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गरीबों, दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर्स में शिक्षा की अलख जगा रही योगिता हुड्डा

ETV भारत महिला दिवस पर उन महिलाओं से आपको रू-ब-रू करवा रहा है. जो समाज के विकास में अपना उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं. ETV भारत ने डॉ योगिता हुड्डा से बातचीत की है. योगिता पिछले 10 सालों से छत्तीसगढ़ के युवाओं को यूपीएससी और सीजीपीएससी की तैयारी में मदद कर रही हैं. वह गरीबों दिव्यांगों और ट्रांसजेंडरों में शिक्षा की अलख जगा रहीं हैं.

dr yogita hooda free teaches to poor disabled and transgenders
डॉ योगिता हुड्डा
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Published : Mar 6, 2021, 9:21 PM IST

रायपुर: 8 मार्च को दुनियाभर में महिला दिवस मनाया जाता है. खासतौर पर महिलाओं को समर्पित एक दिन के रूप में पूरे विश्व में इसे सेलिब्रेट किया जाता है. ETV भारत भी इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष महिलाओं से आपको रू-ब-रू करवा रहा है. आज हम आपको राजधानी रायपुर की डॉ योगिता हुड्डा के बारे में बता रहे हैं. डॉ योगिता हुड्डा पिछले 10 सालों से छत्तीसगढ़ के युवाओं को यूपीएससी (UPSC) और सीजीपीएससी (CGPSC) जैसी परीक्षाओं की तैयारियां करवा रहीं हैं.

डॉ योगिता हुड्डा से खास बातचीत

योगिता ने बताया कि वो खुद भी एक वक्त यूपीएससी की तैयारी करती थीं. लेकिन कुछ कारणों से उनका चयन नहीं हो सका. जिसके बाद से योगिता छत्तीसगढ़ के युवाओं को यूपीएससी और पीएससी की कोचिंग के लिए तैयार कर रहीं हैं. जरूरतमंद युवाओं को वह निशुल्क कोचिंग भी दे रहीं हैं. दिव्यांग और ट्रांसजेंडर को भी फ्री में कोचिंग देकर परीक्षा की तैयारी करवा रहीं हैं.

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लड़कियों के जीवन में शादी का दबाव

घर में शुरू से पारिवारिक बैकग्राउंड पढ़ाई का था. उनकी मां भी टीचर हैं. उनकी मां कहती थी कि खूब पढ़ो और लोगों को पढ़ाओ, ताकि आपका ज्ञान व्यर्थ न जाए. अपने ज्ञान को लोगों को बांटते चलिए. उन्होंने कभी करियर के लिए फोर्स नहीं किया. कभी नहीं पूछा गया कि डॉक्टर बनना है या इंजीनियर बनना है. उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए दिल्ली में लंबा समय बिताया. पूरे देश के लोग दिल्ली जाते हैं. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों के लिए दिल्ली हब माना जाता है. डॉ योगिता हुड्डा कहती हैं कि लड़कियों पर एक समय के बाद शादी का दबाव बनने लगता है. ऐसे में उन्हें परिवार की ओर से फोर्स किया जाता है कि परिवार के साथ सेटल डाउन हो जाओ. उनका कहना है कि परिवार बसाने का दबाव लड़कियों पर ही ज्यादा होता है.

छत्तीसगढ़ की आदिवासी युवतियों में काफी टैलेंट

डॉ योगिता हुड्डा ने बताया कि यूपीएससी में हर साल हमारे स्टूडेंट्स का चयन होता है. सीजीपीएससी में हमारे 102 बच्चों का चयन हुआ है. यह काफी अच्छा रिजल्ट है. छत्तीसगढ़ में 2011 से लेकर साल 2021 के बीच 800 से ज्यादा बच्चों का चयन अलग-अलग पदों पर हुआ है. अलग-अलग सोसाइटी की बात करें तो छत्तीसगढ़ में महिलाएं भी बहुत अच्छा काम कर रहीं हैं. बहुत सारे उदाहरण ऐसे भी हैं जिसमें काफी उम्र की महिलाओं ने अपनी मेहनत से परीक्षाओं को पास किया है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के ट्राइबल बेल्ट में भी काफी टैलेंट है. अंजू कुमार जो ट्राइबल बेल्ट से आकर सलेक्ट हुई हैं. दंतेवाड़ा की प्रियाति कावडू ने यूपीएससी फाइट की है, वहीं सीजीपीएससी की बात की जाए तो मोनिका कावडू जो फर्स्ट अटेम्प्ट में ही चयन होकर डिप्टी कलेक्टर बनी हैं.

