रायपुर : दुर्ग लोकसभा सीट पाटन का प्रतिनिधित्व करने वाले बीजेपी सांसद विजय बघेल सीएम भूपेश के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, हालांकि यह पहली बार नहीं है.वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी, काका और भतीजा की पारिवारिक राजनीति के खिलाफ वोट मांग रहे हैं .इसलिए पाटन में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं. अमित जोगी ने एक सार्वजनिक बैठक में कहा, अब तक परिवार से ही कोई न कोई यहां जीतता रहा है. वहीं आप के अमित कुमार हिरवानी सहित कुल 16 उम्मीदवार पाटन में मैदान में हैं, जहां 17 नवंबर को दूसरे और आखिरी चरण में 69 अन्य सीटों के साथ मतदान होगा.
कर्ज माफी को लेकर बीजेपी की सोच : जैसे-जैसे कांग्रेस के कृषि ऋण माफी और 3200 रुपये प्रति क्विंटल धान की कीमत के वादे जोर पकड़ रहे हैं.वैसे वैसे विजय बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने किसानों के लिए जो किया है,उसे जनता के बीच ला रहे हैं.विजय बघेल ने अपने चुनावी भाषण में कहा कि मोदी जी किसानों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं और मुफ्त के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहते.
दोनों में से किसका पलड़ा है भारी : दोनों बघेलों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता पाटन के लिए नई बात नहीं है. दोनों ने पिछले 2003, 2008 और 2013 में तीन बार आमना-सामना किया है. जिसमें मुख्यमंत्री ने विजय बघेल को दो बार हराया है. 2008 को छोड़कर 1993 के बाद पहली बार हार का सामना विजय बघेल को करना पड़ा था. भूपेश बघेल 1993 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. जब यह सीट मध्य प्रदेश का हिस्सा थी. हर बार उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड बेहतर किया है. 2018 में, भूपेश बघेल ने 27,477 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. लेकिन 2018 में कांग्रेस की जीत और राज्य सरकार के चार मंत्रियों के दुर्ग लोकसभा सीट से होने के बाद भी 2019 के आम चुनाव में बीजेपी के विजय बघेल को वोटों में काफी लीड मिली. 2019 के लोकसभा चुनाव में विजय बघेल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार को 3.91 लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से हराया.
कैसा है पाटन के लोगों की सोच ? : पाटन के लोगों की माने तो मुकाबला ये नहीं है कि कौन जीतता है, बल्कि ये है कि कौन क्या देता है. हर कोई वही कहता है जो वह चाहता है. वहीं कांग्रेस की कर्जमाफी को लेकर किसानों में काफी सकारात्मक सोच है.ऐसे में मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है. इस चुनावी रण में नए खिलाड़ियों के आ जाने से मुकाबला और भी रोचक हो चुका है. 17 नवंबर को चाचा भतीजा का चौथी बार आमना-सामना होगा.जिसमें ये देखना होगा कि क्या भतीजा दूसरी बार चाचा को पटखनी देता है या चाचा अपने ही चुनावी रिकॉर्ड को और अच्छा करके विरोधियों के मुंह में ताला लगाते हैं.
सोर्स- पीटीआई