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'कोरोना काल के बावजूद राज्य का बजट होगा लोकलुभावन' - छत्तीसगढ़ के बजट पर खास चर्चा

छत्तीसगढ़ सरकार ने आगामी बजट को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. कोरोना संक्रमण दौर के बाद का यह पहला बजट होगा. प्रदेश की जनता की नजर बजट सत्र पर टिकी हुई है. ईटीवी भारत ने प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ हनुमंत यादव से बात की है. बजट से संबंधित अलग-अलग पहलुओं के बारे में जानकारी ली है.

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डॉ हनुमंत यादव से खास बातचीत
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Published : Jan 18, 2021, 4:54 AM IST

Updated : Jan 18, 2021, 10:03 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने आगामी बजट को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास वित्त मंत्रालय भी है. उन्होंने समस्त विभाग के मंत्रियों से चर्चा शुरू कर दी है. वे हर रोज अलग-अलग विभाग के मंत्रियों से चर्चा कर बजट की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण दौर के बाद का यह पहला बजट होगा. प्रदेश की जनता की नजर बजट सत्र पर लगी हुई है.

डॉ हनुमंत यादव से खास बातचीत

21 जनवरी तक बजट पर होगी चर्चा

21 जनवरी तक बजट पर चर्चा होगी. सभी मंत्री अपने-अपने विभागों की कार्ययोजना और प्रस्ताव को सीएम भूपेश बघेल के सामने प्रस्तुत करेंगे. मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में बजट बनाया जाएगा. शुक्रवार को पहले दिन मंत्री अमरजीत भगत, जयसिंह अग्रवाल और उमेश पटेल के विभाग पर चर्चा हुई. अपने-अपने विभागों की नई योजनाओं को लेकर तीनों मंत्रियों ने सीएम भूपेश बघेल से चर्चा की थी.

देखना होगा कि आखिर इस बार का बजट कैसा रहेगा ? क्योंकि इस बार के बजट में कहीं न कहीं कोरोना का असर जरूर देखने को मिल सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार के बजट का आकार तो जरूर बढ़ेगा. लेकिन कई विभागों के बजट में कटौती होने की संभावना है. इस बार के बजट में लगभग 10 से 20% की कटौती की जा सकती है. इन सभी विषयों को लेकर ईटीवी भारत ने प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉक्टर हनुमंत यादव से बात की है. बजट से संबंधित अलग-अलग पहलुओं के बारे में जानकारी ली.

पढ़ें: सीएम भूपेश बघेल ने की बजट तैयारियों की समीक्षा बैठक

सवाल: इस साल कोरोना के कारण बजट पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

जवाब: कोरोना के चलते इस बार के बजट में लगभग 10 से 20% की कटौती की संभावना है. लेकिन कटौती का बजट पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्योंकि बजट महत्वाकांक्षी बनाया जाता है और उस पर सरकार खर्च कर पाए या न कर पाए वो बाद की बात होती है. यही वजह है कि बजट बनाते समय सरकार कोई कंजूसी नहीं दिखाती है. क्योंकि बजट अनुमानित होता है, अनुमान सही भी हो सकता है, गलत भी हो सकता है. बजट में कटौती होने के बाद भी ऐसा नजर नहीं आएगा कि विभागों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा हो.

पढ़ें: सीएम भूपेश बघेल ने मंत्रियों के साथ किया बजट पर मंथन

सवाल: क्या GDP के गिरावट का प्रभाव राज्य के बजट में दिखेगा?

जवाब: देश की जीडीपी एक वक्त 7% और 4% रहती थी. वह इस बार घटकर -3% हो गई है. लेकिन इसका प्रभाव छत्तीसगढ़ में देखने को नहीं मिलेगा. हनुमंत ने कहा कि राजस्व कमी के बावजूद राज्य सरकार का वित्तीय प्रबंधन बहुत अच्छा रहा है. उस वित्तीय प्रबंधन के कारण कोई भी यह नहीं कह सकता है कि वह बहुत अधिक राशि कटौती हुई. पिछले साल की बजट की तुलना में इस साल बजट के आकार कटौती तो होगी लेकिन इसका प्रभाव अधिक दिखाई नहीं देगा.

CM भूपेश बघेल की वित्तीय कौशल की तारीफ

हनुमंत यादव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वित्तीय कौशल की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वित्तीय प्रबंधन की पृष्ठभूमि से नहीं हैं. लेकिन जब से उन्होंने मुख्यमंत्री सहित वित्त मंत्री पद संभाला है, कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि मुख्यमंत्री को फाइनेंस के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उनके पास पॉलिटिकल साइंस की डिग्री है. वे राजनीति में रहे हैं. वे कृषक पृष्ठभूमि से हैं. लेकिन पिछले 2 साल का वित्तीय मैनेजमेंट काफी अच्छा रहा है. यही कारण है कि इस बार का भी वित्तीय बजट काफी अच्छा रहने की संभावना है.

