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EXCLUSIVE: परों से नहीं हौसले से उड़ेंगे चित्रसेन, करेंगे माउंट किलिमंजारो की कठिन चढ़ाई

पर्वतारोही चित्रसेन साहू डबल एंप्यूटी हैं और वे 'अपने पैरों पर खड़े हैं' मिशन के तहत अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी तंजानिया स्थित किलिमंजारो जिसकी ऊंचाई 5895 मीटर है, उसे फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम करने वाले हैं.

पर्वतारोही चित्रसेन साहू
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Published : Sep 16, 2019, 5:59 PM IST

Updated : Sep 16, 2019, 9:05 PM IST

रायपुर: कहते हैं जब आपके हौसले बड़े हों तो कोई भी मुसीबत आपकी उड़ान नहीं रोक सकती. ऐसी ही एक कहानी है बालोद के रहने वाले पर्वतारोही चित्रसेन की. चित्रसेन पूरे देश और राज्य में एकमात्र ऐसे युवा हैं जो डबल एंप्यूटी हैं यानी उनके दोनों पैर नहीं है और वो माउंट किलिमंजारो की कठिन चढ़ाई पर जा रहे हैं.

ETV भारत से चित्रसेन साहू की खास बातचीत

ब्लेड रनर चित्रसेन साहू 'अपने पैरों पर खड़े हैं' मिशन के तहत अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी तंजानिया स्थित किलिमंजारो जिसकी ऊंचाई 5895 मीटर है, उसे फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम करने वाले हैं.

2014 में ट्रेन हादसे के बाद खोया पैर
चित्रसेन ने बताया कि, 'मैं बिलासपुर जाने के लिए निकला था, उस वक्त गर्मी का समय था और पानी पीने के लिए भाटापारा स्टेशन में उतरा था, ट्रेन का हॉर्न सुनकर मैं ट्रैन की ओर चल पड़ा, उसी दौरान चढ़ने के समय हाथ फिसल गया और मैं ट्रैन और प्लेटफार्म के बीच फंस गया और ट्रेन चल पड़ी थी.

mountaineer chitrasen sahu raipur
चित्रसेन ट्रैकिंग की प्रैक्टिस करते हुए

चित्रसेन ने कहा कि, 'इस घटना के बाद मुझे इलाज के लिए रायपुर लाया गया. उस समय मन में बहुत से ख्याल आ रहे थे, लेकिन मैंने हौसला बनाए रखा. डिप्रेशन में नहीं जाकर खुद को संभाला और आज दिव्यांगजनों की मदद करता हूं.'

डबल एंप्यूटी चित्रसेन साहू
2014 में ट्रेन हादसे के बाद खोया पैर

एडवेंचर स्पोर्ट्स में हमेशा से रही रुचि
ETV भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि, 'अफ्रीका के तंजानिया किलिमंजारो में जाने के लिए धीरे-धीरे तैयारियां की और छत्तीसगढ़ के आसपास ट्रैक ट्रेनिंग की.

  • इसके साथ ही 10 दिन हिमाचल में रहकर ट्रेनिंग ली और 72 किलो मीटर ट्रैक कंप्लीट किया.'
  • उन्होंने बताया कि वे पिछले डेढ़ साल से तैयारी कर रहे हैं और एक्सीडेंट से पहले भी उनका एडवेंचर स्पोर्ट्स में इंट्रेस्ट था.
    किलिमंजारो पर्वतारोही चित्रसेन
    चित्रसेन बास्केटबॉल खिलाड़ी भी हैं

चित्रसेन ने की है सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई
चित्रसेन साहू ने ETV भारत से बात करते हुए कहा कि, 'उनकी शुरुआती पढ़ाई बालोद जिले के बेलौदी गांव में हुई. वे शुरू से ही इंजीनियर बनना चाहते थे. 2014 में उन्होंने बिलासपुर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.'

