रायपुर: एक बार राज्यपाल और छत्तीसगढ़ सरकार में टकराव की स्थिति बनती दिख रही है. राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर अबतक हस्ताक्षर नहीं किया है. ये विधेयक छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पिछले महीने विधानसभा के विशेष सत्र में पारित किया गया था. राजभवन के सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल इस विधेयक पर विधि विशेषज्ञों की राय ले रही हैं. हालांकि इससे एक दिसंबर से शुरू होने वाली धान खरीदी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 28 नवंबर को कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे पहले कह चुके हैं कि 'हमने केंद्र सरकार के किसी भी कानून को बाईपास नहीं किया है'. उम्मीद है कि विधेयक जल्दी कानून का रूप ले लेगा, लेकिन इन सबके बीच राज्यपाल अनुसुइया उइके से नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पिछले दिनों मुलाकात की है. इस मुलाकात को दीपावली भेंट बताया जा रहा था.
क्या कहता है नियम ?
संवैधानिक नियमों के तहत राज्यपाल पारित विधेयक को एक बार राज्य सरकार को वापस भेज सकती है. इसके बाद अगर राज्य सरकार कैबिनेट के जरिए से उसे भेजे तो उसे मंजूर करना अनिवार्य हो जाता है. इसके अलावा राज्यपाल विधेयक राष्ट्रपति को भेज कर उनका अभिमत मिलने का इंतजार कर सकती हैं.
इससे पहले भी राज्यपाल अनुसुइया उइके और राज्य सरकार के बीच मतभेद देखने को मिले हैं. एक नजर सरकार पर राज्यपाल के बीच हुए विवाद पर:-
- पहले कुलपति की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल के अधिकार में कटौती से शुरू हुआ विवाद पहले राजभवन के सचिव की पदस्थापना तक पहुंचा फिर अक्टूबर में विशेष सत्र को लेकर एक बार फिर टकराव की स्थिति बनी. अक्टूबर में छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए भेजी गई फाइल को राजभवन ने लौटा दिया था, जिसके बाद विवाद खुलकर सामने आ गया. राजभवन ने विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है. CM भूपेश बघेल ने राज्यपाल पर टिप्पणी भी की है.
- छत्तीसगढ़ में तमाम विश्वविद्यालयों के नाम बदलने को लेकर उन्होंने आपत्ति जताई थी. राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों का प्रतिनिधिमंडल जब उनसे मिलने पहुंचा था, तो उन्होंने सीधे तौर पर इस फैसले को लेकर कड़ा ऐतराज जताया था. उन्होंने कहा था कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक संस्थान हैं और वहां से छात्रों के कई बैच भी निकल चुके होंगे, ऐसे में विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तन करना उस जगह की आस्था के साथ खिलवाड़ होगा. अगर नया नाम रखना है तो नई संस्थाओं का रखा जाए.
- राज्यपाल ने यूजीसी की ओर से आने वाले ग्रांट और विश्वविद्यालय संबंधी फैसलों में बदलाव को लेकर भी राज्य सरकार की मांग पर नियमों का हवाला दे दिया था.
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किडनी रोग से प्रभावित सुपेबेड़ा गांव जाने पर भी हुई थी सियासत
राज्यपाल को सुपेबेड़ा में किडनी के बीमारियों से ग्रसित इलाके की जानकारी मिली, तो उन्होंने उस जगह का दौरा करके लोगों से सीधे बात की थी. गरियाबंद के दूरस्थ इलाके सुपेबेड़ा में बीमारियों का सिलसिला नहीं रुक रहा था, तो उन्होंने सारे निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द कर स्वयं सुपेबेड़ा पहुंचकर ग्रामीणों से मिल बीमारी का हाल जाना था और वहीं से आवश्यक निर्देश भी दिए. उनकी पहल पर स्वास्थ्य विभाग ने 24 करोड़ के कार्यों की घोषणा की थी जो कि 15 सालों से लंबित थी. हालांकि इस दौरान उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी मौजूद थे.