रायपुर: नक्सली अपने स्वार्थ के लिए बस्तर में महिलाओं और बच्चों का इस्तेमाल करने में भी गुरेज नहीं करते. मुठभेड़ में नक्सली अक्सर महिलाओं और बच्चों को पहला घेरा में खड़े कर देते हैं. इनकी आड़ लेकर जवानों को निशाना बनाते हैं. जबकि हमारे पुलिस और अर्ध सैनिक बल महिला और बच्चों को देखकर हथियार का इस्तेमाल करने से पहले सोचते हैं. इसका लाभ पिछले कई सालों से उठा रहे नक्सलियों को पिछले कुछ समय से करारा झटका लगा है. जब फोर्स ने अपनी रणनीति में कुछ बदलाव लाया है.
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अमीरी-गरीबी के मुद्दे को हथियार बनाकर फैला रहे सम्राज्य
दरअसल नक्सलियों ने अमीरी-गरीबी के मुद्दे को हथियार बनाकर अपना जाल भारत के कई राज्यों में फैलाया है, लेकिन बस्तर में इनकी तस्वीर कुछ अलग थे. यहां आर्थिक रूप से इतना अंतर नहीं दिखाई पड़ता था. ऐसे में नक्सलियों ने बस्तर में महिला और पुरुष के बीच खाई को अपने हित साधने का जरिया बनाया. महिलाओं को समाज में उचित स्थान दिलाने का झांसा ही उनके स्वार्थपूर्ती का साधन बना हुआ है. नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी ने पिछले सालों में 889 महिला नक्सलियों के मारे जाने की बात स्वीकारी थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नक्सल समस्या का चेहरा कितना वीभत्स है.
सुरक्षा बलों को दी जा रही ट्रेनिंग
इधर, पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि लंबे समय से नक्सलियों की महिलाओं को सामने रखकर गोली चलाने की रणनीति के चलते नुकसान हुआ है, लेकिन अब सुरक्षा बलों को इसके लिए ट्रेंड कर दिया गया है. हालांकि पुलिस की कोशिश अभी भी रहती है कि बच्चों और महिलाओं पर गोली चलाने के बजाए उन्हें पकड़ा जाए.
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पुलिस नक्सलियों का डटकर करेगी सामना
अपने स्वार्थ सिद्धी के लिए नक्सली मासूम बच्चों और महिलाओं की आड़ लेते आए हैं, लेकिन हाल के दिनों में न केवल बस्तर में बल्कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और मध्यप्रदेश के बालाघाट में मुठभेड़ हुए. जवानों ने नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया, जिससे ये साफ हो गया है कि अब पुलिस लिंग भेद नहीं करेगी. देश और राज्य के खिलाफ हथियार उठने वाले हर किसी को निशाना बनाया जाएगा, फिर चाहे वो महिला हो या पुरुष.