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रायपुर: घर लौट रहे मजदूरों का दर्द, 'अब नहीं जाएंगे बाहर'

रायपुर के टाटीबंध चौक में हर रोज 4 हजार प्रवासी मजदूर पहुंच रहे है, जहां प्रशासन और सिख समाज की ओर से इनके लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है.

every day 4 thousand migrant laborers arriving in tatibandh chowk of raipur
हर रोज पहुंचे रहे 4 हजार प्रवासी मजदूर
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Published : May 14, 2020, 8:36 PM IST

Updated : May 14, 2020, 8:47 PM IST

किसी ने खूब कहा है 'शहर के गली-कूचे इतिहास की बेरहम सच्चाइयों के गवाह रहे है' कुछ ऐसा ही हुआ गरीब मजदूरों के साथ जो गांव से इस उम्मीद से परदेश पहुंचे कि यहां अब उन्हें भूखे-पेट सोना नहीं पड़ेगा और जिंदगी का गुजारा अच्छे से चल जाएगा.लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने उनका ये खूबसूरत ख्वाब चकनाचूर कर दिया, जिसके बाद अब ये गरीब वापस अपने गांवों की ओर चल पड़े हैं.

मजदूरों के लिए मसीहा बने सरगुजा पुलिस, खाना खिलाकर ट्रकों में किया रवाना

हर रोज पहुंच रहे 4000 मजदूर

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हर रोज पहुंचे रहे 4 हजार प्रवासी मजदूर

राजधानी रायपुर में भी हर रोज ऐसे ही हजारों मजदूर पहुंच रहे है. शहर के टाटीबंध से हर दिन लगभग 4 हजार मजदूरों को प्रदेश के दूसरे जिलों सहित झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आसाम भेजा जा रहा है. बीते 15 दिनों में पुलिस और प्रशासन ने लगभग 60,000 मजदूरों को उनके राज्य भेजा है.

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हर रोज पहुंचे रहे 4 हजार प्रवासी मजदूर

भोजन-पानी के साथ मेडिकल भी

टाटीबंध चौक पर पुलिस और प्रशासन ने एक अस्थायी राहत कैंप बनाया है जहां दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूरों का ना सिर्फ मेडिकल चेकअप हो रहा है बल्कि उन्हें भोजन कराने के बाद बसों और ट्रकों से उनके गृह राज्य और ग्राम भेजा जा रहा है.दूसरे राज्यों से रायपुर पहुंचने वाले इन हजारों गरीब श्रमिकों में महिला, पुरुष और युवाओं के साथ ही काफी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल है.इन मजदूरों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन और नाश्ते की व्यवस्था प्रशासन और सिख समाज की तरफ से की जा रही है.

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हर रोज पहुंचे रहे 4 हजार प्रवासी मजदूर


रायपुर: अपने घर लौटे मजदूर, कहा- 'अपने गांव के आसपास रोजगार ढूंढेंगे'

'अब नहीं जाएंगे परदेस'

इन गरीब मजदूरों से जब ETV भारत की टीम ने बात की तो इन मजदूरों का कहना है कि अब वे मजदूरी करने दूसरे राज्य नहीं जाएंगे और अपने ही प्रदेश में कोई रोजगार ढूंढेंगे.

किसी ने खूब कहा है 'शहर के गली-कूचे इतिहास की बेरहम सच्चाइयों के गवाह रहे है' कुछ ऐसा ही हुआ गरीब मजदूरों के साथ जो गांव से इस उम्मीद से परदेश पहुंचे कि यहां अब उन्हें भूखे-पेट सोना नहीं पड़ेगा और जिंदगी का गुजारा अच्छे से चल जाएगा.लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने उनका ये खूबसूरत ख्वाब चकनाचूर कर दिया, जिसके बाद अब ये गरीब वापस अपने गांवों की ओर चल पड़े हैं.

मजदूरों के लिए मसीहा बने सरगुजा पुलिस, खाना खिलाकर ट्रकों में किया रवाना

हर रोज पहुंच रहे 4000 मजदूर

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हर रोज पहुंचे रहे 4 हजार प्रवासी मजदूर

राजधानी रायपुर में भी हर रोज ऐसे ही हजारों मजदूर पहुंच रहे है. शहर के टाटीबंध से हर दिन लगभग 4 हजार मजदूरों को प्रदेश के दूसरे जिलों सहित झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आसाम भेजा जा रहा है. बीते 15 दिनों में पुलिस और प्रशासन ने लगभग 60,000 मजदूरों को उनके राज्य भेजा है.

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हर रोज पहुंचे रहे 4 हजार प्रवासी मजदूर

भोजन-पानी के साथ मेडिकल भी

टाटीबंध चौक पर पुलिस और प्रशासन ने एक अस्थायी राहत कैंप बनाया है जहां दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूरों का ना सिर्फ मेडिकल चेकअप हो रहा है बल्कि उन्हें भोजन कराने के बाद बसों और ट्रकों से उनके गृह राज्य और ग्राम भेजा जा रहा है.दूसरे राज्यों से रायपुर पहुंचने वाले इन हजारों गरीब श्रमिकों में महिला, पुरुष और युवाओं के साथ ही काफी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल है.इन मजदूरों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन और नाश्ते की व्यवस्था प्रशासन और सिख समाज की तरफ से की जा रही है.

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हर रोज पहुंचे रहे 4 हजार प्रवासी मजदूर


रायपुर: अपने घर लौटे मजदूर, कहा- 'अपने गांव के आसपास रोजगार ढूंढेंगे'

'अब नहीं जाएंगे परदेस'

इन गरीब मजदूरों से जब ETV भारत की टीम ने बात की तो इन मजदूरों का कहना है कि अब वे मजदूरी करने दूसरे राज्य नहीं जाएंगे और अपने ही प्रदेश में कोई रोजगार ढूंढेंगे.

Last Updated : May 14, 2020, 8:47 PM IST
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