  • चित्रसेन ने बताया कि, यह यात्रा वे 'अपने पैरों पर खड़े हैं' सफलता से प्रयास की ओर मिशन के तहत कर रहे हैं.
  • समाज मे दिव्यांगजनों के लिए जो दया भाव और जो सिंपैथी रहती है उसे दूर करने के लिए यह कर रहे हैं ताकि लोग समान दृष्टिकोण से देखें.
    double amputee chitrasen sahu exclusive interview with etv bharat
    चित्रसेन ट्रैकिंग की प्रैक्टिस करते हुए
  • शुरू से ही घर वालों का सपोर्ट रहा और घर वालों ने पॉजिटिव रिस्पांस दिया है. परिवार वालों ने खुशी-खुशी विदा किया है साथ ही घर वाले भी निश्चिंत है कि, मैं जो डिसीजन लेता हूं, सही लेता हूं.
  • वहीं उन्होंने बताया कि असंभव कुछ भी नहीं है. झिझक और डर को दूर करना है और कॉन्फिडेंस रखना है बाकी सब चीजें आसानी से हो जाती है.
  • चित्रसेन बास्केटबॉल के खिलाड़ी हैं साथ ही ट्रैकिंग और मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं.

रायपुर: कहते हैं जब आपके हौसले बड़े हों तो कोई भी मुसीबत आपकी उड़ान नहीं रोक सकती. ऐसी ही एक कहानी है बालोद के रहने वाले पर्वतारोही चित्रसेन की. चित्रसेन पूरे देश और राज्य में एकमात्र ऐसे युवा हैं जो डबल एंप्यूटी हैं यानी उनके दोनों पैर नहीं है और वो माउंट किलिमंजारो की कठिन चढ़ाई पर जा रहे हैं.

ETV भारत से चित्रसेन साहू की खास बातचीत

ब्लेड रनर चित्रसेन साहू 'अपने पैरों पर खड़े हैं' मिशन के तहत अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी तंजानिया स्थित किलिमंजारो जिसकी ऊंचाई 5895 मीटर है, उसे फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम करने वाले हैं.

2014 में ट्रेन हादसे के बाद खोया पैर
चित्रसेन ने बताया कि, 'मैं बिलासपुर जाने के लिए निकला था, उस वक्त गर्मी का समय था और पानी पीने के लिए भाटापारा स्टेशन में उतरा था, ट्रेन का हॉर्न सुनकर मैं ट्रैन की ओर चल पड़ा, उसी दौरान चढ़ने के समय हाथ फिसल गया और मैं ट्रैन और प्लेटफार्म के बीच फंस गया और ट्रेन चल पड़ी थी.

mountaineer chitrasen sahu raipur
चित्रसेन ट्रैकिंग की प्रैक्टिस करते हुए

चित्रसेन ने कहा कि, 'इस घटना के बाद मुझे इलाज के लिए रायपुर लाया गया. उस समय मन में बहुत से ख्याल आ रहे थे, लेकिन मैंने हौसला बनाए रखा. डिप्रेशन में नहीं जाकर खुद को संभाला और आज दिव्यांगजनों की मदद करता हूं.'

डबल एंप्यूटी चित्रसेन साहू
2014 में ट्रेन हादसे के बाद खोया पैर

एडवेंचर स्पोर्ट्स में हमेशा से रही रुचि
ETV भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि, 'अफ्रीका के तंजानिया किलिमंजारो में जाने के लिए धीरे-धीरे तैयारियां की और छत्तीसगढ़ के आसपास ट्रैक ट्रेनिंग की.

  • इसके साथ ही 10 दिन हिमाचल में रहकर ट्रेनिंग ली और 72 किलो मीटर ट्रैक कंप्लीट किया.'
  • उन्होंने बताया कि वे पिछले डेढ़ साल से तैयारी कर रहे हैं और एक्सीडेंट से पहले भी उनका एडवेंचर स्पोर्ट्स में इंट्रेस्ट था.
    किलिमंजारो पर्वतारोही चित्रसेन
    चित्रसेन बास्केटबॉल खिलाड़ी भी हैं

चित्रसेन ने की है सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई
चित्रसेन साहू ने ETV भारत से बात करते हुए कहा कि, 'उनकी शुरुआती पढ़ाई बालोद जिले के बेलौदी गांव में हुई. वे शुरू से ही इंजीनियर बनना चाहते थे. 2014 में उन्होंने बिलासपुर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.'

