ब्रह्म ऋषि पत्री ने 1990 में पीएसएसएम की स्थापना की. जिसके बाद से आध्यात्मिक विज्ञान की मौलिकता को प्रत्येक जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है. इसके चार मुख्य लक्षण बताए गए हैं जो इस प्रकार हैं-
- हर व्यक्ति नियमित ध्यान करें.
- आध्यात्मिक संत एवं गुरुओं द्वारा बनाए गए मूल्यों को जनमानस को समझाएं.
- शाकाहार बनते हुए पशु जगत के प्रति दयावान होने का भाव प्रत्येक के भीतर जागृत कराना.
- ध्यान के लिए पिरामिड मंदिरों का निर्माण करते हुए पिरामिड ऊर्जा का भरपूर उपयोग करना सीखना.
पितामह पत्रीजी ने बताया कि इन चार तत्वों के साथ अपने अंदर ईश्वर दत्त का भाव जागृत करना है. उन्होंने साथ ही साथ पहुंचे सैकड़ों लोगों को प्रेरित करने का काम भी किया.