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SPECIAL : राजधानी की हवा में 'जहर', खौफ में इंसान मौन बैठा प्रशासन

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रदूषण का जहर फैलता जा रहा है, जिसका असर आम इंसानों की जिंदगी पर पड़ रहा है. लोगों को त्वचा संबंधी बीमारियां हो रही है. पूरे शहर में प्रदूषण संबंधी डाटा के लिए सेंसर और इंडेक्स मशीन तो लगा दी गई है, लेकिन प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए कोई खास योजना नहीं है.

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पर्यावरण प्रदूषण
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Published : Sep 5, 2020, 9:53 PM IST

रायपुर: राजधानी में इन दिनों लगातार प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है. शहर के आसपास इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण प्रदूषण का खतरा और बढ़ रहा है. यातायात में दबाव बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी देखी गई है. ETV भारत ने राजधानी में बढ़ रहे वायु प्रदूषण और उससे जुड़े सुरक्षा के उकरण को लेकर पर्यावरण विभाग के लगाए गए सेंसर और इंडेक्स मशीन के डाटा की जानकारी ली.

राजधानी की हवा में जहर

राजधानी बनने के बाद लगातार रायपुर में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. साथ ही आसपास के इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण और यातायात में दबाव बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी देखी गई है. पर्यावरण विभाग की ओर से एयर पॉल्यूशन को मापने के लिए शहर में अलग-अलग जगहों पर डिवाइस लगाए हैं, लेकिन प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए कोई खास योजना नहीं है.

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वाहन प्रदूषण जांच केंद्र
इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए 20 स्मार्ट पोल

रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पीआरओ आशीष मिश्रा का कहना है कि एयर क्वालिटी को मापने के लिए विभाग ने कलेक्ट्रेट और एनआईटी के बाहर डिजिटल बोर्ड लगाएं हैं, जो एयर क्वालिटी इंडेक्स को दर्शाता है. रायपुर स्मार्ट सिटी ने इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के लिए 20 स्मार्ट पोल लगाए हैं. स्मार्टपोल में एयर पॉल्यूशन के एनालिसिस के लिए सेंसर लगे हुए हैं. उनसे जो भी डाटा कलेक्ट किया जाता है. उसे पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भेजा जाता है. बता दें शहर में एयर पॉल्यूशन को मापने के लिए इंडेक्स तो लगा दिए गए, लेकिन कंट्रोलिंग को लेकर बेहतर व्यवस्था नहीं की गई है.

Environment department does not have plans to control pollution in raipur
पर्यावरण प्रदूषण

पढ़ें : EXCLUSIVE : ब्रिटिश साम्राज्य आज भाजपा शासन में परिवर्तित हो गया है: सिंहदेव

शहर के औद्योगिक क्षेत्र और उरला में हाल बदहाल
रायपुर शहर के औद्योगिक क्षेत्र उरला में तमाम फैक्ट्रियां संचालित होती हैं. फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण को लेकर लापरवाही बढ़ती जा रही है. कारखानों में लगी चिमनी से निकालने वाले धुआं से आसपास के क्षेत्र के आलावा आम आदमी भी बीमार पड़ रहा है. आसपास के रहवासियों का कहना है कि प्रदूषण कंट्रोल के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. साथ ही चिमनियों की ऊंचाई भी कम है.

Environment department does not have plans to control pollution in raipur
प्रदूषण जांच मशीन
प्रदूषण जांच केंद्र बनाए गएअतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एमआर मंडावी का कहना है कि यातायात गाड़ियों से हो रहे प्रदूषण को कम करने के लिए RTO की तरफ से प्रदूषण जांच केंद्र बनाए गए हैं, जहां गाड़ियों को चेक कर गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण की जांच की जाती है. यदि जांच में गाड़ी पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं पाई जाती है, तो उन्हें सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है. साथ ही जुर्माने की कार्रवाई भी की जाती है.

पढ़ें : शिक्षक दिवस स्पेशल: ये हैं राजनांदगांव के द्रोणाचार्य. जिन्होंने 26 साल की उम्र में तैयार किए 45 राष्ट्रीय तीरंदाज

भाजपा सरकार ने 15 साल कुछ नहीं किया

प्रदूषण को लेकर पर्यावरण विद गौतम बंदोंपाध्याय का कहना है कि रायपुर इंडस्ट्रियल एरिया से लगा हुआ है. लगातार इंडस्ट्रियल एरिया से प्रदूषण का दबाव बढ़ता जा रहा है. सरकार को प्रदूषण कम करने के लिए प्लान बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 15 साल सत्ता में रही भाजपा सरकार ने भी सिर्फ आश्वासन दिया, लेकिन काम नहीं किया. अब नई सरकार से उम्मीद है कि वे प्रदूषण को कम करने के लिए जरूर कदम उठाएंगे. वहीं लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण और उसके रोकथाम को लेकर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों से बात करनी की कोशिश की तो अधिकारियों ने किसी तरह का जवाब नहीं दिया.

पीओसी को डिजिटल करने की तैयारी
जिला परिवहन अधिकारी शैलाभ कुमार साहू का कहना है कि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर वाहन पीसीसी को डिजिटल करने की तैयारी है, 25 प्रतिशत काम हो चुका है. आने वाले समय में ये काम पूरा हो जाएगा. ऑनलाइन करने से कमीश्न संबंधी जानकारी मिल जाएगी. अबतक 26 पीसीसी सेंटर ऑनलाइन हो चुके हैं.