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जरूरतमंदों को निशुल्क कोचिंग की पहल

डॉ योगिता हुड्डा ने बताया कि बिलो पॉवर्टी लाइन के बच्चे जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है. उनको हमने फ्री में पढ़ाने भी काम किया है. लेकिन उसमें संतुष्टि नहीं मिल पाई. अब हम ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों को भी फ्री में पढ़ाते हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से भी उन्होंने अपील की है. ऐसे कोई भी बच्चे जो हमें सुन रहे हैं. वह हमारे साथ जुड़ सकता है. उनको हम नोट्स और सारी तैयारियां भी फ्री में करवाते हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर WALK FOR CAUSE कार्यक्रम का आयोजन

पुरुषों की मानसिकता में आया बदलाव

डॉ योगिता हुड्डा मानती हैं कि छत्तीसगढ़ में गर्ल्स काफी ज्यादा टैलेंटेड हैं. फर्स्ट टाइम में ही छत्तीसगढ़ की युवतियां अच्छा परफॉर्म कर रही हैं. यहां एक ही कमी दिखती है वो है आत्मविश्वास की. उनको शायद मोटिवेट करने वाला व्यक्ति नहीं मिल रहा है. उन्होंने अपील की है कि यदि कोई लड़की कहीं से भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहती हैं. तो तैयारियां शुरू करें इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. उनका कहना है कि पुरुषों की मानसिकता में भी काफी बदलाव आया है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वक्त से महिलाएं अपने हसबैंड के साथ भी उनके कोचिंग में पहुंच रहीं हैं. उन्होंने देखा है कि जब महिलाएं कहती हैं कि प्रतियोगी परीक्षा फाइट नहीं कर पाएंगे, तो उनके हसबैंड कहते हैं कि आप कर लोगी.

महिलाओं को आगे बढ़ते रहना चाहिए- डॉ योगिता

डॉ योगिता कहती हैं कि बहुत टैलेंटेड और बहुत इंटेलिजेंट महिलाएं भी खुद को समेट लेती हैं. सांवली हूं, काली हूं ऐसे बहुत सारे मानसिकता से अपने आपको नवाज लेती हैं. जबकि ऐसे सारे ऑबजेक्टिव सही नहीं हैं. महिलाओं के लिए एक ही ऑब्जेक्टिव है. महिला हैं तो आप खूबसूरत हैं, कुछ करना चाहते हैं तो आप में बहुत टैलेंट है. उनका कहना है कि आपको शुरुआत करनी है दौड़ने की, दौड़ना शुरू करेंगे तो आप उड़ सकती हैं. अगर आप दुनिया में आ गई हैं तो आपके पास ग्रो करने के अलावा कोई च्वाइस नहीं है.

रायपुर: 8 मार्च को दुनियाभर में महिला दिवस मनाया जाता है. खासतौर पर महिलाओं को समर्पित एक दिन के रूप में पूरे विश्व में इसे सेलिब्रेट किया जाता है. ETV भारत भी इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष महिलाओं से आपको रू-ब-रू करवा रहा है. आज हम आपको राजधानी रायपुर की डॉ योगिता हुड्डा के बारे में बता रहे हैं. डॉ योगिता हुड्डा पिछले 10 सालों से छत्तीसगढ़ के युवाओं को यूपीएससी (UPSC) और सीजीपीएससी (CGPSC) जैसी परीक्षाओं की तैयारियां करवा रहीं हैं.

डॉ योगिता हुड्डा से खास बातचीत

योगिता ने बताया कि वो खुद भी एक वक्त यूपीएससी की तैयारी करती थीं. लेकिन कुछ कारणों से उनका चयन नहीं हो सका. जिसके बाद से योगिता छत्तीसगढ़ के युवाओं को यूपीएससी और पीएससी की कोचिंग के लिए तैयार कर रहीं हैं. जरूरतमंद युवाओं को वह निशुल्क कोचिंग भी दे रहीं हैं. दिव्यांग और ट्रांसजेंडर को भी फ्री में कोचिंग देकर परीक्षा की तैयारी करवा रहीं हैं.