  • चित्रसेन ने बताया कि, यह यात्रा वे 'अपने पैरों पर खड़े हैं' सफलता से प्रयास की ओर मिशन के तहत कर रहे हैं.
  • समाज मे दिव्यांगजनों के लिए जो दया भाव और जो सिंपैथी रहती है उसे दूर करने के लिए यह कर रहे हैं ताकि लोग समान दृष्टिकोण से देखें.
    double amputee chitrasen sahu exclusive interview with etv bharat
    चित्रसेन ट्रैकिंग की प्रैक्टिस करते हुए
  • शुरू से ही घर वालों का सपोर्ट रहा और घर वालों ने पॉजिटिव रिस्पांस दिया है. परिवार वालों ने खुशी-खुशी विदा किया है साथ ही घर वाले भी निश्चिंत है कि, मैं जो डिसीजन लेता हूं, सही लेता हूं.
  • वहीं उन्होंने बताया कि असंभव कुछ भी नहीं है. झिझक और डर को दूर करना है और कॉन्फिडेंस रखना है बाकी सब चीजें आसानी से हो जाती है.
  • चित्रसेन बास्केटबॉल के खिलाड़ी हैं साथ ही ट्रैकिंग और मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं.
Intro:वही बालोद के रहने चित्रसेन बास्केटबॉल के खिलाड़ी हैं साथ ही ट्रैकिंग और मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं ।।
ब्लेड रनर चित्रसेन साहू "अपने पैरों पर खड़े हैं "मिशन के तहत अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी तंजानिया स्थित किलिमंजारो जिसकी ऊंचाई 5895 मीटर है उसे फतह कर नेशनल रिकॉर्ड कायम करने वाले हैं।।


चित्रसेन पूरे देश और राज्य में एकमात्र ऐसे युवा हैं जो डबल एंप्यूटी है और माउंट किलिमंजारो की कठिन चढ़ाई पर जा रहे हैं


Body:चित्रसेन साहू ने बताया कि उनकी शुरुआती पढ़ाई बालोद जिले के बेलौदी गाव में हुई। वे शुरू से इंजीनियर बनना चाहते थे, 2014 में उन्होंने बिलासपुर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।।


2014 में ट्रेन हादसे के बाद पैर खोया


चित्रसेन ने बताया कि वे बिलासपुर जाने के लिए निकले थे, दौरान गर्मी का समय था और पानी पीने के लिए भाटापारा स्टेशन में उतरे थे ट्रेन के हॉर्न सुनकर मैं ट्रैन की ओर चल पड़ा उसी दौरान चढ़ने समय उनका हाथ फिसल गया और वे ट्रैन और प्लेटफार्म के बीच फास गए और ट्रैन चल पड़ी,।।

वह इलाज के लिए उन्हें रायपुर लाया गया उस समय मन में बहुत से ख्याल आ रहे थे लेकिन मैंने हौसला बनाए रखा। डिप्रेशन में नही जाकर खुद को सम्हाला वही आज दिव्यांगजनों की मदद के करते है।।।




Conclusion:ईटीवी भारत से बातचीत कर उन्हें बताया अफ्रीका के तंजानिया किलिमंजारो में जाने के लिए धीरे-धीरे तैयारियों की छत्तीसगढ़ के आसपास के ट्रैक ट्रेनिंग की।। साथी 10 हिमाचल जाकर भी ट्रेनिंग लिया और 72 किलो मीटर ट्रैक कंप्लीट किया।।

उन्होंने बताया की वे पिछले डेढ़ साल से तैयारी कर रहे है ।और एक्सीडेंट से पहले भी उनका एडवेंचर स्पोर्ट्स में में इंटरस्ट था।।


बताया कि यह यात्रा वे अपने पैरों पर खड़े हैं सफलता से प्रयास की ओर मिशन के तहत यह कर रहे है ।।समाज मे दिव्यांग जनों के लिए जो दया भाव और जो सिंपैथी रहती है उसे दूर करने के लिए यह कर रहे हैं ताकि लोग समान दृष्टिकोण से देखें। का ग्रुप है जो एडवेंचर और मैराथन जैसे इवेंट के पार्टिसिपेंट्स करते रहते है।


शुरू से ही घर वालों का सपोर्ट रहा घर वालों ने पॉजिटिव रिस्पांस दिया है । परिवार वालो ने खुशी-खुशी विदा किया है साथी घर वाले भी निश्चित है कि मैं जो डिसीजन लेता हूं उसे ही लेता हूं।। साथी घरवालों से भी मुझे सकारात्मक एनर्जी मिलती है।।


वहीं उन्होंने बताया कि असंभव कुछ भी नहीं है झिझक और डर को दूर करना है कॉन्फिडेंस रखना है बाकी सब चीजें आसानी से हो जाती है।।

Last Updated : Sep 16, 2019, 9:05 PM IST
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