रायपुर : झीरम नक्सली हमला जिसने छत्तीसगढ़ की माटी को लहू से लाल कर दिया था. बस्तर का झीरम 25 मई 2013 को गोलियों और बारूद के धधक उठा था. यहां 8 साल पहले अब तक का सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था. कांग्रेस के बड़े नेता एकजुट होकर परिवर्तन यात्रा में शामिल हुए थे. यात्रा के दौरान दरभा घाटी के झीरम इलाके में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले को निशाना बनाया. जिसमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस की पहली पंक्ति के कई कद्दावर नेता मारे गए थे. 2013 का झीरम नक्सली हमला न छत्तीसगढ़ की जनता भूल सकती है, न ही नेता.
चुनावी तैयारियों में जुटी कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस बस्तर पर था. बाकायदा एक परिवर्तन यात्रा निकाली गई थी. जिसकी शुरुआत नक्सल प्रभावित और बेहद संवेदनशील सुकमा जिले से हुई थी. सुकमा में पहली सभा को संबोधित करने के बाद कांग्रेस नेता वहां से निकले. पूरी कांग्रेस लीडरशिप लंबे अरसे बाद एक साथ थी. काफिले में कई गाड़ियां थीं. परिवर्तन यात्रा के इस काफिले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, कवासी लखमा, उदय मुदलियार सहित कई बड़े नेता शामिल थे.
'लाल' हो गई थी झीरम घाटी
काफिले ने दरभा घाटी पार करना शुरू किया. इधर नक्सली घात लगाकर बैठे हुए थे. और फिर नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. सबसे पहले नक्सल विरोधी आंदोलन चलाने वाले कांग्रेस के बड़े नेता महेंद्र कर्मा को ढ़ूंढना शुरू किया. महेंद्र कर्मा बस्तर में कांग्रेस पार्टी का चेहरा थे और उस हमले के दौरान नक्सलियों के निशाने पर थे. सबसे पहले गोलियां महेंद्र कर्मा के वाहन में लगी, जिसके बाद वे गनमैन के साथ नीचे लेट गए. लगातार फायरिंग के बाद महेंद्र कर्मा ने आत्मसमर्पण की बात कही. इसके बाद नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा को बंदी बना कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया. फिर एक-एक कर कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया.
खत्म कर दी छत्तीसगढ़ कांग्रेस की लीडरशिप
इस हमले में महेंद्र कर्मा के अलावा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार समेत कांग्रेस के कई नेताओं समेत 27 की मौत स्पॉट पर ही हो गई. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की इलाज के दौरान मौत हुई थी. नक्सलियों ने परिवर्तन यात्रा से लौट रहे कांग्रेस के काफिले पर लगातार दो घंटे तक फायरिंग की थी. इस दिल दहला देने वाली घटना को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है.
एक नजर में झीरम घाटी कांड पर
- कांग्रेस के बड़े नेता अपनी परिवर्तन यात्रा खत्म कर 4 बजे झीरम घाटी पहुंचे, जहां उन्हें गोलियों की आवाज सुनाई दी, लेकिन जब तक वे कुछ समझते नक्सलियों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया था.
- अगले मोड़ पर गोलियां महेंद्र कर्मा के वाहन में लगी, जिसके बाद वे गनमैन के साथ नीचे लेट गए.
- लगातार फायरिंग के बाद महेंद्र कर्मा ने आत्मसमर्पण की बात कही. इसके बाद नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा को बंदी बना कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
- फिर एक-एक कर कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया. इस हमले में सौ से अधिक महिला नक्सली भी शामिल थीं.
- नक्सली अपनी जीत का जश्न मना रहे थे तो पूरे देश में मातम छाया था.
- इस हमले में कुल 31 लोगों ने जान गंवाई थी.
सीएम बघेल ने शहीदों को किया नमन
सीएम भूपेश बघेल ने झीरम घाटी में 25 मई 2013 को हुए नक्सल हमले में शहीद नेताओं और जवानों को नमन करते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है. झीरम घाटी शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में बघेल ने कहा है कि झीरम घाटी के शहीदों और विगत वर्षों में नक्सल हिंसा के शिकार हुए सभी लोगों की स्मृति में वर्ष 2020 से 25 मई को हर वर्ष ’झीरम श्रद्धांजलि दिवस’ मनाया जाता है. प्रदेश के सभी शासकीय एवं अर्धशासकीय कार्यालयों में नक्सल हिंसा में शहीदों की स्मृति में 25 मई को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी जाएगी. राज्य को पुनः शांति का टापू बनाने के लिए शपथ भी ली जाएगी.
सीएम करेंगे महेंद्र कर्मा की मूर्ति का अनावरण
25 मई को झीरम हमले के 8 साल पूरे हो रहे है. इस मौके पर दंतेवाड़ा बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा की मूर्ति का गायत्री चौक में अनावरण होगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वर्चुअल मूर्ति का अनावरण करेंगे. इस दौरान कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए कार्यक्रम.