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जानिए किसानों के लिए कैसा रहा साल 2020 - कृषि बिल पर गतिरोध

साल 2020 खत्म होने के साथ लोगों में नए साल की उम्मीदें हैं. ETV भारत ने AIFA (अखिल भारतीय किसान गठबंधन) के संयोजक और देश के जानेमाने जैविक किसान डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से बातचीत की है. उन्होंने साल 2020 में किसानों के हालात और 2021 से किसानों की उम्मीदों पर अपनी बात रखी है.

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डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से बातचीत
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Published : Jan 1, 2021, 12:50 PM IST

Updated : Jan 1, 2021, 3:41 PM IST

रायपुर: साल 2020 खत्म हो रहा है. लोगों को साल 2021 से कई उम्मीदें हैं. ETV भारत साल 2020 को लेकर मंथन कर रहा है. साल 2020 सभी के लिए चुनौतियों से भरा था. कोरोना काल में किसानों ने राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को संभाला है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किसानों को साल 2020 में क्या मिला? नए साल से उन्हें क्या उम्मीदें हैं. कृषि और कृषकों के लिहाज से साल 2020 कैसा रहा?

इन मुद्दों को लेकर ETV भारत ने AIFA (अखिल भारतीय किसान गठबंधन) के संयोजक और देश के जानेमाने जैविक किसान डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से बातचीत की है. राजाराम त्रिपाठी ने देश और प्रदेश में कृषि के हालातों पर अपनी राय रखी है.

डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से बातचीत

पढ़ें: कृषि कानून गतिरोध : राजस्थान के किसानों में आक्रोश, एमएसपी पर चर्चा चार जनवरी को

सवाल: साल 2020 कृषि के लिहाज से कैसा रहा ?

डॉ त्रिपाठी ने बताया कि हमारे देश की कृषि और किसानों के लिए तो साल बेहद ही दुश्चिंताओं और दुश्वारियों से भरा हुआ था. कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जहां देश-दुनिया की आर्थिक गतिविधियां ठप रही, तो कृषि कार्य भी हर स्तर पर बाधित हुआ. इसी बीच केंद्र सरकार ने कृषि सुधार के नाम पर 5 जून को तीन अध्यादेश पेश किए. संसद के मानसून सत्र में इसे बतौर कानून पारित भी कर दिया. इन तीनों कानूनों को लेकर देशभर के किसान पहले तो आशंकित हुए. लेकिन सरकार ने उनकी शंकाओं के निवारण के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की. धीरे-धीरे आक्रोश बढ़ते गया और साल का अंतिम तिमाही किसान के आक्रोश और आंदोलन के नाम रहा. अभी भी देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं.

डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से बातचीत

पढ़ें: धान खरीदी पर हो रही सियासत, सरकार-विपक्ष आमने-सामने

सवाल: नए कृषि बिल पर गतिरोध को किस तरह देखते हैं और इसे खत्म कैसे किया जा सकता है ?
डॉ राजाराम ने बताया कि बीते 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है. किसानों को यह तीनों कानून किसान और कृषि हितैषी के बजाय उद्योगपतियों के हिमायती महसूस होते हैं. जबकि सरकार दावा करती है कि यह तीनों कानून कृषि और किसानों की दशा-दिशा को बदलने वाला है. हालांकि, विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ओपन मार्केट में वस्तु का मूल्य बाजार आधारित नियंत्रित होगा. कैश क्रॉप्स फसल है, उससे मार्केट में ज्यादा फायदा होगा. सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान देते हुए एमएसपी पर कानूनी सुरक्षा प्रदान करे. कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग में किसानों के हितों को फोकस किया जाए. इस तरह छोटी-छोटी बातों से इस गतिरोध को काफी हद तक दूर किया जा सकता है.

सवाल - साल 2021 में किसानों के सामने क्या चुनौती है, किसानों पर क्या संभावना है.

डॉ राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होने की बात तो अब बेमानी लगती है. आंकड़े तो यह बताते हैं कि किसानों की आय तो 2022 तक दूर होने से रही, किंतु किसानों का कर्जा 2022 तक अवश्य ही दुगना हो जाएगा. किसान भाग्य भरोसे है. सरकार से जो उम्मीद थी, अब किसान नाउम्मीद हो रहे हैं. उम्मीद करने में कोई बुराई भी नहीं, क्योंकि आखिरकार उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है. डॉ त्रिपाठी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक बाद किसान आकांक्षाओं की पंखों पर सवार होकर सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार ने अपना फोकस गांवों और किसानों पर लगातार बनाए रखा है. नरवा गरवा घुरवा बाड़ी, गोठान योजना, गोधन न्याय योजना, किसान न्याय योजना और धान की खरीदी पर बोनस, देश में सबसे ज्यादा कीमत 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी जैसे ठेठ गांव और किसानों से जुड़ी योजनाओं के जरिए प्रदेश के किसानों की दशा-दिशा बदलने के लिए नए कार्य शुरू किए गए हैं.

पढ़ें: किसानों ने स्वीकारा बातचीत का प्रस्ताव, पर बात बनने की उम्मीद नहीं

सवाल: छत्तीसगढ़ में किसान बहुतायत में धान की फसल लेते हैं, सरकार समर्थन मूल्य भी 2500 रुपए दे रही है. किसानों की दशा नहीं सुधर रही है. ऐसे में यहां किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं ?

