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बघेल सरकार के लिए धान खरीदी बनी चुनौती !

छत्तीसढ़ में धान खरीदी पर हो रही राजनीति पर विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है. उनका कहना है कि राज्य सरकार के लिए आने वाला चार साल चुनौतीपूर्ण होगा.

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Published : Nov 27, 2019, 12:05 AM IST

Updated : Nov 27, 2019, 1:20 AM IST

expert advice on dhan kharidi in chhattisgarh
बघेल सरकार के लिए धान खरीदी बनी चुनौती !

रायपुर : छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर एक बार फिर से प्रदेश की सियासत गरमा गई है. पक्ष-विपक्ष दोनों एक दूसरे पर धान की खरीदी को लेकर आरोप मढ़ रहे है. इस सबके बीच राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपए और 1815 रूपए प्रति क्विंटल पर ही धान खरीदी करने का एलान कर दिया है. लेकिन किसानों को प्रति क्विंटल धान खरीदी के बदले 2500 रुपए देने के वादे को लेकर अभी भी मुखिया भूपेश बघेल अडिग है. इसके लिए एक कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया गया है, लेकिन किसानों और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय मे धान खरीदी चिंता का सबब बन सकता है.

बघेल सरकार के लिए धान खरीदी बनी चुनौती !

धान को लेकर भविष्य में होने वाली राजनीति पर वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर ने कहा कि भूपेश सरकार ने किसानों के बारे में सोचकर यह फैसला लिया लेकिन उन्हें देखना चाहिए कि इसका परिणाम क्या होगा. बहुत अच्छे प्रदर्शन की आप उम्मीद नहीं कर सकते आप के हाथ बंधे हुए है. नैय्यर ने ये भी कहा कि जो वादा कर कांग्रेस प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई, उस वादे को अगले चार साल तक निभाना भूपेश सरकार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा.

'भूपेश सरकार की नीयत पर शक नहीं है'
धान खरीदी में देरी ने भी सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है, हालात ऐसे हैं कि कई किसान 1600 से 1700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने को मजबूर हैं. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि उन्हें भूपेश सरकार की नीयत पर शक नहीं है लेकिन नियति क्या होगी इस पर संशय अवश्य है, क्योंकि राज्य सरकार के पास संसाधन की कमी है. यदि वे सभी संसाधन का इस्तेमाल कर धान बेच भी देते हैं तो राज्य का विकास रुक जाएगा जिससे हर वर्ग पर असर पड़ेगा.

'धान खरीदी में देरी से किसान परेशान'
वहीं छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के संचालक मंडल के सदस्य वैगेन्द्र सोनबेर भी कहते हैं कि किसानों के साथ दिक्कतें पहले ही कम नहीं है और अब धान खरीदी में देरी से किसान परेशान हो रहे हैं. इतना ही नहीं आने वाले सालो में खरीदी को लेकर चिंता बढ़ गई है, जबकि जो किसान पहले दूसरी फसल लेने लगे थे वो भी सरकार के वादे के बाद और घोषणा के बाद धान की फसल लेने लगे हैं.

बता दें कि इस वर्ष अब तक 19 लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचने के लिए नामांकन कराया है. राज्य सरकार ने 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है जिसके लिए सरकार को 21 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. भूपेश सरकार का हर एक मंत्री 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का दावा कर रहा है, साथ ही किसानों को ये आश्वासन भी दे रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन ये कैसे होगा और कमेटी क्या सुझाव देगी ये देखने वाली बात होगी.

रायपुर : छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर एक बार फिर से प्रदेश की सियासत गरमा गई है. पक्ष-विपक्ष दोनों एक दूसरे पर धान की खरीदी को लेकर आरोप मढ़ रहे है. इस सबके बीच राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपए और 1815 रूपए प्रति क्विंटल पर ही धान खरीदी करने का एलान कर दिया है. लेकिन किसानों को प्रति क्विंटल धान खरीदी के बदले 2500 रुपए देने के वादे को लेकर अभी भी मुखिया भूपेश बघेल अडिग है. इसके लिए एक कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया गया है, लेकिन किसानों और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय मे धान खरीदी चिंता का सबब बन सकता है.

बघेल सरकार के लिए धान खरीदी बनी चुनौती !

धान को लेकर भविष्य में होने वाली राजनीति पर वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर ने कहा कि भूपेश सरकार ने किसानों के बारे में सोचकर यह फैसला लिया लेकिन उन्हें देखना चाहिए कि इसका परिणाम क्या होगा. बहुत अच्छे प्रदर्शन की आप उम्मीद नहीं कर सकते आप के हाथ बंधे हुए है. नैय्यर ने ये भी कहा कि जो वादा कर कांग्रेस प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई, उस वादे को अगले चार साल तक निभाना भूपेश सरकार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा.

'भूपेश सरकार की नीयत पर शक नहीं है'
धान खरीदी में देरी ने भी सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है, हालात ऐसे हैं कि कई किसान 1600 से 1700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने को मजबूर हैं. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि उन्हें भूपेश सरकार की नीयत पर शक नहीं है लेकिन नियति क्या होगी इस पर संशय अवश्य है, क्योंकि राज्य सरकार के पास संसाधन की कमी है. यदि वे सभी संसाधन का इस्तेमाल कर धान बेच भी देते हैं तो राज्य का विकास रुक जाएगा जिससे हर वर्ग पर असर पड़ेगा.

