रायपुर: 25 मार्च से लगातार चल रहे लॉकडाउन से आज देश का हर एक क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इस लॉकडाउन का असर मंदिरों पर भी देखने को मिल रहा है. मंदिरों के पुजारी भी अब मंदिर खोलने की मांग कर रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से पिछले 2 महीने से मंदिर बंद हैं. जिससे अब पुजारियों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है. कुछ दिन पहले ही रायपुर के कुछ पुजारियों ने मंदिर खोलने की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा था.
मंदिर के पुजारियों ने बताया कि पिछले 2 महीने से मंदिर के कपाट बंद हैं और लॉकडाउन होने की वजह से किसी के घर में पूजा भी नहीं हो रही है. जिसके कारण पुजारियों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. पुजारियों को कोई परमानेंट सैलरी नहीं दी जाती. जो आस्था और भक्ति से भक्त चढ़ावा चढ़ाता था, उससे ही पुजारियों का गुजारा होता था. पर अब मंदिर बंद होने से पिछले 2 महीने से ना कोई भक्त मंदिर आए हैं, ना मंदिर के कपाट खुले हैं और ना ही किसी के घर पूजा या अनुष्ठान हो रहे हैं. पुजारी जल्द से जल्द मंदिर खोलने की मांग कर रहे हैं, जिससे उनका गुजारा हो सके.
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'घरों के बाहर करेंगे धरना प्रदर्शन'
संत महासभा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी राजेश्वरानंद ने बताया कि अगर 1 जून से मंदिर के कपाट नहीं खोले जाते हैं, तो रायपुर के सभी पुजारी अपने-अपने घरों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग और नियमों का पालन करते हुए धरना देंगे.
पुजारियों के सामने आर्थिक समस्या
रायपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित हनुमान मंदिर के अध्यक्ष राजकुमार राठी ने बताया कि, पुजारियों का घर सिर्फ मंदिर में आए भक्तों के चढ़ावे से चलता है. या पुजारी किसी के घर जाकर पूजा कराते थे, तो उससे उनका घर चलता था. लेकिन पिछले 2 महीनों से न किसी के घरों में पूजा हो रही है, और न ही मंदिर के पट अभी तक खुले हैं. ऐसे में इन पुजारियों के सामने अपना घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई है.
राष्ट्रीय स्तर पर लिया जाएगा फैसला
कांग्रेस प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से रोज कमाने वाले लोगों पर इसका असर हुआ है. शैलेष ने कहा कि धार्मिक स्थानों को खोले जाने के लिए क्या मांपदंड होने चाहिए और मंदिर खोला जाना चाहिए या नहीं तो इन सब को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर फैसला लिया जाएगा.