रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को कुछ ही महीने बचे हैं. राजनीतिक दल धुंआदार प्रचार में लगे हैं. इस बीच दोनों पार्टियों में किन चेहरों पर चुनाव लड़ा जाएगा, इस पर चर्चा शुरू हो गई है. कांग्रेस भूपेश बघेल पर ही दांव खेलेगी. भाजपा चाउर वाले बाबा के चेहरे को ही आगे रखेगी या कोई नया चेहरा सामने लाएगी.
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास नहीं था कोई चुनावी चेहरा: कांग्रेस की बात की जाए तो साल 2018 में कांग्रेस के सामने चुनाव के लिए कोई चेहरा नहीं था. यही वजह है कि उस दौरान कांग्रेस ने बिना चेहरे को सामने रखे हुए चुनाव लड़ा. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली और मजबूती के साथ चुनाव लड़े. उनका साथ टीएस सिंहदेव ,चरणदास महंत और ताम्रध्वज साहू ने दिया. जिसकी बदौलत कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 में एकतरफा जीत हासिल करते हुए 68 सीटों पर कब्जा जमाया. पार्टी ने प्रदेश की कमान भूपेश बघेल को सौंपी. बाद में हुए विधानसभा उपचुनाव में भी कांग्रेस ने 3 सीटों पर जीत हासिल की और वर्तमान में कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं.
भूपेश के चेहरे पर कांग्रेस लड़ेगी चुनाव: वर्तमान में देखा जाए तो कांग्रेस छत्तीसगढ़ में मजबूत स्थिति में है. कांग्रेस के पास पहले से ही 71 विधायक मौजूद है. छत्तीसगढ़ का सीएम बनने के बाद भूपेश बघेल ने सभी वर्गों को साधने कई नई योजनाएं शुरू कर दी है. किसानों की कर्ज माफी, गोधन न्याय योजना, बेरोजगारी भत्ता और इसी तरह की कई योजनाओं की चर्चा देश में हो रही है. यही वजह है कि पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव भूपेश बघेल के चेहरे पर लड़ने का मन बनाया है. इसका संकेत पूर्व और वर्तमान दोनों कांग्रेस प्रदेश प्रभारी दे चुके हैं.
15 सीटों पर सिमटी भाजपा: भाजपा की बात की जाए तो साल 2018 में भाजपा ने रमन सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ा. तीन बार जीतने के बाद चौथी बार भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. 15 साल सत्ता में रहने के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई. जिसकी कल्पना ना सिर्फ भाजपा बल्कि किसी ने भी नहीं की थी.
2018 विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी में किए गए कई बड़े बदलाव: इसके बाद से लगातार भाजपा में काफी उतार चढ़ाव देखा गया. साल 2018 से लेकर अब तक बीजेपी में कुल 4 प्रदेश अध्यक्ष बदले जा चुके हैं. एक नेता प्रतिपक्ष और तीन प्रभारी भी बदले गए हैं. ओम माथुर को हाल ही में भाजपा का प्रदेश प्रभारी बनाया गया है. जो साल 2018 के बाद बीजेपी के तीसरे प्रदेश प्रभारी है. नेताप्रतिपक्ष की बात की जाए तो 3 बार के विधायक नारायण चंदेल को यह जवाबदारी सौंपी गई है. इसके अलावा बिलासपुर के सांसद अरुण साव प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.
रमन सिंह के चेहरे पर भाजपा पूर्व में लड़ चुकी है चुनाव: छत्तीसगढ़ में साल 2003, 2008 और 2013 में लगातार हुए 3 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की. यह चुनाव रमन सिंह की अगुवाई में लड़ा गया. फिर लगातार तीन कार्यकाल में रमन सिंह मुख्यमंत्री बने रहे, हालांकि इस बार चुनाव में पार्टी कौन सा चेहरा सामने रखेगी इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. भाजपा रमन सिंह के चेहरे को सामने रखेगी या फिर किसी नए चेहरे पर चुनाव लड़ेगी, इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है.
रमन सिंह का उत्तराधिकारी खोजना नहीं है आसान: 70 साल के हो चुके डॉ रमन सिंह वर्तमान में भी भाजपा में सक्रिय नजर आ रहे हैं. जहां एक और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर देश की राजनीति में सक्रिय है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में भी उनका कद अन्य भाजपा नेताओं से कहीं ज्यादा है. ऐसे में भाजपा के लिए उनका उत्तराधिकारी खोजना आसान नहीं है. हालांकि भाजपा लगातार यह कहती नजर आ रही है कि चुनाव चेहरों पर नहीं लड़ा जाता, पार्टी के लिए सभी चुनावी चेहरा है. चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी तय करती है कि किसे कमान सौंपनी है.
कांग्रेस में भूपेश बघेल है चुनावी चेहरा: छत्तीसगढ़ में चेहरे पर राजनीति तब और तेज हो गई थी, जब हालही में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा था कि कांग्रेस के पास तो भूपेश बघेल का चेहरा है पर भाजपा के पास तो चेहरा ही नहीं है. जिसके बाद से लगातार प्रदेश में चुनावी चेहरे को लेकर चर्चा तेज हो गई है.
2018 विधानसभा चुनाव में पिट चुके हैं भाजपा के सभी चेहरे: भाजपा में चुनावी चेहरे को लेकर पूर्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी तंज कस चुके हैं. बघेल ने कहा था कि पिछला विधानसभा चुनाव रमन सिंह के चेहरे पर लड़ा गया था, तब भाजपा 15 सीटों में सिमट कर रह गई. जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया था. वहीं चेहरे फिर से है, चाहे वह रमन सिंह का हो, बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूरत हो. ये सभी चेहरे साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में पिट चुके हैं.
भाजपा के लिए सभी कार्यकर्ता है चुनावी चेहरे: कुछ दिन पहले भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर का कहना था कि चुनाव पार्टी लड़ती है, उसके बाद विधायक तय करते हैं कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा. भाजपा के लिए सभी कार्यकर्ता चुनावी चेहरा है जिनके दम पर पार्टी चुनाव लड़ती है.
मोदी के चेहरे पर भाजपा लड़ सकती है विधानसभा चुनाव: राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध का कहना है कि कांग्रेस के पास भूपेश बघेल चुनावी चेहरे के रूप में सामने हैं. पार्टी इनकी जगह किसी और दूसरे चेहरे को चुनाव के लिए सामने लाने की फिलहाल सोच नहीं सकती. दूसरी ओर भाजपा इन दिनों चुनावी चेहरे के अभाव से गुजर रही है. भाजपा अब तक जिस डॉक्टर रमन सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ती रही है इस बार वह चेहरा पीछे नजर आ रहा है. भाजपा अब तक चुनाव के लिए अपना कोई नया चेहरा सामने नहीं ला सकी है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव मोदी के चेहरे पर लड़ सकती है.