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क्षितिज अपार संभावनाएं योजना: नियम कानून ऐसे कि 5 साल में एक भी छात्र नहीं उठा पाया लाभ

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Published : Jul 20, 2021, 4:34 PM IST

Updated : Jul 20, 2021, 7:45 PM IST

छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जिससे वे सरकारी मदद से अपने पैरों पर खड़े हो सकें. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी छात्रों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

संचालनालय, समाज कल्याण

रायपुर: छत्तीसगढ़ में समाज कल्याण विभाग की तरफ से दिव्यांगों के लिए 2016 में 'क्षितिज अपार संभावनाएं योजना' (Kshitij Apar Sambhavnaye Yojana) की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत छात्र गृह योजना चलाई गई. जिसमें दिव्यांग छात्र, उच्च शिक्षा और सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए बड़े शहरों में जा सकते हैं. लेकिन यह योजना शुरू होने के पहले ही कागजों में सिमट कर रह गई है. इन योजनाओं के अंतर्गत एक भी छात्र अब तक बड़े शहर में पढ़ने नहीं जा सका है. क्योंकि विभाग ने इस योजना का लाभ लेने वाले दिव्यांगों के लिए कई तरह के नियम और शर्तें जोड़ दी है.

समाज कल्याण विभाग ने दिव्यांगों को आगे लाने के उद्देश्य से 2016 में क्षितिज अपार संभावनाएं योजना शुरू की थी. इसके अंतर्गत दिव्यांगों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति देना, गांव, शहर या राज्य से बाहर पढ़ने के लिए जाने पर छात्रगृह योजना की सुविधा देना, बोर्ड परीक्षाओं में जिले में टॉप करने पर स्कॉलरशिप देने की योजना हैं. इसमें छात्र गृह योजना ऐसी है, जिसे शुरू हुए पांच साल बीत गए हैं, लेकिन विभाग के पास उपलब्धि बताने के बजाय शून्य के आंकड़े हैं, जो लाभान्वित बच्चों की संख्या के आगे लिखे हैं. विभाग के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि छात्र गृह योजना की सुविधा लेने के लिए अभी तक एक भी आवेदन नहीं आया है.

PSC की तैयारी कर रहे दिव्यांग छात्र जागेश्वर निषाद ने बताया कि विभाग की ओर से क्षितिज अपार संभावनाएं योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत छात्र गृह योजना भी है, लेकिन इसका लाभ लेने के लिए हमें 4 साथी और ढूंढने पड़ रहे हैं. जिसकी वजह से हम यूपीएससी या अन्य कॉम्पिटिशन की तैयारी के लिए लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

महासमुंद में सरकारी योजना के पैसे वसूलने के लिए दलालों ने जिंदा महिला को बता दिया मृत

छात्र गृह योजना का लाभ देने के लिए 5 लोगों की शर्त लागू की गई है, यानी किसी दिव्यांग को बाहर पढ़ने जाना है, तो उसे अपने जैसे चार और साथी जुटाने होंगे. इस शर्त को पूरा करने में दिव्यांगों को कठिनाई हो रही है. जिसे इस योजना का लाभ लेना है, वह 40% दिव्यांग हो, उच्चतर माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए. किसी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा हो, जिले में आवास की सुविधा लेने के लिए छात्र के घर से शिक्षण संस्थान की दूरी 20 किलोमीटर हो, यह सब नियम कई दिव्यांग पूरे कर रहे हैं, लेकिन 5 लोग नहीं जुड़ रहे हैं.

विभाग की तरफ से चलाई जा रही सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत जिले में 12 लोगों को लाभ मिल चुका है. इसमें प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर 20 हजार, मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण होने पर 30 हजार और सिलेक्शन होने पर 50 हजार दिए जाते हैं. विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक योजना का मकसद दिव्यांगों को सिविल सेवा के लिए प्रोत्साहित करना है. वहीं उच्च शिक्षा में भी 248 लोगों को स्कॉलरशिप मिली है. इसके साथ ही जिले में सर्वाधिक अंक वाले 10वीं के छात्रों को हर साल 2 हजार, 12वीं के छात्रों को 6 हजार, स्नातक और स्नातकोत्तर नियमित छात्रों को हर साल 12 हजार रुपये तक प्रोत्साहन राशि दी जाती है. पांच साल में सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में 12 लाभार्थी, उच्च शिक्षा में 248 और छात्र गृह योजना में अभी तक एक भी लाभार्थी नहीं मिला है.

विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रेंट कंट्रोल अथॉरिटी की ओर से किराए की दर निर्धारित करने के बाद, विभाग की तरफ से भुगतान किया जाएगा. A श्रेणी के शहरों के लिए 10 हजार, B श्रेणी के शहर के लिए 7 हजार और C श्रेणी के शहर के लिए 5 हजार का मासिक किराया देने का प्रावधान है. इसी में बिजली बिल की राशि भी जुड़ी है. यह राशि भी उपयोग नहीं हो रही है, क्योंकि छात्रों को किसी को योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है.

