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'लाल आतंक' पर भारी लोकतंत्र, आत्मसमर्पण करने वाले दो नक्सलियों ने की वोटिंग

10 साल बाद दो नक्सलियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर वोट डाला, लेकिन इस वोट के साथ ही कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. जिसे लेकर ETV भारत ने डीजीपी डीएम अवस्थी से खास बातचीत की है.

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Published : Sep 23, 2019, 11:51 PM IST

रायपुर : दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के दौरान आत्मसमर्पण करने वाले दो नक्सलियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और अपना वोट डाला है. नक्सलियों की मानें, तो उन्होंने इस मताधिकार का प्रयोग लगभग 10 साल के बाद किया है.

ETV भारत ने डीजीपी डीएम अवस्थी से खास बातचीत की

जब नक्सलियों का मतदाता परिचय पत्र बनाए जाने के बारे में डीजीपी डीएम अवस्थी से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि, 'मतदाता परिचय पत्र पुलिस नहीं बनाती है. इस बारे में कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है, लेकिन यदि उन्होंने सरेंडर करने के बाद मतदान किया है, तो यह लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था को दर्शाता है. आत्मसमर्पण के लिए और नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए यह बहुत बड़ी है'.

सवाल - डीजीपी से जब पूछा गया कि नक्सली जंगल में रहते हैं, ऐसे में दो दिन पूर्व आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली का मतदाता परिचय पत्र कैसे बन गया क्या नक्सली शहर आए थे. यदि नक्सलियों ने शहर में आकर मतदाता परिचय पत्र बनवाया है, तो इसकी भनक पुलिस को क्यों नहीं लगी.

जवाब - पुलिस को सारी जानकारी है और लगातार 4 साल से नक्सल अभियान चला रही है. पुलिस के लिए इस प्रकार से टिप्पणी करना उचित नहीं है.

कौन है ये सरेंडर नक्सली

  • बता दें कि दंतेवाड़ा उपचुनाव में दो नक्सलियों ने मतदान किया है. गुमियापाला गांव में 2 दिन पहले सरकार की पुनर्वास नीति से जुड़े नक्सली कांछा भीमा ने मतदान किया है.
  • इसके साथ ही सहयोगी नीलू ने भी आत्मसमर्पण कर मतदान किया है. इतना ही नहीं इस नक्सली ने आम लोगों से भी मतदान करने की अपील की है.

तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे

  • नक्सलियों का मतदाता परिचय पत्र बनाए जाने को लेकर चर्चा जोरों पर है. ये चर्चा इस लिए है कि नक्सली ने लगभग 10 साल बाद मतदान किया है.
  • ऐसे में यह समझ से परे है कि यदि नक्सली गांव या शहर में नहीं रहते थे, तो उनका मतदाता परिचय पत्र से नाम क्यों नहीं काटा गया.
  • इससे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जंगल में रहने वाले और भी नक्सलियों के मतदाता परिचय पत्र बने होंगे. साथ ही नक्सली शासन की ओर से संचालित समस्त योजनाओं का लाभ भी ले रहे होंगे.

रायपुर : दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के दौरान आत्मसमर्पण करने वाले दो नक्सलियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और अपना वोट डाला है. नक्सलियों की मानें, तो उन्होंने इस मताधिकार का प्रयोग लगभग 10 साल के बाद किया है.

ETV भारत ने डीजीपी डीएम अवस्थी से खास बातचीत की

जब नक्सलियों का मतदाता परिचय पत्र बनाए जाने के बारे में डीजीपी डीएम अवस्थी से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि, 'मतदाता परिचय पत्र पुलिस नहीं बनाती है. इस बारे में कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है, लेकिन यदि उन्होंने सरेंडर करने के बाद मतदान किया है, तो यह लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था को दर्शाता है. आत्मसमर्पण के लिए और नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए यह बहुत बड़ी है'.

सवाल - डीजीपी से जब पूछा गया कि नक्सली जंगल में रहते हैं, ऐसे में दो दिन पूर्व आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली का मतदाता परिचय पत्र कैसे बन गया क्या नक्सली शहर आए थे. यदि नक्सलियों ने शहर में आकर मतदाता परिचय पत्र बनवाया है, तो इसकी भनक पुलिस को क्यों नहीं लगी.

