रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जलसंसाधन विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता रामानंद दिव्य के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत 5.45 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति कुर्क कर ली है. कुर्क की गई अचल संपत्तियों में मुख्यतः कृषि भूमि और प्लॉट शामिल है. जो छत्तीसगढ़ के रायपुर, विलासपुर, कोरबा और जांजगीर-चांपा जिलों में स्थित है. साथ ही बैंक खातों में जमा कुल 55.95 लाख रुपये नकद भी कुर्क कर लिया गया है.
प्रवर्तन निदेशालय ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की एफआईआर के आधार पर जांच शुरु की. दर्ज एफआईआर में रामानंद दिव्य और उनके परिवार के सदस्यों से 5 करोड़ 45 हजार 46 हजार 381 रुपये की अनुपातहीन संपत्ति का खुलासा हुआ.
पत्नी के नाम पर ज्यादातर संपत्ति
जांच में पता चला कि ज्यादातर अचल संपत्ति रामानंद की पत्नी प्रियदर्शिनी दिव्य के नाम से खरीदी गई थी. आरोपी रामानंद दिव्य ने अपने खुद के नाम पर भी कुछ संपत्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग के विभिन्न तरीकों से हासिल किया था. कुछ मामलों में रिश्तेदारों के बैंको में नगद जमा कराकर उसे उपहार या असुरक्षित ऋण के रूप में अपने खातो में लाया गया. फिर संपत्ति खरीदी गई. कुछ संपत्तियों की खरीदी के लिए पैसे का वैध स्रोत दिखाने के लिए अन्य संपत्तियों के नकली विक्रय पेपर तैयार किए गए. ताकि उनसे मिली आय को नकद में दिखाकर अपने अवैध खोतों से मिले नकद का इस्तेमाल किया जा सके.
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थोड़े समय के अंतराल में की खरीदी-बिक्री
रामानंद ने थोड़े-थोड़े समय में संपत्तियों की खरीदी और बिक्री की. ताकि खरीदी में लगने वाली पूंजी के स्रोत को सही दिखाया जा सके. जबकि मूल खरीदी गई संपत्ति का स्रोत अवैध रूप से अर्जित आय थी.
नहीं बता सके उचित स्रोत
जांच के दौरान यह सामने आया है कि 2.13 करोड़ रुपये का भुगतान संपत्तियों की खरीद के लिए नकद में किया गया. इसके अलावा 66 लाख का भुगतान नकद में विभिन्न संपत्तियों के लिए पंजीकृत कागजों में दिखाया गया. इन संपनियो को फिर नया रायपुर विकास प्राधिकरण (NRDA) ने मुआवजा देकर अधिग्रहित कर दिया. जांच के दौरान इन सभी नकद का कोई उचित स्रोत नहीं बताया जा सका है. मामले में आगे की जांच अभी भी जारी है.