रायपुर: नवरात्र में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और आराधना की जाती है. नवरात्र पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है. इसमें पूरी तरह ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया जाता है. नवरात्र के बाद दसवें दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन को असत्य पर सत्य की जीत का पर्व माना जाता है. इस दिन से ही कई लोग शुभ कार्यों की शुरूआत करते हैं. हालांकि कई काम इस दिन करना वर्जित होता है.
नहीं करना चाहिए ये काम: आइए आपको हम बताते हैं कि विजयादशमी यानि कि दशहरा के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. 9 दिनों तक प्रकृति की सेवा करने के साथ ही संयमित रूप से आहार का सेवन किया जाता है. इसके साथ ही नवरात्र के नौ दिनों में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया जाना चाहिए. ठीक इसी तरह दशहरा पर्व में भी ब्रह्मचर्य का व्रत का पालन करते हुए अपनी इंद्रियों पर विजय पाना चाहिए. विजयादशमी के दिन पेड़ नहीं काटना चाहिए. किसी को बुरे वचन नहीं बोलना चाहिए. किसी को दुःखी नहीं करना चाहिए. जीव हिंसा नहीं करनी चाहिए.
जीवों के साथ नहीं करनी चाहिए हिंसा: इस बारे में ईटीवी भारत ने पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के तौर पर मनाया जाता है. ऐसे में विजयादशमी के दिन जीवों के साथ हिंसा नहीं करनी चाहिए. निर्दयता नहीं बरतनी चाहिए. झूठ नहीं बोलना चाहिए. लोगों की निंदा नहीं करनी चाहिए. लोगों के धन को नहीं हड़पना चाहिए. साथ ही लोगों की बुराई नहीं करनी चाहिए. मांस मदिरा का सेवन भी इस दिन नहीं करना चाहिए. शुद्ध और सात्विक भोजन विजयादशमी के दिन किया जाना चाहिए. शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि के बाद विजयदशमी का पर्व उल्लास और उमंग के साथ मनाना चाहिए."
बता दें कि विजयदशमी का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. भगवान राम ने विजयादशमी के दिन ही रावण का वध किया था. तब से लेकर आज तक दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है. विजयादशमी के दिन रावण का वध होने के बाद लोग एक दूसरे को पान या फिर सोन पत्ता भी देते हैं. विजयदशमी का पर्व सौहार्द का प्रतीक है.