मामले को लेकर समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर पी दयानंद ने बताया कि मेरे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है. यदि किसी दिव्यांग छात्र को इस योजना का लाभ नियमों की वजह से नहीं मिल पा रहा है तो छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए रास्ता निकाला जाएगा.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में समाज कल्याण विभाग की तरफ से दिव्यांगों के लिए 2016 में 'क्षितिज अपार संभावनाएं योजना' (Kshitij Apar Sambhavnaye Yojana) की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत छात्र गृह योजना चलाई गई. जिसमें दिव्यांग छात्र, उच्च शिक्षा और सिविल सेवा की तैयारी करने के लिए बड़े शहरों में जा सकते हैं. लेकिन यह योजना शुरू होने के पहले ही कागजों में सिमट कर रह गई है. इन योजनाओं के अंतर्गत एक भी छात्र अब तक बड़े शहर में पढ़ने नहीं जा सका है. क्योंकि विभाग ने इस योजना का लाभ लेने वाले दिव्यांगों के लिए कई तरह के नियम और शर्तें जोड़ दी है.

समाज कल्याण विभाग ने दिव्यांगों को आगे लाने के उद्देश्य से 2016 में क्षितिज अपार संभावनाएं योजना शुरू की थी. इसके अंतर्गत दिव्यांगों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति देना, गांव, शहर या राज्य से बाहर पढ़ने के लिए जाने पर छात्रगृह योजना की सुविधा देना, बोर्ड परीक्षाओं में जिले में टॉप करने पर स्कॉलरशिप देने की योजना हैं. इसमें छात्र गृह योजना ऐसी है, जिसे शुरू हुए पांच साल बीत गए हैं, लेकिन विभाग के पास उपलब्धि बताने के बजाय शून्य के आंकड़े हैं, जो लाभान्वित बच्चों की संख्या के आगे लिखे हैं. विभाग के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि छात्र गृह योजना की सुविधा लेने के लिए अभी तक एक भी आवेदन नहीं आया है.

PSC की तैयारी कर रहे दिव्यांग छात्र जागेश्वर निषाद ने बताया कि विभाग की ओर से क्षितिज अपार संभावनाएं योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत छात्र गृह योजना भी है, लेकिन इसका लाभ लेने के लिए हमें 4 साथी और ढूंढने पड़ रहे हैं. जिसकी वजह से हम यूपीएससी या अन्य कॉम्पिटिशन की तैयारी के लिए लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

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छात्र गृह योजना का लाभ देने के लिए 5 लोगों की शर्त लागू की गई है, यानी किसी दिव्यांग को बाहर पढ़ने जाना है, तो उसे अपने जैसे चार और साथी जुटाने होंगे. इस शर्त को पूरा करने में दिव्यांगों को कठिनाई हो रही है. जिसे इस योजना का लाभ लेना है, वह 40% दिव्यांग हो, उच्चतर माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए. किसी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा हो, जिले में आवास की सुविधा लेने के लिए छात्र के घर से शिक्षण संस्थान की दूरी 20 किलोमीटर हो, यह सब नियम कई दिव्यांग पूरे कर रहे हैं, लेकिन 5 लोग नहीं जुड़ रहे हैं.

विभाग की तरफ से चलाई जा रही सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत जिले में 12 लोगों को लाभ मिल चुका है. इसमें प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर 20 हजार, मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण होने पर 30 हजार और सिलेक्शन होने पर 50 हजार दिए जाते हैं. विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक योजना का मकसद दिव्यांगों को सिविल सेवा के लिए प्रोत्साहित करना है. वहीं उच्च शिक्षा में भी 248 लोगों को स्कॉलरशिप मिली है. इसके साथ ही जिले में सर्वाधिक अंक वाले 10वीं के छात्रों को हर साल 2 हजार, 12वीं के छात्रों को 6 हजार, स्नातक और स्नातकोत्तर नियमित छात्रों को हर साल 12 हजार रुपये तक प्रोत्साहन राशि दी जाती है. पांच साल में सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में 12 लाभार्थी, उच्च शिक्षा में 248 और छात्र गृह योजना में अभी तक एक भी लाभार्थी नहीं मिला है.

विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रेंट कंट्रोल अथॉरिटी की ओर से किराए की दर निर्धारित करने के बाद, विभाग की तरफ से भुगतान किया जाएगा. A श्रेणी के शहरों के लिए 10 हजार, B श्रेणी के शहर के लिए 7 हजार और C श्रेणी के शहर के लिए 5 हजार का मासिक किराया देने का प्रावधान है. इसी में बिजली बिल की राशि भी जुड़ी है. यह राशि भी उपयोग नहीं हो रही है, क्योंकि छात्रों को किसी को योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है.

मामले को लेकर समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर पी दयानंद ने बताया कि मेरे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है. यदि किसी दिव्यांग छात्र को इस योजना का लाभ नियमों की वजह से नहीं मिल पा रहा है तो छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए रास्ता निकाला जाएगा.

Last Updated : Jul 20, 2021, 7:45 PM IST
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