रायपुर: राम वन पथ गमन के तहत प्रदेश में जिन 9 स्थानों को राज्य सरकार पर्यटन के दृष्टिकोण से डेवलप करने जा रही है. उनमें से एक स्थान राजधानी रायपुर से लगे चंदखुरी गांव भी है. इस गांव में माता कौशल्या का 8वीं सदी का एक मंदिर स्थापित है. राज्य सरकार और स्थानीय लोग इस स्थान को माता कौशल्या की जन्मस्थली मानते हैं. ETV भारत ने चौपाल लगाकर चंद्रखुरी के लोगों से माता कौशल्या मंदिर की जानकारी ली. उनसे समझने की कोशिश की कि आखिर वह किस दावे के आधार पर कहते हैं कि माता कौशल्या का जन्म चंदखुरी में हुआ है. उन्होंने अपने पूर्वजों से इस संबंध में क्या बातें सुनी है. साथ ही इससे पहले रमन सिंह की सरकार का रुख इस गांव और मंदिर के प्रति क्या था.
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार भी इस जगह को मां कौशल्या के जन्म स्थली के तौर पर प्रचारित कर रही थी. हालांकि इसके डेवलपमेंट को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था. भूपेश सरकार ने चंदखुरी को विकसित करने का बेड़ा उठया है.
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी से लगे इस क्षेत्र को बड़े पैमाने पर विकसित करने की योजना बनाई है. हाल ही में सरकार के 2 साल के कार्यकाल के पूरे होने के मौके पर चंदखुरी में ही एक बड़ा आयोजन राज्य सरकार ने किया. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर राम के नाम पर सियासत करने का आरोप लगाया और राम से जुड़े छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक स्थानों की उपेक्षा करने का आरोप भी मढ़ दिया.
इधर छत्तीसगढ़ में राम के नाम पर जिस आक्रामक अंदाज में सरकार काम कर रही है, उससे बौखलाए विपक्ष के नेता ने ऐलान कर दिया कि चंदखुरी माता कौशल्या का जन्म स्थल ही नहीं है. सरकार इसे गलत प्रचारित कर रही है. भाजपा नेता अजय चंद्राकर के इस बयान से चंदखुरीवासियों की आस्था को गहरा ठेस पहुंचा है.
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पुरातात्विक और पौराणिक प्रमाण
चंदखुरी के लोगों ने बताया कि माता कौशल्या के चंदखुरी में जन्म स्थल होने को लेकर कई पुरातात्विक और पौराणिक प्रमाण मौजूद हैं, जिनका अध्ययन करने से स्पष्ट होता है कि माता कौशल्या का जन्म चंदखुरी में ही हुआ था.
विपक्ष में आते ही भाजपा ने माता कौशल्या की जन्मस्थली मानने से किया इंकार
ईटीवी से खास बातचीत के दौरान स्थानीय लोगों ने कहा कि जबतक भाजपा सत्ता में थी तब तक वह चंदखुरी को माता कौशल्या की जन्मस्थली मानती थी. यहां पर भाजपा सरकार ने कई भव्य आयोजन किए थे. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित मंत्रिमंडल और भाजपा के नेता शामिल रहे, लेकिन सत्ता परिवर्तन के साथ ही विपक्ष में जाते ही भाजपा के नेता इसे जन्मस्थली मानने से ही इंकार कर दिया.
भाजपा इस पर कर रही है सिर्फ सियासत
स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि माता कौशल्या की जन्म स्थली को लेकर भाजपा सिर्फ और सिर्फ राजनीति करने का काम कर रही है. जब तक उनकी सरकार थी तब तक उन्होंने इस स्थल को विकसित नहीं किया. अब जब कांग्रेस सरकार इसे विकसित करने को लेकर काम कर रही है तो भाजपा इसे गलत बता रही है.
कई पीढ़ियों से माता कौशल्या की जन्मस्थली सुनते आ रहे हैं
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां माता कौशल्या का जन्म स्थल होने की बात वे कई पीढ़ियों से सुनते आ रहे हैं. उन के दादा परदादा बताते है कि यहां पर माता कौशल्या की जन्मस्थली थी. इसके साथ ही कई पौराणिक आधार भी बताया गया था.
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चंदखुरी की इष्ट देवी हैं माता कौशल्या
ईटीवी भारत की चौपाल में चंदखुरी के लोगों ने कहा कि वे लोग माता कौशल्या को इष्ट देवी मानते हैं. उनकी पूजा करते हैं. हर साल यहां कई धार्मिक पूजा-पाठ और अनुष्ठान किया जाता है.
भाजपा के बयान से लोगों की धार्मिक आस्था को पहुंची ठेस
चंदखुरी के लोगों ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि अजय चंद्राकर का बयान कहीं न कहीं चंदखुरी के लोगों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचा है.
अब देखने वाली बात है कि चंदखुरी में माता कौशल्या का 'जन्म होने और न होने' को लेकर चल रहा विवाद कब थमता है. क्या राज्य सरकार प्रमाणित कर सकेगी की माता कौशल्या का जन्म चंदखुरी में हुआ था. या फिर विपक्ष इस बात का प्रमाण देगी कि चंदखुरी में माता कौशल्या नहीं जन्मी थी. या फिर यह मामला सिर्फ राजनीतिक मुद्दा बनकर रह जाता है.