रायपुर: इस साल छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में डायल 112 की शुरुआत हो जाएगी. इसके लिए 120 नई गाड़ियों की भी खरीदी की जाएगी. इसके लिए नई भर्तियां भी की जाएंगी. कंट्रोल रूम कॉल टेकर की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी. डायल-112 के लिए अनुपूरक बजट में 25 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. इसकी प्रशासकीय स्वीकृति मिलते ही मार्च 2020 तक सारे जिलों में काम शुरू हो जाएगा. एक ही नंबर पर पुलिस, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस की आपातकालीन सुविधा मिल जाएगी. दो साल पहले डायल-112 की शुरुआत की गई थी. लेकिन सिर्फ 11 जिलों से इसकी शुरुआत की गई थी.
रायपुर के साथ-साथ ज्यादातर मैदानी इलाकों में इसकी सुविधा दी जा रही थी. इन जिलों में बेहतर काम के बाद प्रदेशभर में यह सुविधा शुरू करने की मांग की गई थी. राज्य शासन के समक्ष इसका प्रस्ताव रखा गया था. राज्य शासन ने किसानों की समस्याओं का हल निकालने के लिए डायल-112 की मदद ली थी. इसके बाद ही यह सुविधा प्रदेशभर में शुरू करने की रूपरेखा बनाई गई थी.
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इन जिलों में पहले से थी सुविधा
डायल-112 की शुरुआत रायपुर, महासमुंद, दुर्ग, राजनांदगांव, कबीरधाम, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा, जगदलपुर में की गई थी. अब नए जिलों के लिए प्रस्ताव आए हैं. इसमें बलौदाबाजार, गरियाबंद, धमतरी, बालोद, बेमेतरा, मुंगेली, गौरेला पेंड्रा मरवाही, कांकेर, सूरजपुर, कोरिया, जशपुर शामिल हैं. नारायणपुर, कोंडागांव, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा कंट्रोल रूम इनसे जुड़ेंगे.
कई घटनाओं में कारगर डायल-112
डायल-112 की सुविधा शुरू होने के बाद आपातकालीन सेवा के साथ-साथ कई घटना में 108 से पहले 112 पहुंचेगी. अब तक 40 महिलाओं के सुरक्षित प्रसव डायल-112 की गाड़ियों में हुए हैं. इसके अलावा आत्महत्या की कोशिश करने वाले लोगों को बचाने से लेकर आग बुझाने तक में डायल 112 कारगर रहा.
पूरी सुविधा देने में लगेगा समय
राज्य के शहरी व मैदानी क्षेत्रों में 112 की गाड़ियों के लिए ऐसे केंद्र बिंदु तय किए जाएंगे, जिससे वे बड़े हिस्से को कवर कर सकें. हालांकि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभी कम गाड़ियां होंगी. इन क्षेत्रों में शहरी हिस्से में यह सुविधा उपलब्ध होगी. दूरदराज के क्षेत्रों में नेटवर्क व अन्य दिक्कतों की वजह से पूरी तरह सुविधा देने में अभी और समय लगेगा.
25 करोड़ की स्वीकृति
अनुपूरक बजट में 11 जिलों डायल-112 सुविधा शुरू करने के लिए 25 करोड़ की स्वीकृति मिल चुकी है. प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद तीन महीने में यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी. नई गाड़ियों की खरीदी के अलावा कॉल टेकर-डिस्पैचर की भर्ती की जाएगी. इसके साथ ही सभी जिलों के कंट्रोल रूम डायल-112 से जुड़ जाएंगे.