'धान खरीदी में देरी से किसान परेशान'
वहीं छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के संचालक मंडल के सदस्य वैगेन्द्र सोनबेर भी कहते हैं कि किसानों के साथ दिक्कतें पहले ही कम नहीं है और अब धान खरीदी में देरी से किसान परेशान हो रहे हैं. इतना ही नहीं आने वाले सालो में खरीदी को लेकर चिंता बढ़ गई है, जबकि जो किसान पहले दूसरी फसल लेने लगे थे वो भी सरकार के वादे के बाद और घोषणा के बाद धान की फसल लेने लगे हैं.

बता दें कि इस वर्ष अब तक 19 लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचने के लिए नामांकन कराया है. राज्य सरकार ने 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है जिसके लिए सरकार को 21 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. भूपेश सरकार का हर एक मंत्री 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का दावा कर रहा है, साथ ही किसानों को ये आश्वासन भी दे रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन ये कैसे होगा और कमेटी क्या सुझाव देगी ये देखने वाली बात होगी.

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छत्तीसगढ़ में धान को लेकर एक बार फिर से प्रदेश की राजनीति मे सियासत तेज हो गई है। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी को लेकर राज्य सरकार की ओर से तमाम तरह के हिला हवाला करने के बाद अब धान 1835 रुपए में ही खरीदी करने के एलान किया है। लेकिन किसानों को 2500 रुपए देने के वादे को लेकर अभी भी मुखिया भूपेश बघेल अडिग है। इसके लिए एक कमेटी बनाने का एलान कर दिया है, लेकिन किसानों और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय मे धान खरीदी चिंता का विषय बन सकता है।
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वीओ 1

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के धान के नाम पर सियायत तो हमेशा से होती रही है। प्रदेश में पिछले 15 सालो से सत्ता में काबिज़ भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से उखाड़ फेंकने में कांग्रेस के लिए किसानों से किया गया वादा ही तुरुप का इक्का साबित हुआ था। धान के बदले 2500 रुपए प्रति क्विंटल देने की कांग्रेस की चुनावी घोषणा पर जमकर वोट बरसा था। अब सरकार में बड़े बहुमत के साथ बैठने के बाद यर वादा पूरा करना कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। सरकार के मुखिया भूपेश बघेल लगातार केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिलकर पॉलिसी में सहयोग का अनुरोध कर रहे है। अब सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपए और 1815 रूपए प्रति क्विंटल पर ही धान खरीदी करने का एलान कर दिया है। लेकिन किसानो को 2500 रुपए समर्थन मूल्य देने की बात मुखिया भूपेश बघेल ने कही है। केंद्र के अड़ंगे का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि हम किसानों के साथ है उन्हें 2500 प्रति क्विंटल देने के लिए 2500 रूपए ( अंतर की राशि ) किसानों को कैसे दिया जाए इसके लिए एक समिति गठित करने का एलान किया है जिसमें कृषिमंत्री, वन मंत्री, सहकारिता मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री सम्मिलित होंगे।

बाईट भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़

वीओ 2

धान के समर्थन मूल्य के एलान का ही असर है कि प्रदेश में इस वर्ष अब तक 19 लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचने के लिए नामांकन कराया है। ऐसे में सरकार ने 85 हजार टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है जिसके लिए सरकार को 21 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। राज्य में किसानों के धान खरीदी और समर्थन मूल्य को लेकर धान खरीदी की तारीख भी बढ़ा दी गई है। 1 नवंबर से शुरू होने वाली धान खरीदी को 1 महीने देर कर दिया गया है। इससे किसानों के साथ पहले ही दिक्कतें काफी थी अब एक बार समर्थन मूल्य को लेकर कमेटी बनाने के एलान जे साथ ही किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी चिंता में है। छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के संचालक मंडल के सदस्य वैगेन्द्र सोनबेर कहते है कि किसानों के साथ दिक्कतें पहले ही कम नही है और अब धान खरीदी मेंदेरी से किसान परेशान हो रहे है। इतना ही नही आने वाले सालो में खरीदी को लेकर चिंता बढ़ गई है। जबकि जो किसान पहले दूसरी फसल लेते थे वो भी सरकार की घोषणा के बाद धान फसल बोए थे।
बाईट- वैगेन्द्र सोनबेर, संचालक मंडल सदस्य, छग संयुक्त किसान मोर्चा
वीओ 3
वही प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर ने पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत से कहा कि चुनावी वादे अब कांग्रेस को भारी पड़ते दिख रहे है। प्रदेश में पहले ही किसानों के कर्जे माफ होने के चलते बढ़ा आर्थिक भार पड़ा है। अब सरकार ने इससे निपटने के लिए एक कमेटी बना रही है लेकिन कमेटियों को लेकर सार्थक परिणाम पहले शराबबंदी के दौर में भी नही रहे है। जरूरत है किसानों की धान खरीदी और समर्थन मूल्य के स्थायी निराकरण के।

बाईट रमेश नैय्यर, वरिष्ठ पत्रकार छत्तीसगढ़

Conclusion:फाइनल वीओ
दरअसल राज्य की समिति अध्ययन के माध्यम से राज्य सरकार किसानों के जेब में 2500 रूपए पहुंचाने की व्यवस्था करेगी। ये वादा तो किया गया है कि राज्य सरकार हर हालत में किसानों को प्रति क्विंटल धान का 2500 रूपए देगी तथा छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देगी। ऐसे में आने वाले सालो में भी ये विवाद और बढ़ सकता है।

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
Last Updated : Nov 27, 2019, 1:20 AM IST
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