प्रदूषण के रोकथाम के पहल नहीं

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने एयर क्वालिटी मापने के लिए तो यंत्र लगाए गए हैं. उसे लगातार वेबसाइट के जरिए प्रदर्शित भी किया जा रहा है, लेकिन प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए कोई नया प्लान नहीं दिख रहा है. इंडस्ट्रियल एरिया और अन्य चीजों से लगातार वायु प्रदूषण हो रहा है, लेकिन रोकथाम के लिए कोई सार्थक पहल नजर नहीं आ रही है.

रायपुर: राजधानी में इन दिनों लगातार प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है. शहर के आसपास इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण प्रदूषण का खतरा और बढ़ रहा है. यातायात में दबाव बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी देखी गई है. ETV भारत ने राजधानी में बढ़ रहे वायु प्रदूषण और उससे जुड़े सुरक्षा के उकरण को लेकर पर्यावरण विभाग के लगाए गए सेंसर और इंडेक्स मशीन के डाटा की जानकारी ली.

राजधानी की हवा में जहर

राजधानी बनने के बाद लगातार रायपुर में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. साथ ही आसपास के इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण और यातायात में दबाव बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी देखी गई है. पर्यावरण विभाग की ओर से एयर पॉल्यूशन को मापने के लिए शहर में अलग-अलग जगहों पर डिवाइस लगाए हैं, लेकिन प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए कोई खास योजना नहीं है.

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वाहन प्रदूषण जांच केंद्र
इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए 20 स्मार्ट पोल

रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पीआरओ आशीष मिश्रा का कहना है कि एयर क्वालिटी को मापने के लिए विभाग ने कलेक्ट्रेट और एनआईटी के बाहर डिजिटल बोर्ड लगाएं हैं, जो एयर क्वालिटी इंडेक्स को दर्शाता है. रायपुर स्मार्ट सिटी ने इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के लिए 20 स्मार्ट पोल लगाए हैं. स्मार्टपोल में एयर पॉल्यूशन के एनालिसिस के लिए सेंसर लगे हुए हैं. उनसे जो भी डाटा कलेक्ट किया जाता है. उसे पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भेजा जाता है. बता दें शहर में एयर पॉल्यूशन को मापने के लिए इंडेक्स तो लगा दिए गए, लेकिन कंट्रोलिंग को लेकर बेहतर व्यवस्था नहीं की गई है.

Environment department does not have plans to control pollution in raipur
पर्यावरण प्रदूषण

पढ़ें : EXCLUSIVE : ब्रिटिश साम्राज्य आज भाजपा शासन में परिवर्तित हो गया है: सिंहदेव

शहर के औद्योगिक क्षेत्र और उरला में हाल बदहाल
रायपुर शहर के औद्योगिक क्षेत्र उरला में तमाम फैक्ट्रियां संचालित होती हैं. फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण को लेकर लापरवाही बढ़ती जा रही है. कारखानों में लगी चिमनी से निकालने वाले धुआं से आसपास के क्षेत्र के आलावा आम आदमी भी बीमार पड़ रहा है. आसपास के रहवासियों का कहना है कि प्रदूषण कंट्रोल के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. साथ ही चिमनियों की ऊंचाई भी कम है.

Environment department does not have plans to control pollution in raipur
प्रदूषण जांच मशीन
प्रदूषण जांच केंद्र बनाए गएअतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एमआर मंडावी का कहना है कि यातायात गाड़ियों से हो रहे प्रदूषण को कम करने के लिए RTO की तरफ से प्रदूषण जांच केंद्र बनाए गए हैं, जहां गाड़ियों को चेक कर गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण की जांच की जाती है. यदि जांच में गाड़ी पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं पाई जाती है, तो उन्हें सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है. साथ ही जुर्माने की कार्रवाई भी की जाती है.

पढ़ें : शिक्षक दिवस स्पेशल: ये हैं राजनांदगांव के द्रोणाचार्य. जिन्होंने 26 साल की उम्र में तैयार किए 45 राष्ट्रीय तीरंदाज

भाजपा सरकार ने 15 साल कुछ नहीं किया

प्रदूषण को लेकर पर्यावरण विद गौतम बंदोंपाध्याय का कहना है कि रायपुर इंडस्ट्रियल एरिया से लगा हुआ है. लगातार इंडस्ट्रियल एरिया से प्रदूषण का दबाव बढ़ता जा रहा है. सरकार को प्रदूषण कम करने के लिए प्लान बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 15 साल सत्ता में रही भाजपा सरकार ने भी सिर्फ आश्वासन दिया, लेकिन काम नहीं किया. अब नई सरकार से उम्मीद है कि वे प्रदूषण को कम करने के लिए जरूर कदम उठाएंगे. वहीं लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण और उसके रोकथाम को लेकर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों से बात करनी की कोशिश की तो अधिकारियों ने किसी तरह का जवाब नहीं दिया.

पीओसी को डिजिटल करने की तैयारी
जिला परिवहन अधिकारी शैलाभ कुमार साहू का कहना है कि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर वाहन पीसीसी को डिजिटल करने की तैयारी है, 25 प्रतिशत काम हो चुका है. आने वाले समय में ये काम पूरा हो जाएगा. ऑनलाइन करने से कमीश्न संबंधी जानकारी मिल जाएगी. अबतक 26 पीसीसी सेंटर ऑनलाइन हो चुके हैं.

प्रदूषण के रोकथाम के पहल नहीं

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने एयर क्वालिटी मापने के लिए तो यंत्र लगाए गए हैं. उसे लगातार वेबसाइट के जरिए प्रदर्शित भी किया जा रहा है, लेकिन प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए कोई नया प्लान नहीं दिख रहा है. इंडस्ट्रियल एरिया और अन्य चीजों से लगातार वायु प्रदूषण हो रहा है, लेकिन रोकथाम के लिए कोई सार्थक पहल नजर नहीं आ रही है.

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