फसल लेने वाले किसानों को देरी हुई है. इसके अलावा अगेती किस्म का धान लगाने वाले किसनों को ज्यादा नुकसान हुआ है. लेकिन पछेती किस्म 130-135 दिन में तैयार होता है. इसके लिए किसान यह ध्यान रखें कि जहां भी धान की बाली पक गई है और खेतो में पानी का भराव है, उस पानी को बराबर निकालें." save paddy crop in chhattisgarh
अगेती किस्म और पछेती किस्म के फसलों के लिए करें ये उपाय: कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर घनश्याम साहू का कहना है कि "अगेती किस्म का धान जो आंधी तूफान आने से लेट और सो गया हो, उसे मैनुअल हार्वेस्टिंग कर सकते हैं या रिपर की सहायता से धीरे धीरे हार्वेस्टिंग करा सकते हैं. जहां पर खेत में नमी नहीं के बराबर है, वहां पर हार्वेस्टर या कंबाइन हार्वेस्टर के माध्यम से तत्काल हार्वेस्टिंग कर सकते हैं. यदि हार्वेस्टिंग कराने के बाद भी धान में नमी है, तो किसानों को ध्यान देना होगा कि कम से कम 12 से 14% नमी जांच लेवें. इसके लिए किसान गांव के कोठार में धन को सुखा दें. सूखने के दो-तीन दिन बाद जब धान को दांत से दवाएं और वह दो टुकड़े हो जाए, तो समझ जायेगा कि धान में नमी 12 से 14% है. इस तरीके से धान को भंडारण करने के पहले किसान 12 से 14% नमी रख के धान को बचा सकते हैं." save paddy crop in chhattisgarh
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सब्जी की फसल लगाने वाले किसान अपना सकते हैं यह तरीका: कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर घनश्याम साहू का कहना है कि "जो किसान उतेरा फसल लगाने वाले हैं, वे फसल लगाने में थोड़ा लेट हो रहे हैं. लेकिन हमारे छत्तीसगढ़ में तिवड़ा और महा तिवड़ा है, उसे किसान आसानी से लगा सकते हैं. और जो सब्जी वर्गीय किसान है, जिनको अक्टूबर में आलू, भटा, मिर्ची, टमाटर, गोभी लगाना था, वह किसान जरूर पीछे हुए हैं. लेकिन धान कटाई के बाद किसान मेढ़-नाली पद्धति से जुताई करके गोभी वर्गीया फसल आसानी से लगा सकते हैं."
दलहन की फसल बचाने कर सकते हैं नीम बेस्ट पेस्टिसाइड का उपयोग: कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर घनश्याम साहू का कहना है कि "यदि दलहन फसल जैसे अरहर या अन्य कोई फसल लगाते है. तो इसके लिए पानी में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन समय-समय कीड़े और बीमारियों का फसल पर प्रकोप होता है. इसके लिए किसानों को ध्यान देना होगा. यदि कीड़े बीमारी लगते हैं, तो नीम बेस्ट आयल, खली या अर्क बेस्ट पेस्टिसाइड है. उसका उपयोग किसानों को करना चाहिए.
तीनों किस्म के धान लगाने से किसानों को नहीं होगा नुकसान: कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर घनश्याम साहू का कहना है कि "इस बार बारिश लेट हुई है, तो आपको यह भी ध्यान देना होगा कि भविष्य में कुछ खेतों में पानी का भराव कम होता है, उन खेतों में अगेती किस्म लगाएं और कुछ खेतों में मध्यम और पचेती किस्म लगाना चाहिए. जिससे यदि कहीं बारिश ज्यादा हो गई, तो मध्यम और पचेती किस्म में अच्छा उत्पादन मिल जाता है. यदि बारिश कम हुई, तो अगेती किस्म में अच्छा उत्पादन होता है. तो तीनों प्रकार के किस्म को किसानों को लगाना चाहिए.