रायपुर: कोरोना संक्रमण ने पूरी दुनिया की गति धीमी कर दी. पूरे देश के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी 25 मार्च से लॉकडाउन ने पैर पसारे और करीब ढाई महीने तक सभी क्षेत्रों में बंद का नुकसान देखने को मिला. हर क्षेत्र में लोगों को परेशानी हुई. वहीं लोगों के आवागमन पर भी विराम लग गया. राजधानी रायपुर में कभी सड़कों पर बेफिक्र दौड़ने वाली सिटी बसों के पहिए भी थम गए. इस आपदा ने सिटी बस संचालन से जुड़े हुए कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी कर दी.
लॉकडाउन के बीच ही सरकार ने 12 मई से देश में रेलवे सुविधा शुरू करने का फैसला लिया और कुछ ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया. 25 मई से हवाई सेवाएं भी शुरू कर दी गई. लेकिन छत्तीसगढ़ में सिटी बसों की सेवा नहीं शुरू हो पाई. क्षेत्रिय इलाकों में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए सिटी बस ही लोगों की पसंद होती है. कोरोना संक्रमण के डर से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में बसों को संचालित करने से भी बस संचालकों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ा, तो वहीं सिटी बसों के कंडक्टर और ड्राइवर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.
मंत्रालय जाने वाली बसों का किया जा रहा संचालन
यातायात महासंघ के उपाध्यक्ष अनवर अली के मुताबिक छत्तीसगढ़ में करीब 350 सिटी बसें चलती हैं. राजधानी रायपुर की बात की जाए तो यहां 200 सिटी बसें मौजूद हैं. 200 बसों में से 70 बस मंत्रालय के लिए चलाई जाती हैं. मंत्रालय जाने वाली सभी 70 बसें रेगुलर चल रही है, क्योंकि उनके परिचालन का खर्च मंत्रालय वहन करता है. यातायात महासंघ के उपाध्यक्ष का कहना है कि बाकी बची हुई सिटी बसों का संचालन बंद है, जिससे कर्मचारियों की परेशानियां बढ़ रही है.
सरकार से आर्थिक मदद की मांग
उपाध्यक्ष ने कहा कि शुरुआत में जब राज्य सरकार ने सिटी बस चलाने के आदेश जारी किए तो 10-15 दिनों तक बसों को चलाया भी गया, लेकिन सवारी नहीं मिलने से डीजल में लाखों रुपयों का नुकसान हो गया. उपाध्यक्ष अनवर अली का कहना है कि बीते 5 साल से प्रशासन ने सिटी बसों का किराया भी नहीं बढ़ाया है या तो शासन-प्रशासन बसों का किराया बढ़ाया, या सभी बस संचालन से जुड़े कर्मचारियों की परेशानियों का निराकरण करें. इसके बाद ही सिटी बसों का संचालन किया जाएगा. उन्होंने सरकार से आर्थिक मदद की भी मांग की है.
परिवार चलाने में हो रही मुश्किल
सिटी बस ड्राइवर ने बताया कि सिटी बस के बंद होने से उनकी रोजी-रोटी रुक गई है. पिछले चार-पांच महीने से उनके घर में पैसे नहीं है. परिवार चलाने के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बच्चों के भविष्य के लिए सहजकर रखे हुए पैसों को निकालकर मकान मालिक को घर का किराया देना पड़ रहा है. हालात ये हैं कि दो वक्त के निवाले के लिए भी उन्हें सोचना पड़ रहा है. सिटी बस कंडक्टर का कहना है कि 5 महीने से उनके पास काम नहीं है. घर पर खाली बैठने से हाथ में पैसे भी नहीं है. परिवार के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है.
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सिटी बस के ड्राइवरों और कंडक्टरों की मांग है कि जल्द से जल्द शासन-प्रशासन को उनकी मदद करनी चाहिए. जिससे उन्हें और उनके परिवार को थोड़ी राहत मिले. कोरोना संक्रमण की वजह से लोग अब भी खौफ में हैं. घरों से बाहर नहीं निकल रहे. ऐसे में उन्हें कैसे उनकी कमाई होगी. सभी का परिवार है. घर में बच्चे हैं. कोरोना संकट ने हर किसी के जीवन में ग्रहण लगा दिया है. अब देखने वाली बात होगी की शासन-प्रशासन कब इनकी गुहार सुनते हैं और कब इनकी परेशानियों का निराकरण किया जाएगा.