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शरीर में दैवीय शक्ति को लेकर धारणाएं, कितनी है बातों में सच्चाई, जानिए क्या कहता है विज्ञान ?

Expert Opinion On Divine Power In Body किसी भी इंसान के शरीर में देवी देवता आ सकते हैं.इस बात पर कई लोगों को यकीन है.अक्सर देवी मंदिरों या जगरातों में लोग झूमने लगते हैं.इसके बाद अजीब हरकतें करके आकर्षण का केंद्र बनते हैं.लेकिन क्या सच में इन लोगों पर किसी दैवीय शक्ति का साया आता है.ये जानने की कोशिश की ईटीवी भारत की टीम ने.Raipur Latest news

Expert Opinion On Divine Power In Body
शरीर में दैवीय शक्ति को लेकर धारणाएं
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 22, 2023, 6:13 PM IST

शरीर में दैवीय शक्ति को लेकर धारणाएं

रायपुर : भारत देश में आस्था का सर्वोपरि मानी जाती है. हर जाति धर्म और समुदाय के लोग देवी देवताओं में विश्वास रखते हैं.देवी मंदिरों में हमें अक्सर एक चीज देखने को मिलती है.माता की आरती या ढोल नगाड़ों की थाप बजने पर स्त्री और पुरुष झूमने लगते हैं.कई जगहों पर लोग जलते अंगारों पर चलते हैं या फिर नुकीली चीजों को अपने शरीर के अंगों में घुसाते हैं.जो भी व्यक्ति या महिला इन चीजों को करता है उस पर दैवीय शक्ति आने की बात कही जाती है.लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है.ये जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की है.

क्या सच में होती है दैवीय शक्ति ? : लोगों के अंदर दैवीय शक्ति आने की बात कितनी सच्ची है.इसे जानने के लिए मनोरोग विशेषज्ञ सुरभि दुबे से हमारी टीम ने बात की.सुरभि दुबे के मुताबिक देवी माता आना या भूत प्रेत का शरीर में घुस जाना इसे हम डिसोसिएशन या ट्रांस डिसऑर्डर बोलते हैं. अलग-अलग कल्चर में अलग-अलग तरह के लोग व्यवहार करते हैं. ये बीमारी का रूप तब लेती है. जब हमारे रोजमर्रा के काम में अड़ंगा आता है. इसका इलाज बेहद जरूरी है. क्योंकि यह समय के साथ अधिक मात्रा में बढ़ने लगती है. जिससे पीड़ित व्यक्ति स्वयं को या अपने आसपास के लोगों को हानि पहुंचा सकते हैं.

'' बहुत सारी बातें ऐसी होती है जो सामाजिक तौर पर व्यक्ति बोल नहीं पता. तो व्यक्ति देवी आने या माता आने का बहाना लेकर के अपने मन की बातें लोगों के सामने बोल जाता है. क्योंकि यह कल्चुरली एक्सेप्टेबल टर्म है. कुछ लोग पंडित या किसी बाबा बैगा के पास जाकर इसका इलाज करवाते हैं. यह भी एक तरीका है जो व्यक्ति को मेंटल सैटिस्फेक्शन देता है. लेकिन इसके साथ आप डॉक्टर या साइकैटरिस्ट के पास जाकर भी इसका इलाज कराएं और जो समस्या है उसे जड़ से खत्म करें"- डॉ सुरभि दुबे, मनोचिकित्सक

क्या है ज्योतिषिय तर्क ? : इस बारे में पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी का कहना है कि" ज्योतिष आयुर्वेद का भी एक हिस्सा है. यह दोनों ही वेदांग कहलाते हैं. वेद में इस तरह के व्यवहार को उन्माद कहा जाता है. जिसे आप मेडिकल टर्म में हिस्टीरिया समझ सकते हैं. जिन लोगों को भी इस तरह की समस्या है उन्हें एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए. क्योंकि मुझे ऐसा लगता है 16 कला से निपुण देवताओं के वेग को धारण करने लायक मनुष्य का शरीर नहीं है. जिस


''देवता के अंदर 16 कला का तेज होता है उसे चार कला का शरीर धारण नहीं कर सकता.क्यों कोई अपने अंतर मन में इस तरह का वहम पाल लेता है कि उसके अंदर देवताओं का वास है या पूरी तरह से एक भ्रम है इसे आप हेलो सेनाइशिया कह सकते हैं."- पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी,ज्योतिषाचार्य

दैवीय शक्ति में कितनी सच्चाई ? : किसी के शरीर में देवी या देवता का आना सिर्फ एक मेंटल डिसॉर्डर है.इस बीमारी में व्यक्ति अपने दिमाग में जो सोचता है उसी तरह से व्यवहार करता है.डॉक्टर के मुताबिक इस बीमारी का इलाज वक्त रहते संभव है.वहीं ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक किसी भी शरीर में देवता के आने जैसी बात में किसी भी तरह की सच्चाई नहीं है.क्योंकि शास्त्रों की माने तो देवताओं के अंदर 16 प्रकार की कलाएं होती है.जिसे किसी भी इंसान के लिए धारण करना मुमकिन नहीं.इसलिए किसी भी साधारण इंसान के शरीर में देवी देवताओं का वास नहीं हो सकता.