जवाब - पुलिस को सारी जानकारी है और लगातार 4 साल से नक्सल अभियान चला रही है. पुलिस के लिए इस प्रकार से टिप्पणी करना उचित नहीं है.

कौन है ये सरेंडर नक्सली

  • बता दें कि दंतेवाड़ा उपचुनाव में दो नक्सलियों ने मतदान किया है. गुमियापाला गांव में 2 दिन पहले सरकार की पुनर्वास नीति से जुड़े नक्सली कांछा भीमा ने मतदान किया है.
  • इसके साथ ही सहयोगी नीलू ने भी आत्मसमर्पण कर मतदान किया है. इतना ही नहीं इस नक्सली ने आम लोगों से भी मतदान करने की अपील की है.

तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे

  • नक्सलियों का मतदाता परिचय पत्र बनाए जाने को लेकर चर्चा जोरों पर है. ये चर्चा इस लिए है कि नक्सली ने लगभग 10 साल बाद मतदान किया है.
  • ऐसे में यह समझ से परे है कि यदि नक्सली गांव या शहर में नहीं रहते थे, तो उनका मतदाता परिचय पत्र से नाम क्यों नहीं काटा गया.
  • इससे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जंगल में रहने वाले और भी नक्सलियों के मतदाता परिचय पत्र बने होंगे. साथ ही नक्सली शासन की ओर से संचालित समस्त योजनाओं का लाभ भी ले रहे होंगे.
Intro:रायपुर दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के दौरान आत्मसमर्पण करने वाले दो नक्सलियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और अपना वोट डाला नक्सलियों की मानें तो उन्होंने इस मताधिकार का प्रयोग लगभग 10 साल के बाद किया है




Body:जब नक्सलियों का मतदाता परिचय पत्र बनाए जाने के बारे में डीजीपी डीएम अवस्थी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मतदाता परिचय पत्र पुलिस नहीं बनाती है इस बारे में कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है लेकिन यदि उन्होंने सरेंडर करने के बाद मतदान किया है तो यह लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था को दर्शाता है आत्मसमर्पण के लिए और नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए बहुत बड़ी घटना है

डीजीपी से जब पूछा गया कि नक्सली जंगल में रहते हैं ऐसे में 2 दिन पूर्व आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली का मतदाता परिचय पत्र कैसे बन गया क्या नक्सली शहर आए थे और यदि नक्सलियों ने शहर में आकर मतदाता परिचय पत्र बनवाया है तो इसकी भनक पुलिस को क्यों नहीं लगी जिसके जवाब में डीएम अवस्थी ने कहा कि पुलिस को सारी जानकारियां है और अच्छे से लगातार 4 साल से नक्सल अभियान चला रही है पुलिस के लिए इस प्रकार से टिप्पणी करना उचित नहीं है।
बाइट डीएम अवस्थी डीजीपी




Conclusion:बता दें कि दंतेवाड़ा उपचुनाव में दो नक्सली द्वारा मतदान किया गया है गुमियापाला गांव में 2 दिन पहले सरकार की पुनर्वास नीति से जुड़े नक्सली कांछा भीमा ने मतदान किया है उसके साथ ही उसके सहयोगी नीलू ने भी आत्मसमर्पण कर आज मतदान किया है इतना ही नहीं इन नक्सली के द्वारा आम लोगों से भी मतदान करने की अपील की गई है

जिसके बाद से ही नक्सलियों का मतदाता परिचय पत्र बनाए जाने को लेकर चर्चा जोरों पर है बताया जा रहा है कि इन नक्सली ने लगभग 10 साल बाद मतदान किया है ऐसे में यह समझ से परे है कि यदि नक्सली गांव या शहर में नहीं रहते थे उनका मतदाता परिचय पत्र से नाम क्यों नहीं काटा गया है इससे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जंगल में रहने वाले और भी नक्सलियों के मतदाता परिचय पत्र बने होंगे साथ ही वे नक्सली शासन की द्वारा संचालित समस्त योजनाओं का लाभ भी ले रहे होंगे।

नोट
1. इस खबर में अशोक नायडू द्वारा भेजे गए नक्सली मतदान के विजुअल इस्तेमाल किए जा सकते हैं
2. यह बाइट किसी और के पास नहीं है सिंगल आईडी में हमारे पास ही है
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