पढ़ें: 'मुख्य सचिव जी थोड़ा गृह विभाग के लिए बजट बढ़ाइए'

बजट में रखा जाता है मार्जिन

हनुमंत ने बताया कि किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री हो वह जब वित्तीय बजट तैयार करता है तो वह बजट में मार्जिन रखता है, इसी साल भर समय-समय पर विभिन्न स्थानों में अपने प्रवास के दौरान किए जाने वाली घोषणाओं को पूरा किया जा सके. हाल ही में कोरोना काल में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में कई जिलों का दौरा किया. करोड़ों रुपए की विभिन्न योजनाओं की सौगात दी. क्योंकि इन योजना को तत्काल पूरा नहीं करना है. यह समय के साथ आगे पूरी होंगी.

हनुमंत ने बताया कि बजट घाटा राजस्व के 3% जीडीपी से कम नहीं होना चाहिए. केंद्र सरकार से जो जीएसटी की राशि आनी थी वह नहीं मिल पाया. ऐसे में राज्य सरकार को किसानों को बोनस देने के लिए कर्ज लेना पड़ा. कर्ज बड़ा है लेकिन योजनाओं पर प्रभाव नहीं पड़ा. यदि केंद्र सरकार से समय पर अनुदान राशि नहीं भी मिलती तो भी राज्य सरकार की योजनाओं ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

पढ़ें: 'हमसे गोबर खरीद ले केंद्र, जो हमारा मजाक उड़ा रहे थे, उनके मुंह पर गोबर पड़ा'

सवाल: सवाल कर्ज कैसे पूरा करेगी सरकार?

जवाब: किसी भी राज्य के लिए कर्ज लेना एक प्रक्रिया है. कर्ज वह किस्तों में अदा करती है. इसके लिए राज्य सरकार ने भी तैयारी कर रखी है. कर्ज लेने के बाद इतना प्रावधान होता है कि वह उसकी किस्त चुका सके. उन्होंने कहा कि भले ही कोरोना के चलते बजट की राशि का इस्तेमाल ना हुआ हो. लेकिन राज्य सरकार ने पहले ही सभी विभागों को कटौती करने के लिए निर्देशित कर दिया है. पूर्व में हर साल बजट में लगभग 5 से 10% की बढ़ोतरी की जाती थी. लेकिन इस बार सभी विभागों को माल में कटौती करने के निर्देश दिए गए हैं.

हनुमंत यादव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिछले बजट को देखते हुए कयास लगाया है कि इस बार का बजट लोकलुभावन होगा. साथ ही बहुत महत्वकांक्षी और बजट कोरोना काल के बावजूद भी विकास उन्मुखी होगा. अब देखने वाली बात है कि हनुमंत का अनुमान भूपेश बघेल के बजट पर कितना सटीक बैठता है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने आगामी बजट को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास वित्त मंत्रालय भी है. उन्होंने समस्त विभाग के मंत्रियों से चर्चा शुरू कर दी है. वे हर रोज अलग-अलग विभाग के मंत्रियों से चर्चा कर बजट की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण दौर के बाद का यह पहला बजट होगा. प्रदेश की जनता की नजर बजट सत्र पर लगी हुई है.

डॉ हनुमंत यादव से खास बातचीत

21 जनवरी तक बजट पर होगी चर्चा

21 जनवरी तक बजट पर चर्चा होगी. सभी मंत्री अपने-अपने विभागों की कार्ययोजना और प्रस्ताव को सीएम भूपेश बघेल के सामने प्रस्तुत करेंगे. मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में बजट बनाया जाएगा. शुक्रवार को पहले दिन मंत्री अमरजीत भगत, जयसिंह अग्रवाल और उमेश पटेल के विभाग पर चर्चा हुई. अपने-अपने विभागों की नई योजनाओं को लेकर तीनों मंत्रियों ने सीएम भूपेश बघेल से चर्चा की थी.

देखना होगा कि आखिर इस बार का बजट कैसा रहेगा ? क्योंकि इस बार के बजट में कहीं न कहीं कोरोना का असर जरूर देखने को मिल सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार के बजट का आकार तो जरूर बढ़ेगा. लेकिन कई विभागों के बजट में कटौती होने की संभावना है. इस बार के बजट में लगभग 10 से 20% की कटौती की जा सकती है. इन सभी विषयों को लेकर ईटीवी भारत ने प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉक्टर हनुमंत यादव से बात की है. बजट से संबंधित अलग-अलग पहलुओं के बारे में जानकारी ली.

पढ़ें: सीएम भूपेश बघेल ने की बजट तैयारियों की समीक्षा बैठक

सवाल: इस साल कोरोना के कारण बजट पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

जवाब: कोरोना के चलते इस बार के बजट में लगभग 10 से 20% की कटौती की संभावना है. लेकिन कटौती का बजट पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्योंकि बजट महत्वाकांक्षी बनाया जाता है और उस पर सरकार खर्च कर पाए या न कर पाए वो बाद की बात होती है. यही वजह है कि बजट बनाते समय सरकार कोई कंजूसी नहीं दिखाती है. क्योंकि बजट अनुमानित होता है, अनुमान सही भी हो सकता है, गलत भी हो सकता है. बजट में कटौती होने के बाद भी ऐसा नजर नहीं आएगा कि विभागों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा हो.