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रायपुर : भारत देश में आस्था का सर्वोपरि मानी जाती है. हर जाति धर्म और समुदाय के लोग देवी देवताओं में विश्वास रखते हैं.देवी मंदिरों में हमें अक्सर एक चीज देखने को मिलती है.माता की आरती या ढोल नगाड़ों की थाप बजने पर स्त्री और पुरुष झूमने लगते हैं.कई जगहों पर लोग जलते अंगारों पर चलते हैं या फिर नुकीली चीजों को अपने शरीर के अंगों में घुसाते हैं.जो भी व्यक्ति या महिला इन चीजों को करता है उस पर दैवीय शक्ति आने की बात कही जाती है.लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है.ये जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की है.

क्या सच में होती है दैवीय शक्ति ? : लोगों के अंदर दैवीय शक्ति आने की बात कितनी सच्ची है.इसे जानने के लिए मनोरोग विशेषज्ञ सुरभि दुबे से हमारी टीम ने बात की.सुरभि दुबे के मुताबिक देवी माता आना या भूत प्रेत का शरीर में घुस जाना इसे हम डिसोसिएशन या ट्रांस डिसऑर्डर बोलते हैं. अलग-अलग कल्चर में अलग-अलग तरह के लोग व्यवहार करते हैं. ये बीमारी का रूप तब लेती है. जब हमारे रोजमर्रा के काम में अड़ंगा आता है. इसका इलाज बेहद जरूरी है. क्योंकि यह समय के साथ अधिक मात्रा में बढ़ने लगती है. जिससे पीड़ित व्यक्ति स्वयं को या अपने आसपास के लोगों को हानि पहुंचा सकते हैं.

'' बहुत सारी बातें ऐसी होती है जो सामाजिक तौर पर व्यक्ति बोल नहीं पता. तो व्यक्ति देवी आने या माता आने का बहाना लेकर के अपने मन की बातें लोगों के सामने बोल जाता है. क्योंकि यह कल्चुरली एक्सेप्टेबल टर्म है. कुछ लोग पंडित या किसी बाबा बैगा के पास जाकर इसका इलाज करवाते हैं. यह भी एक तरीका है जो व्यक्ति को मेंटल सैटिस्फेक्शन देता है. लेकिन इसके साथ आप डॉक्टर या साइकैटरिस्ट के पास जाकर भी इसका इलाज कराएं और जो समस्या है उसे जड़ से खत्म करें"- डॉ सुरभि दुबे, मनोचिकित्सक

क्या है ज्योतिषिय तर्क ? : इस बारे में पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी का कहना है कि" ज्योतिष आयुर्वेद का भी एक हिस्सा है. यह दोनों ही वेदांग कहलाते हैं. वेद में इस तरह के व्यवहार को उन्माद कहा जाता है. जिसे आप मेडिकल टर्म में हिस्टीरिया समझ सकते हैं. जिन लोगों को भी इस तरह की समस्या है उन्हें एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए. क्योंकि मुझे ऐसा लगता है 16 कला से निपुण देवताओं के वेग को धारण करने लायक मनुष्य का शरीर नहीं है. जिस


''देवता के अंदर 16 कला का तेज होता है उसे चार कला का शरीर धारण नहीं कर सकता.क्यों कोई अपने अंतर मन में इस तरह का वहम पाल लेता है कि उसके अंदर देवताओं का वास है या पूरी तरह से एक भ्रम है इसे आप हेलो सेनाइशिया कह सकते हैं."- पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी,ज्योतिषाचार्य

दैवीय शक्ति में कितनी सच्चाई ? : किसी के शरीर में देवी या देवता का आना सिर्फ एक मेंटल डिसॉर्डर है.इस बीमारी में व्यक्ति अपने दिमाग में जो सोचता है उसी तरह से व्यवहार करता है.डॉक्टर के मुताबिक इस बीमारी का इलाज वक्त रहते संभव है.वहीं ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक किसी भी शरीर में देवता के आने जैसी बात में किसी भी तरह की सच्चाई नहीं है.क्योंकि शास्त्रों की माने तो देवताओं के अंदर 16 प्रकार की कलाएं होती है.जिसे किसी भी इंसान के लिए धारण करना मुमकिन नहीं.इसलिए किसी भी साधारण इंसान के शरीर में देवी देवताओं का वास नहीं हो सकता.

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