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लड़कियों के जीवन में शादी का दबाव

घर में शुरू से पारिवारिक बैकग्राउंड पढ़ाई का था. उनकी मां भी टीचर हैं. उनकी मां कहती थी कि खूब पढ़ो और लोगों को पढ़ाओ, ताकि आपका ज्ञान व्यर्थ न जाए. अपने ज्ञान को लोगों को बांटते चलिए. उन्होंने कभी करियर के लिए फोर्स नहीं किया. कभी नहीं पूछा गया कि डॉक्टर बनना है या इंजीनियर बनना है. उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए दिल्ली में लंबा समय बिताया. पूरे देश के लोग दिल्ली जाते हैं. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों के लिए दिल्ली हब माना जाता है. डॉ योगिता हुड्डा कहती हैं कि लड़कियों पर एक समय के बाद शादी का दबाव बनने लगता है. ऐसे में उन्हें परिवार की ओर से फोर्स किया जाता है कि परिवार के साथ सेटल डाउन हो जाओ. उनका कहना है कि परिवार बसाने का दबाव लड़कियों पर ही ज्यादा होता है.

छत्तीसगढ़ की आदिवासी युवतियों में काफी टैलेंट

डॉ योगिता हुड्डा ने बताया कि यूपीएससी में हर साल हमारे स्टूडेंट्स का चयन होता है. सीजीपीएससी में हमारे 102 बच्चों का चयन हुआ है. यह काफी अच्छा रिजल्ट है. छत्तीसगढ़ में 2011 से लेकर साल 2021 के बीच 800 से ज्यादा बच्चों का चयन अलग-अलग पदों पर हुआ है. अलग-अलग सोसाइटी की बात करें तो छत्तीसगढ़ में महिलाएं भी बहुत अच्छा काम कर रहीं हैं. बहुत सारे उदाहरण ऐसे भी हैं जिसमें काफी उम्र की महिलाओं ने अपनी मेहनत से परीक्षाओं को पास किया है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के ट्राइबल बेल्ट में भी काफी टैलेंट है. अंजू कुमार जो ट्राइबल बेल्ट से आकर सलेक्ट हुई हैं. दंतेवाड़ा की प्रियाति कावडू ने यूपीएससी फाइट की है, वहीं सीजीपीएससी की बात की जाए तो मोनिका कावडू जो फर्स्ट अटेम्प्ट में ही चयन होकर डिप्टी कलेक्टर बनी हैं.

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जरूरतमंदों को निशुल्क कोचिंग की पहल

डॉ योगिता हुड्डा ने बताया कि बिलो पॉवर्टी लाइन के बच्चे जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है. उनको हमने फ्री में पढ़ाने भी काम किया है. लेकिन उसमें संतुष्टि नहीं मिल पाई. अब हम ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों को भी फ्री में पढ़ाते हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से भी उन्होंने अपील की है. ऐसे कोई भी बच्चे जो हमें सुन रहे हैं. वह हमारे साथ जुड़ सकता है. उनको हम नोट्स और सारी तैयारियां भी फ्री में करवाते हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर WALK FOR CAUSE कार्यक्रम का आयोजन

पुरुषों की मानसिकता में आया बदलाव

डॉ योगिता हुड्डा मानती हैं कि छत्तीसगढ़ में गर्ल्स काफी ज्यादा टैलेंटेड हैं. फर्स्ट टाइम में ही छत्तीसगढ़ की युवतियां अच्छा परफॉर्म कर रही हैं. यहां एक ही कमी दिखती है वो है आत्मविश्वास की. उनको शायद मोटिवेट करने वाला व्यक्ति नहीं मिल रहा है. उन्होंने अपील की है कि यदि कोई लड़की कहीं से भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहती हैं. तो तैयारियां शुरू करें इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. उनका कहना है कि पुरुषों की मानसिकता में भी काफी बदलाव आया है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वक्त से महिलाएं अपने हसबैंड के साथ भी उनके कोचिंग में पहुंच रहीं हैं. उन्होंने देखा है कि जब महिलाएं कहती हैं कि प्रतियोगी परीक्षा फाइट नहीं कर पाएंगे, तो उनके हसबैंड कहते हैं कि आप कर लोगी.

महिलाओं को आगे बढ़ते रहना चाहिए- डॉ योगिता

डॉ योगिता कहती हैं कि बहुत टैलेंटेड और बहुत इंटेलिजेंट महिलाएं भी खुद को समेट लेती हैं. सांवली हूं, काली हूं ऐसे बहुत सारे मानसिकता से अपने आपको नवाज लेती हैं. जबकि ऐसे सारे ऑबजेक्टिव सही नहीं हैं. महिलाओं के लिए एक ही ऑब्जेक्टिव है. महिला हैं तो आप खूबसूरत हैं, कुछ करना चाहते हैं तो आप में बहुत टैलेंट है. उनका कहना है कि आपको शुरुआत करनी है दौड़ने की, दौड़ना शुरू करेंगे तो आप उड़ सकती हैं. अगर आप दुनिया में आ गई हैं तो आपके पास ग्रो करने के अलावा कोई च्वाइस नहीं है.

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