रायपुर: कोरोना महामारी के बाद 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन है. इस लॉकडाउन में देश भर के तमाम सरकारी और निजी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया. ये स्कूल अभी भी बंद है. ऐसे में सरकारी स्कूलों में पदस्थ टीचर्स को तो हर महीने वेतन मिल रहा है लेकिन बच्चों के फीस के भरोसे चलने वाले निजी स्कूलों के टीचर्स को वेतन नहीं मिल रहा है, कई स्कूलों में टीचर्स के वेतन में कटौती कर उन्हें वेतन दिया जा रहा है.जिससे टीचर्स को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.
सरकार की अपील का कोई असर नहीं
लॉकडाउन की घोषणा के बाद हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी ने प्राइवेट सेक्टर के संस्थाओं के संचालकों से लोगों की तनख्वाह नहीं काटने की अपील भी की थी.प्रदेश के मुखिया ने भी इस बात पर जोर दिया था कि निजी स्कूलों में जो काम कर रहे हैं उन शिक्षकों की तनख्वाह पर कोई असर ना हो लेकिन अब ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है.
राजधानी में हजारों निजी स्कूल
राजधानी रायपुर की अगर बात की जाएं तो यहां छोटे और बड़े प्राइवेट स्कूल मिलाकर हजारों स्कूल है. इनमें काम करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं की संख्या भी हजारों में है, ऐसे में पेमेंट कटौती से इन सभी की जिंदगी में काफी दिक्कतें आ रही हैं.
अप्रैल और मई का नहीं मिला वेतन
निजी स्कूल में शिक्षिका के तौर पर काम करने वाली स्मृति तंबोली से बात की तो उन्होंने बताया कि 15 मार्च के बाद से स्कूल नहीं खोले गए हैं मार्च की तनख्वाह तो दे दी गई लेकिन अप्रैल और मई की तनख्वाह नहीं दी गई, स्कूल प्रबंधन का साफ-साफ कहना है कि लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की फीस नहीं आ रही है इस वजह से शिक्षकों को पेमेंट भी नहीं दिया जा रहा है. स्मृति बताती हैं कि उनके पति और वे दोनों ही प्राइवेट जॉब में हैं दोनों मिलजुल कर अपना घर चलाते है, उनके दो बच्चे हैं दोनों स्कूल जाते हैं ऐसे में एक इनकम पूरी तरीके से बंद हो जाने से उन्हें घर चलाने में दिक्कत हो रही है.
30% कटौती कर मिल रही सैलरी
निजी स्कूल में काम करने वाली शिक्षिका रितु शर्मा बताती है कि उनकी सैलरी 30% तक काट कर दी जा रही है. यहां भी स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अप्रैल और मई के महीने में एडमिशन होना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं हो पाया है साथ ही बच्चों की फीस भी नहीं आई है, इस कारण से कटौती की जा रही है. टीचर्स को डर है कि आने वाले समय में उनकी दिक्कतें कहीं और ज्यादा ना बढ़ जाएं.
इस मामले में ETV भारत ने शिक्षाविद शशांक शर्मा से बात की. शशांक बताते हैं कि जो छोटे निजी स्कूल है उनके सामने एक बड़ी दिक्कत यह है कि उनके पास इनकम सोर्स खत्म हो गया है, क्योंकि सरकार ने कहा है कि बच्चों की फीस ना दी जाए. इस कारण से जो फीस देने में सक्षम है वह भी फीस नहीं दे रहे हैं. सरकार ने फीस ना देने वाली छूट उन परिवारों को दिया था जो फीस देने में सक्षम नहीं है.