डॉ त्रिपाठी के अनुसार सिर्फ धान के दम पर किसान की माली हालत नहीं सुधर सकती, इन्हें बागवानी, मसालों, औषधि की फसलों की ओर बढ़ना होगा. कुदरत ने छत्तीसगढ़ को जलवायु और मिट्टी प्रदान की है, इससे यहां लगभग हर तरह की फसल ली जा सकती है. सिर्फ किसानों को अपने काम-काज के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है. समर्थन मूल्य के सेफ जोन से बाहर निकलना होगा.

रायपुर: साल 2020 खत्म हो रहा है. लोगों को साल 2021 से कई उम्मीदें हैं. ETV भारत साल 2020 को लेकर मंथन कर रहा है. साल 2020 सभी के लिए चुनौतियों से भरा था. कोरोना काल में किसानों ने राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को संभाला है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किसानों को साल 2020 में क्या मिला? नए साल से उन्हें क्या उम्मीदें हैं. कृषि और कृषकों के लिहाज से साल 2020 कैसा रहा?

इन मुद्दों को लेकर ETV भारत ने AIFA (अखिल भारतीय किसान गठबंधन) के संयोजक और देश के जानेमाने जैविक किसान डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से बातचीत की है. राजाराम त्रिपाठी ने देश और प्रदेश में कृषि के हालातों पर अपनी राय रखी है.

डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से बातचीत

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सवाल: साल 2020 कृषि के लिहाज से कैसा रहा ?

डॉ त्रिपाठी ने बताया कि हमारे देश की कृषि और किसानों के लिए तो साल बेहद ही दुश्चिंताओं और दुश्वारियों से भरा हुआ था. कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जहां देश-दुनिया की आर्थिक गतिविधियां ठप रही, तो कृषि कार्य भी हर स्तर पर बाधित हुआ. इसी बीच केंद्र सरकार ने कृषि सुधार के नाम पर 5 जून को तीन अध्यादेश पेश किए. संसद के मानसून सत्र में इसे बतौर कानून पारित भी कर दिया. इन तीनों कानूनों को लेकर देशभर के किसान पहले तो आशंकित हुए. लेकिन सरकार ने उनकी शंकाओं के निवारण के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की. धीरे-धीरे आक्रोश बढ़ते गया और साल का अंतिम तिमाही किसान के आक्रोश और आंदोलन के नाम रहा. अभी भी देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं.

डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी से बातचीत

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सवाल: नए कृषि बिल पर गतिरोध को किस तरह देखते हैं और इसे खत्म कैसे किया जा सकता है ?
डॉ राजाराम ने बताया कि बीते 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है. किसानों को यह तीनों कानून किसान और कृषि हितैषी के बजाय उद्योगपतियों के हिमायती महसूस होते हैं. जबकि सरकार दावा करती है कि यह तीनों कानून कृषि और किसानों की दशा-दिशा को बदलने वाला है. हालांकि, विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ओपन मार्केट में वस्तु का मूल्य बाजार आधारित नियंत्रित होगा. कैश क्रॉप्स फसल है, उससे मार्केट में ज्यादा फायदा होगा. सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान देते हुए एमएसपी पर कानूनी सुरक्षा प्रदान करे. कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग में किसानों के हितों को फोकस किया जाए. इस तरह छोटी-छोटी बातों से इस गतिरोध को काफी हद तक दूर किया जा सकता है.

सवाल - साल 2021 में किसानों के सामने क्या चुनौती है, किसानों पर क्या संभावना है.

डॉ राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होने की बात तो अब बेमानी लगती है. आंकड़े तो यह बताते हैं कि किसानों की आय तो 2022 तक दूर होने से रही, किंतु किसानों का कर्जा 2022 तक अवश्य ही दुगना हो जाएगा. किसान भाग्य भरोसे है. सरकार से जो उम्मीद थी, अब किसान नाउम्मीद हो रहे हैं. उम्मीद करने में कोई बुराई भी नहीं, क्योंकि आखिरकार उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है. डॉ त्रिपाठी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक बाद किसान आकांक्षाओं की पंखों पर सवार होकर सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार ने अपना फोकस गांवों और किसानों पर लगातार बनाए रखा है. नरवा गरवा घुरवा बाड़ी, गोठान योजना, गोधन न्याय योजना, किसान न्याय योजना और धान की खरीदी पर बोनस, देश में सबसे ज्यादा कीमत 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी जैसे ठेठ गांव और किसानों से जुड़ी योजनाओं के जरिए प्रदेश के किसानों की दशा-दिशा बदलने के लिए नए कार्य शुरू किए गए हैं.

पढ़ें: किसानों ने स्वीकारा बातचीत का प्रस्ताव, पर बात बनने की उम्मीद नहीं

सवाल: छत्तीसगढ़ में किसान बहुतायत में धान की फसल लेते हैं, सरकार समर्थन मूल्य भी 2500 रुपए दे रही है. किसानों की दशा नहीं सुधर रही है. ऐसे में यहां किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं ?

डॉ त्रिपाठी के अनुसार सिर्फ धान के दम पर किसान की माली हालत नहीं सुधर सकती, इन्हें बागवानी, मसालों, औषधि की फसलों की ओर बढ़ना होगा. कुदरत ने छत्तीसगढ़ को जलवायु और मिट्टी प्रदान की है, इससे यहां लगभग हर तरह की फसल ली जा सकती है. सिर्फ किसानों को अपने काम-काज के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है. समर्थन मूल्य के सेफ जोन से बाहर निकलना होगा.

Last Updated : Jan 1, 2021, 3:41 PM IST
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