पढ़ें: सीएम भूपेश बघेल ने मंत्रियों के साथ किया बजट पर मंथन

सवाल: क्या GDP के गिरावट का प्रभाव राज्य के बजट में दिखेगा?

जवाब: देश की जीडीपी एक वक्त 7% और 4% रहती थी. वह इस बार घटकर -3% हो गई है. लेकिन इसका प्रभाव छत्तीसगढ़ में देखने को नहीं मिलेगा. हनुमंत ने कहा कि राजस्व कमी के बावजूद राज्य सरकार का वित्तीय प्रबंधन बहुत अच्छा रहा है. उस वित्तीय प्रबंधन के कारण कोई भी यह नहीं कह सकता है कि वह बहुत अधिक राशि कटौती हुई. पिछले साल की बजट की तुलना में इस साल बजट के आकार कटौती तो होगी लेकिन इसका प्रभाव अधिक दिखाई नहीं देगा.

CM भूपेश बघेल की वित्तीय कौशल की तारीफ

हनुमंत यादव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वित्तीय कौशल की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वित्तीय प्रबंधन की पृष्ठभूमि से नहीं हैं. लेकिन जब से उन्होंने मुख्यमंत्री सहित वित्त मंत्री पद संभाला है, कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि मुख्यमंत्री को फाइनेंस के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उनके पास पॉलिटिकल साइंस की डिग्री है. वे राजनीति में रहे हैं. वे कृषक पृष्ठभूमि से हैं. लेकिन पिछले 2 साल का वित्तीय मैनेजमेंट काफी अच्छा रहा है. यही कारण है कि इस बार का भी वित्तीय बजट काफी अच्छा रहने की संभावना है.

पढ़ें: 'मुख्य सचिव जी थोड़ा गृह विभाग के लिए बजट बढ़ाइए'

बजट में रखा जाता है मार्जिन

हनुमंत ने बताया कि किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री हो वह जब वित्तीय बजट तैयार करता है तो वह बजट में मार्जिन रखता है, इसी साल भर समय-समय पर विभिन्न स्थानों में अपने प्रवास के दौरान किए जाने वाली घोषणाओं को पूरा किया जा सके. हाल ही में कोरोना काल में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में कई जिलों का दौरा किया. करोड़ों रुपए की विभिन्न योजनाओं की सौगात दी. क्योंकि इन योजना को तत्काल पूरा नहीं करना है. यह समय के साथ आगे पूरी होंगी.

हनुमंत ने बताया कि बजट घाटा राजस्व के 3% जीडीपी से कम नहीं होना चाहिए. केंद्र सरकार से जो जीएसटी की राशि आनी थी वह नहीं मिल पाया. ऐसे में राज्य सरकार को किसानों को बोनस देने के लिए कर्ज लेना पड़ा. कर्ज बड़ा है लेकिन योजनाओं पर प्रभाव नहीं पड़ा. यदि केंद्र सरकार से समय पर अनुदान राशि नहीं भी मिलती तो भी राज्य सरकार की योजनाओं ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

पढ़ें: 'हमसे गोबर खरीद ले केंद्र, जो हमारा मजाक उड़ा रहे थे, उनके मुंह पर गोबर पड़ा'

सवाल: सवाल कर्ज कैसे पूरा करेगी सरकार?

जवाब: किसी भी राज्य के लिए कर्ज लेना एक प्रक्रिया है. कर्ज वह किस्तों में अदा करती है. इसके लिए राज्य सरकार ने भी तैयारी कर रखी है. कर्ज लेने के बाद इतना प्रावधान होता है कि वह उसकी किस्त चुका सके. उन्होंने कहा कि भले ही कोरोना के चलते बजट की राशि का इस्तेमाल ना हुआ हो. लेकिन राज्य सरकार ने पहले ही सभी विभागों को कटौती करने के लिए निर्देशित कर दिया है. पूर्व में हर साल बजट में लगभग 5 से 10% की बढ़ोतरी की जाती थी. लेकिन इस बार सभी विभागों को माल में कटौती करने के निर्देश दिए गए हैं.

हनुमंत यादव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिछले बजट को देखते हुए कयास लगाया है कि इस बार का बजट लोकलुभावन होगा. साथ ही बहुत महत्वकांक्षी और बजट कोरोना काल के बावजूद भी विकास उन्मुखी होगा. अब देखने वाली बात है कि हनुमंत का अनुमान भूपेश बघेल के बजट पर कितना सटीक बैठता है.

Last Updated : Jan 18, 2021, 10:03 AM IST
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