रायपुर: छत्तीसगढ़ से भारतीय जनता पार्टी के नेता नंद कुमार साय छत्तीसगढ़ में बीजेपी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं. साल 1977 में नंद कुमार साय ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद लगातार वे संगठन और सत्ता से जुड़े रहे. नंद कुमार साय बीजेपी के सांसद भी रहे. बाद में नंद कुमार साय को अनुसूचित जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया था. नंद कुमार साय बीजेपी में कई अहम पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं
छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय ने छत्तीसगढ़ में हो रहे धर्मांतरण को लेकर चिंता जताई है. नंद कुमार साय ने भारतीय जनता पार्टी के संगठन को मजबूत करने के लिए पुराने और अनुभवी लोगों को संगठन में जगह देने की पैरवी की है. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए नंद कुमार साय ने यह भी कहा है कि "छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पीछे, जनजातीय वर्ग के लोगों को नेतृत्व देने का, दृष्टिकोण रहा होगा."
सवाल : कांग्रेस के नेता और मंत्रियों का कहना है कि "राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को वर्ग विशेष से जोड़ना उचित नहीं है ?
जवाब : द्रौपदी मुर्मू आदिवासी वर्ग से तो हैं लेकिन योग्यता में भी वे किसी से कम नहीं है. राष्ट्रपति पद के लिए जो अच्छे उम्मीदवार में योग्यता होनी चाहिए, वह सभी बातें द्रौपदी मुर्मू में है. वह गवर्नर रहीं हैं और उनकी वर्किंग की तारीफ हुई है. वे हर लिहाज से योग्य उम्मीदवार हैं.
सवाल : ईडी ने जब राहुल गांधी से पूछताछ की, उस समय कांग्रेस के नेताओं ने प्रदर्शन किया. एसआईटी ने भी नरेंद्र मोदी से कई बार पूछताछ की थी. तब क्या आप लोगों ने ऐसा प्रदर्शन किया था ? और क्या ऐसा प्रदर्शन उचित है ?
जवाब : बिल्कुल उचित नहीं है. हमने प्रधानमंत्री के पूछताछ के दौरान ली गई तस्वीरें देखी हैं. किसी भी जगह दूसरा व्यक्ति उनके साथ नहीं था. दूसरी तरफ कांग्रेसी प्रदर्शन कर रहे हैं. ईडी के सामने अपनी बातें रखनी चाहिए. इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए.
ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ का विकास मॉडल फेल, असम और बिहार के बाद अब यूपी की जनता भी इसे नकारेगी: धरमलाल कौशिक
सवाल : छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है. क्या इस योजना में ऐसी कोई बात है, जिसका विरोध किया जाना चाहिए ?
जवाब : बिल्कुल नहीं है. अग्निपथ युवाओं को सेना के रूप में तैयार करने की योजना है. यह देश की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई योजना है. कांग्रेस का विरोध राजनीतिक दृष्टि से भी सही नहीं है और ना ही देश हित के लिए सही है.
सवाल : प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के संगठन को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए ?
जवाब : मैं पार्टी को मजबूत करने के लिए हमेशा काम करते आ रहा हूं. मुझे भी लगता है कि "हम प्रदेश में, पार्टी को कैसे मजबूत करें ? संगठन को कैसे ताकतवर बनाएं ? इस दिशा में सोचने की जरूरत भी है. संगठन के शीर्ष पर बैठे नेताओं को छत्तीसगढ़ के संगठनात्मक परिस्थितियों का अध्ययन करना चाहिए. संगठन की दृष्टि से ताकतवर और अनुभवी लोगों की सेवा संगठन में ली जानी चाहिए. उनकी शक्तियों का उपयोग किया जाना चाहिए. यह मुझे भी अनुभव हो रहा है और कुछ लोगों ने बताया है कि पार्टी को संगठन की दृष्टि से जिस तरह ताकतवर होना चाहिए. प्रदेश में वह, दिखाई नहीं पड़ रहा है. इसलिए बड़े नेताओं को कोई ठोस फैसला लेना चाहिए.
सवाल : क्या अभी आपकी पार्टी के अंदर अनुभवी लोगों को उचित स्थान नहीं मिल रहा है ?
जवाब : जगह मिले या ना मिले सवाल यह है कि पार्टी ताकतवर कैसे हो और कौन लोग हो सकते हैं. जो पार्टी को ताकतवर बना सकते हैं. इस पर चिंतन होना चाहिए. अनुभवी लोगों को जगह दी जानी चाहिए. संगठन के लिए जो अच्छी सोच रखने वाले लोग है उन्हें सामने नहीं लाया जाएगा तो इससे नुकसान ही होगा. हम लोग पिछले चुनाव के परिणाम को भी देखे हैं. इसलिए वही स्थिति कहीं आने वाले समय में ना बने. समय भी कम है. इसीलिए जल्दी ही कोई फैसला करना चाहिए अन्यथा पार्टी के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा.
ये भी पढ़ें: Face to face : आगामी चुनाव में नहीं गलेगी भाजपा की दाल, कांग्रेस की ही होगी जीत : फूलो देवी नेताम
सवाल : क्या आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ का नेतृत्व आदिवासियों को मिलना चाहिए ?
जवाब : नेतृत्व कौन करेगा ? इसका निर्णय संगठन में बैठे नेता करते हैं. लेकिन मुझे लगता है कि "राज्य का निर्माण इसी सोच के साथ किया गया होगा कि पिछड़ा जनजाति वर्ग इस राज्य का नेतृत्व कर सके.
सवाल : आगामी विधानसभा चुनाव में क्या धर्मांतरण बड़ा मुद्दा होगा ?
जवाब : चुनाव के मुद्दे से ज्यादा गंभीर बात है छत्तीसगढ़ के सामाजिक ताने-बाने को ठीक बनाए रखना. मैं चिंतित हूं. एक जमाने में जनजातीय समाज को ही कहा जाता था कि इनका धर्म परिवर्तन हो रहा है. लेकिन मुझे जानकारी मिली है कि धमतरी इलाके में 58 गांव के साहू समाज के लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं. यह चिंता का विषय है. सुनने में तो यह भी आया है कि "कई जगह, सामान्य वर्ग के लोग भी धर्मांतरित हो रहे हैं. मैंने इस विषय पर, संघ कार्यालय में भी चिंता जताई है".