रायुपर: कोरोना वायरस ने देश के आर्थिक विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगाने का काम किया है. इसके साथ ही कई सेक्टर को प्रभावित भी किया है. जिससे लोगों के रोजगार पर संकट छा गया है. शहरों में परिवहन सेवा में अहम योगदान देने वाले ऑटो चालकों पर भी इसका खासा प्रभाव पड़ा है. ऑटो चालकों की कमाई पर कोरोना ने ग्रहण लगा दिया है.
ऑटो ड्राइवरों के सामने अपनी रोजी-रोटी चलाने की मुश्किल खड़ी हो गई है. इस महामारी काल में परिवार और घर गृहस्थी चलाने में उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिसके कारण इन्हें उधारी लेकर अपनी गृहस्थी की गाड़ी चलानी पड़ रही है. अनलॉक होने से कुछ राहत जरुर मिली थी, लेकिन पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने उस राहत पर भी पानी फेर दिया. अब इसका नतीजा ये हुआ कि ऑटो चालकों को दिनभर में पेट्रोल और डीजल तक के पैसे निकल नहीं पा रहे हैं.
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लोगों में अब भी कोरोना का डर
सरकार की अनुमति मिलने के बाद सड़कों पर ऑटो दौड़ने तो लगी है, लेकिन इनमें सवारी की संख्या पहले के मुकाबले काफी कम है. कहीं ना कहीं ऑटो में आने-जाने वाले लोगों को अब भी कोरोना का डर सता रहा है. ऑटो चालकों की माने तो लोग ऑटो और बस जैसे सार्वजनिक साधनों का इस्तेमाल करने से बच रहे हैं.
सरकार से मदद की आस
कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे ऑटो चालकों के परिवार अब इस आस में बैठे हैं कि सरकार इनकी कोई मदद करे. ऑटो ड्राइवरों का कहना है कि पहले दिनभर में उन्हें कम से कम 40 से 50 सवारियां मिल जाती थी. लेकिन अब तो 10-15 सवारी मिल जाए तो बहुत है. बता दें कि अकेले राजधानी में ही करीब 15 हजार ऑटो ड्राइवर हैं. जो आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं.